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CJI ललित की नई लिस्टिंग सिस्टम पर पीठ की नाराजगी, न्यायाधीशों के बीच मतभेद की स्थिति


नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटान के लिए मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित द्वारा पेश किए गए एक नए केस लिस्टिंग तंत्र पर अपने न्यायिक आदेश में नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत में वर्तमान में वरिष्ठता में तीसरे नंबर के न्यायाधीश संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया, ‘नई लिस्टिंग प्रणाली इस तरह की सुनवाई के लिए तय मामलों को लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रही है।’

दो शिफ्ट में काम कर रहे न्यायाधीश

बता दें कि 13 सितंबर को आदेश पारित करने वाली पीठ ने मामले को 15 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। नई व्यवस्था के तहत शीर्ष अदालत के न्यायाधीश दो अलग-अलग शिफ्ट में काम कर रहे हैं। नई प्रणाली में यह प्रावधान है कि प्रत्येक सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को 30 न्यायाधीशों को दो के संयोजन में बैठना होगा और प्रत्येक पीठ के 60 से अधिक विविध मामलों को देखना होगा, जिसमें नई जनहित याचिकाएं भी शामिल हैं।

सभी मामलों के निपटान पर जोर

इसके साथ ही नया तंत्र यह भी निर्धारित करता है कि मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को न्यायाधीश तीन न्यायाधीशों के संयोजन में बैठेंगे और पहले (सुबह के सत्र में) विस्तृत सुनवाई के मामले लेंगे जो आम तौर पर पुराने मामले दोपहर 1 बजे तक लंबित होते हैं। दोपहर के भोजन के बाद के सत्र (दोपहर के सत्र) में न्यायाधीश दो-न्यायाधीशों के संयोजन में बैठेंगे और पहले स्थानांतरण याचिकाओं और फिर नए मामलों से संबंधित मामलों को लेना शुरू करेंगे।

5 हजार से अधिक मामलों का निपटारा

सूत्रों के अनुसार, 27 अगस्त को जस्टिस ललित के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालने के बाद से नई प्रणाली के साथ शीर्ष अदालत कुल 5,000 से अधिक मामलों का निपटान करने में सफल रही है। CJI ललित के शपथ लेने के बाद से शीर्ष अदालत के 13 कार्य दिवसों में 3,500 से अधिक विविध मामलों, 250 से अधिक नियमित सुनवाई मामलों और 1,200 से अधिक स्थानांतरण याचिकाओं का निपटारा किया गया है।