सम्पादकीय

भावी पीढ़ीको युगानुरूप शिक्षाकी आवश्यकता

 आनन्द सिन्धदूत शिक्षा व्यवस्थामें पाठ्यक्रम सम्बन्धी बदलाव जितना पिछले सौ-सवा सौ वर्षोंमें भारतमें हुआ उतना पहले कभी नहीं हुआ था। शायद इसका कारण ज्ञानके स्रोतोंमें विकासकी तेजी थी। विज्ञान, कला, व्यवसाय किसी भी क्षेत्रमें पिछली शताब्दियां अनुसन्धान और वैचारिक स्थापनाओंके लिए विशेष रूपसे जानी जायंगी। इन सूचनाओं और स्थापनाओंको पाठ्यक्रममें शामिल कर भावी पीढ़ीको युगानुरूप […]

सम्पादकीय

ध्यानकी महत्ता

ओशो पुराने संतोंका कहना है करुणापर गौतम बुद्धका जोर एक बहुत ही नयी घटना थी। गौतम बुद्धने ध्यानको अतीतसे एक ऐतिहासिक विभाजन दिया है, उनसे पहले ध्यान अपने आपमें पर्याप्त था, किसीने भी ध्यानके साथ करुणापर जोर नहीं दिया और उसका कारण था कि ध्यान संबुद्ध बनाता है, ध्यान तुम्हारे होनेकी चरम अभिव्यक्ति है। इससे […]

सम्पादकीय

बच्चोंमें संक्रमण

देशमें कोरोना संक्रमणके नये मामलोंमें निरन्तर गिरावटका क्रम बना हुआ है लेकिन अबतक इस महामारीसे मरनेवालोंका कुल आंकड़ा तीन लाखसे ऊपर होना अवश्य चिन्ताजनक है। मृत्युके मामलेमें भारत अमेरिका और ब्राजीलके बाद तीसरा देश बन गया है। अमेरिकामें छह लाख चार हजार ८२ लोगोंकी और ब्राजीलमें चार लाख ४९  हजार १८५ लोगोंकी मृत्यु हुई है, […]

सम्पादकीय

डिजिटल व्यापारमें सराहनीय पहल

 डा. जे. भण्डारी   हालमें वित्त मंत्रालयके द्वारा जारी किये गये पिछले वर्ष २०२०-२१ में कर संग्रह संबंधी आंकड़ोंके अनुसार देशमें इक्वलाइजेशन लेवी या गूगल टैक्स २०५७ करोड़ रुपये रहा, जबकि वर्ष २०१९-२० में यह ११३६ करोड़ रुपये ही था। इससे पता चलता है कि वित्त वर्ष २०२०-२१ में गूगल टैक्स पूर्ववर्ती वर्षके मुकाबले करीब दो […]

सम्पादकीय

नेपालमें राजनीतिक संकट

 डा. वरिंदर भाटिया  नेपालके प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओलीने १० अप्रैल, २०२१ को सदनका विश्वास खो दिया और पदमुक्त हो गये। पुष्पकमल दहल प्रचंडके नेतृत्वमें नेपाली कम्युनिस्ट पार्टीने ओली सरकारसे समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद उन्हें निचले सदनमें बहुमत साबित करना था। कोरोनाके बढ़ते खतरेके बीच नेपालमें १० अप्रैलको इसके लिए विशेष सत्र […]

सम्पादकीय

कोरोना कालमें मानसिक नियंत्रण जरूरी

 प्रो. संजय द्विवेदी कोरोनाके इस दौरने हर किसीको किसी न किसी रूपमें गंभीर रूपसे प्रभावित किया है। किसीने अपना हमसफर खोया है तो किसीने अपने घर-परिवारके सदस्य, दोस्त या रिश्तेदारको खोया है। इन अपूरणीय क्षतिका किसी न किसी रूपमें दिलोदिमागपर असर पडऩा स्वाभविक है, लेकिन मनोचिकित्सकोंका कहना है कि ऐसी स्थितिका लम्बे समयतक बने रहना […]

सम्पादकीय

तर्कका आधार

श्रीराम शर्मा कई बार मनुष्य अपने अनुचित कार्यों और आदतोंके संबंधमें दुखी भी होता है और सोचता है कि उन्हें छोड़ दूं। अवांछनीय अभ्यासोंकी प्रतिक्रिया उसने देखी-सुनी भी होती है। परामर्श उपदेश भी उसी प्रकारके मिलते रहते हैं, जिनमें सुधारनेके लिए कहा जाता है। सुननेमें वह परामर्श सारगर्भित भी लगते हैं। किंतु जब छोडऩेकी बात […]

सम्पादकीय

ब्लैक फंगस बड़ी चुनौती

देशमें जहां कोरोना संक्रमणके नये मामलोंमें गिरावटकी प्रवृत्ति बनी हुई है वहीं ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) का तेजीसे प्रसार गम्भीर चिन्ताका विषय है। लगभग सभी राज्योंमें ब्लैक फंगसके मामले मिल रहे हैं लेकिन दस राज्य इससे अधिक प्रभावित हैं। महाराष्टï्रमें १५ सौसे अधिक मामले सामने आये हैं और ९० लोगोंकी मृत्यु हो गयी। इसी प्रकार गुजरातमें […]

सम्पादकीय

दूसरी लहरसे धीमी हुई आर्थिकी

 डा. जयंतीलाल भंडारी   हालमें वित्त मंत्रालयने मासिक आर्थिक समीक्षामें कहा कि कोरोना महामारीकी दूसरी लहरसे बढ़ते संक्रमणके कारण लाकडाउन और पाबंदियां लगानेसे यद्यपि चालू वित्त वर्ष २०२१-२२ की अप्रैल-जून तिमाहीमें आर्थिक गतिविधियोंमें गिरावट आनेका खतरा है, लेकिन अर्थव्यवस्थापर इसका असर पिछले वर्ष २०२० की पहली लहरके मुकाबले कम रहनेकी उम्मीद है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडियाकी […]

सम्पादकीय

खेतीमें नवाचारोंको प्रोत्साहन

डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा   पिछले दिनों वर्चुअल प्लेटफार्मपर प्रगतिशील किसानों और यूकेके काश्तकारोंके बीच अनुभवोंको साझा करनेकी पहल इस महामारीके दौरमें निश्चित रूपसे सुखद सन्देश है। यह पहल किसानोंको पहचान दिलानेके लिए संघर्षरत मिशन फार्मरके डा. महेन्द्र मधुपके प्रयासोंसे सम्भव हो पायी। राजस्थान असोसिएशन यूके लंदन द्वारा आयोजित यह वेबिनार इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती […]