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Cheetah Project के प्रमुख बोले- चीतों का मानव के साथ संघर्ष का नहीं रहा कोई इतिहास


नई दिल्ली, हाथी और बाघ जैसे वन्यजीवों के साथ मनुष्यों के संघर्ष की घटनाएं वैसे तो अक्सर देखने और सुनने को मिलती है, लेकिन चीतों के साथ ऐसा नहीं है। देश में वैसे तो चीता करीब 70 सालों से नहीं है, लेकिन दुनिया में भी अब तक ऐसी कोई घटना रिपोर्ट नहीं हुई है, जिसमें चीता ने मनुष्य को मार डाला हो। यह दावा चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख व वन्यजीव विशेषज्ञ एसपी यादव का। उनका कहना है कि चीता वैसे भी छोटे शिकार पसंद करता है। वह बड़े पालतू पशुओं पर भी हमला नहीं करता है।

कूनों में चीतों के लिए पर्याप्त भोजन

चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख की मानें तो वन्यजीवों के साथ मानव का संघर्ष वैसे भी तब होता है, जब मानव वन क्षेत्र में हस्तक्षेप करता है या फिर वन्यजीव मानव बस्तियों की ओर जाता है। फिलहाल चीतों के साथ ही ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है, क्योंकि कूनो में कोई ऐसे दाखिल नहीं हो सकता है। उसकी सीमाओं को सुरक्षित किया किया गया है। वहीं कोई भी वन्यजीव मानव बस्तियों की ओर तभी जाता है, जब उसे जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। कूनो में ऐसा नहीं है। चीतों के लिए वहां पर्याप्त और पसंदीदा भोजन मौजूद है। इसके साथ ही चीतों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए उन्हें कॉलर आइडी से भी लैस किया गया है। यदि वह गांवों की ओर जाएंगे तो तुरंत पता चल जाएगा और गांवों को तुरंत अलर्ट कर दिया जाएगा।

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कूनो के आसपास चीता मित्र तैनात

उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत कूनो के आसपास के प्रत्येक गांवों में चीता मित्र भी तैनात किए गए है। जो चीतों के गांव को ओर होने वाले किसी मूवमेंट का पता चलने पर तुरंत वन महकमे को अलर्ट करेगा। जिसके बाद चीतों को तुरंत ही संरक्षित वन क्षेत्र में लाया जाएगा। एक सवाल के जवाब में यादव ने बताया कि वैसे तो चीता किसी भी बड़े पालतू पशु को शिकार नहीं बनाता है लेकिन यदि वह उनके बच्चों या फिर बकरी आदि को शिकार बनाते है, तो पशु पालक को उसका मुआवजा भी दिया जाएगा। इसके लिए वन महकमे की एक गाइडलाइन भी है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग कूनो में तेंदुओं की उपस्थिति को लेकर भी सवाल खड़ा रहे है, लेकिन उन्हें तेंदुओं से कोई खतरा नहीं है। नामीबिया के जिन अभयारण्यों ने इन्हें लाया जा रहा है, वह वहां शेर और बाघों के साथ रहते है।