ओशो जीवन मिलता नहीं, निर्मित करना होता है। इसीलिए मनुष्यको शिक्षाकी जरूरत है। शिक्षाका एक ही अर्थ है कि हम जीवनकी कला सीख सकें। एक घरमें बहुत दिनोंसे एक वीणा रखी थी। उस घरके लोग भूल गये थे, उस वीणाका उपयोग। पीढिय़ों पहले कभी कोई उस वीणाको बजाता रहा होगा। अब तो कभी कोई भूलसे […]
सम्पादकीय
राहतकारी संकेत
यद्यपि देशमें कोरोना संक्रमितोंका आंकड़ा दो करोड़से ऊपर पहुंच गया है लेकिन इसकी रफ्तारमें कमी राहतका संकेत है। एक पखवारेके अन्दर ही संक्रमणके ५० लाखसे अधिक नये मामले सामने आये हैं। मंगलवारको स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टेके दौरान तीन लाख ५७ हजार २२९ नये मामले दर्ज किये गये और इसी अवधिमें […]
चुनाव नतीजोंमें छिपे भविष्यके संकेत
राजेश माहेश्वरी भाजपाने अपनी अधिकतम ताकत पश्चिम बंगालको फतह करनेमें लगा दी थी। वह अलग बात है कि उसके विधायकोंकी संख्या बढ़ गयी। ममता बनर्जी हालांकि स्वयं नंदीग्रामसे चुनाव हार गयीं परन्तु उनकी पार्टी तीसरी बार अच्छे बहुमतके साथ सत्ता हासिल करनेमें कामयाब रही। वहीं तमिलनाडुमें पहली बार बड़े कद्दावर राजनेताओंकी अनुपस्थितिमें लड़े गये चुनावमें […]
महामारीको भुनाते मानवताके दुश्मन
डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा आज सारी दुनिया कोरोनाकी दूसरी लहरसे ग्रसित है। भारतमें कोरोनाकी दूसरी लहरके चलते हो रहे हालातोंको देखते हुए दुनियाके देश सहायताके लिए आगे आ रहे हैं वहीं देशमें ही कुछ लोग मानवताको शर्मसार करनेमें कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। देशके कोने-कोनेसे यह समाचार आम है कि आक्सीजन सिलेण्डर नहीं मिल […]
भाजपाकी महत्वाकांक्षाओंको बड़ा झटका
योगेश कुमार गोयल पश्चिम बंगालमें ममता बनर्जीने ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसकी अधिकांश राजनीतिक पंडितोंने उम्मीदतक नहीं की थी। दरअसल विश्लेषकोंके अलावा भाजपा भी यही मानकर चल रही थी कि ममताके दस वर्षोंके शासनकालके दौरान लोगोंमें उनके प्रति नाराजगी है और राज्यमें सत्ताविरोधी लहर है लेकिन तृणमूलने चुनावमें जबरदस्त कांटेकी टक्कर दिखनेके बावजूद पिछली […]
धर्मकी महत्ता
श्रीराम शर्मा स्वार्थ और अहंकारसे मुक्त होकर औरोंके लिए जो कष्ट उठाया जाता है, वही सच्चा धर्म है। धर्म है औरोंके लिए, राष्ट्र, विश्व, स्वयंका उत्सर्ग। यह प्रक्रिया अत्यंत कष्टदायी अवश्य है, परन्तु इसीमें सुख, शांति एवं संतोष मिलता है। ऐसेमें धर्म कष्टों अथवा संकटोंसे घिरा अवश्य होता है, धर्मके पालनसे कठिनाई अवश्य होती है, […]
संक्रमणमें कमी
कोरोना वायरसकी अनियंत्रित रफ्तारमें कमी आना सुखद और राहतकारी है। यदि कमीका यह सिलसिला आगे भी बना रहता है तो इसे अच्छे संकेतके रूपमें स्वीकार किया जा सकता है। सोमवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी ताजे आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें कोरोनाके तीन लाख ६८ हजार १४७ नये मामले सामने आये और इसी अवधिमें ३४१७ […]
चुनाव परिणामोंकी प्रतिध्वनि
ए. कुमार चार राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेशके चुनाव परिणामोंका विश्लेषण बता रहीं थी की केरल हर पांच वर्षपर सत्ता बदलनेकी परम्पराको इस बार तोड़ेगा। तमिलनाडुमें न अन्नाद्रमुक सरकारके विरुद्ध व्यापक माहौल था और न द्रविड़के पक्षमें। बावजूद द्रमुकका पलड़ा भारी था। २०१६ में जयललिताके नेतृत्वके प्रभावमें तमिलनाडुने सत्तापरिवर्तनकी परम्पराको तोड़ा था। मुख्य मंत्री पलनीस्वामीके […]
संवैधानिक जिम्मेदारीका निर्वहन
आर.के. सिन्हा वैश्विक महामारीसे लडऩेका एकमात्र रास्ता राजनीतिक भेदभाव भुलाकर मिल-जुलकर कोरोनाका मुकाबला करनेका है। परन्तु सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मौकेको अपने लाभके लिए भुनाना चाहते हैं। यह दोनों कोरोनाके कारण देशमें उत्पन्न स्थितिके लिए लगातार केन्द्र सरकारको दोषी बता रहे हैं। यदि इन्हें भारतके संविधानकी रत्तीभर भी समझ होती तो ये शांत […]
तुष्टीकरणकी राजधानीमें सशक्त विपक्ष
प्रवीण गुगनानी पिछले वर्षोंमें सम्पूर्ण भारतमें तुष्टीकरणकी राजनीतिकी राजधानी बनकर कोई राज्य उभरकर आया है तो वह राज्य है पश्चिम बंगाल। तुष्टीकरणकी राजनीतिकी प्रयोगशाला या राजधानी बनकर उभरा पश्चिम बंगाल इस घृणित राजनीतिकी एक बड़ी कीमत चुका बैठा है एवं आगामी दिनोंमें भी चुकायगा यह स्पष्ट दिख गया है इस विधानसभा चुनावके परिणाममें। अंतत: ममता […]