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CWC Meet : कांग्रेस कार्य समिति की बैठक खत्‍म, पांच राज्‍यों में हार के कारणों पर हुआ मंथन


नई दिल्‍ली, । पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद रविवार को कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में हार के कारणों की समीक्षा के साथ ही भविष्‍य की रणनीति पर मंथन हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, हरीश रावत, मल्लिकार्जुन खड़गे और अंबिका सोनी समेत कई वरिष्‍ठ नेता मौजूद रहे।

मनमोहन सिंह समेत ये नेता नहीं थे मौजूद 

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) एवं तीन अन्य कांग्रेस नेता पार्टी कार्य समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए। कांग्रेस नेता एके एंटनी बैठक में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई थी।

राहुल को अध्‍यक्ष बनाए जाने की मांग 

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक से इतर राहुल गांधी को अध्‍यक्ष बनाए जाने की मांग उठी। कुछ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पार्टी के मुख्यालय के नजदीक जमा होकर राहुल गांधी को अध्‍यक्ष बनाए जाने के समर्थन में नारेबाजी की। इसमें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नेता अलका लांबा, अनिल भारद्वाज समेत कई अन्य नेता शामिल थे। इन नेताओं ने राहुल गांधी के समर्थन में धरना भी दिया। अलका लांबा का कहना था कि कांग्रेस का आम कार्यकर्ता राहुल को अध्‍यक्ष के तौर पर देखना चाहता है।

गहलोत ने भी राहुल के पक्ष में बुलंद की आवाज 

बैठक से पहले राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि चुनाव में हार-जीत होती रहती है। एक वक्‍त था जब भाजपा ने 542 में से केवल दो सीटें जीती थी। भाजपा धर्म की राजनीति करती हैं देशवासियों को यह बात देर-सबेर समझ में आएगी। हमारा रास्ता एकता और अखंडता का है। पीएम मोदी और केजरीवाल एक जैसा बोलते हैं। आग लगाना काफी आसान काम होता है लेकिन उसे बुझाना काफी मुश्किल होता है। राहुल गांधी को अध्यक्ष बनना चाहिए। इससे पार्टी एकजुट रहेगी…

असंतुष्‍ट गुट भी सक्रिय

इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस के असंतुष्‍ट गुट यानी जी-23 समूह के वरिष्‍ठ नेताओं की बैठक हुई जिसमें भावी रणनीति पर मंथन हुआ। गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई इस बैठक में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे दिग्‍गज शामिल हुए थे। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने उन रिपोर्टों को फेक बताया जिसमें गांधी परिवार के सदस्यों के सभी संगठनात्मक पदों से इस्तीफा देने की बात कही गई थी।