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India France Relations: भारतीय सेना को किसने दिया राफेल, म‍िराज, जुगआर, हैमर मिसाइल, स्कार्पीन?


नई दिल्‍ली, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की फ्रांस की यात्रा काफी अहम और उपयोगी मानी जा रही है। खास बात यह है कि पीएम मोदी द्वारा हाल ही में की गई फ्रांस यात्रा के बाद अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया के तहत भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए फ्रांस सहमत हुआ है। पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा ऐसे समय हुई है, जब रूस यूक्रेन जंग के दौरान अमेरिका और भारत के रिश्‍ते में थोड़ी सी दूरी देखी गई है। अमेरिकी सरकार ने कई बार रूस और यूक्रेन जंग के मामले में भारत की नीति पर अपनी गहरी आपत्ति दर्ज की है। ऐसे में विशेषज्ञों का मत है कि भारत की सामरिक रणनीति को संतुलित करना बेहद जरूरी हो गया था। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी की इस यात्रा के बड़े मायने क्‍या है? भारत और फ्रांस के बीच किस तरह का सैन्‍य सहयोग है? रूस यूक्रेन जंग के दौरान यह यात्रा भारत के लिए कितना उपयोगी साबित होगी? फ्रांस के किन प्रमुख हथियारों ने बढ़ाई है भारत की ताकत? कैसे वर्षों से फ्रांस करता रहा है भारत का समर्थन?

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत फ्रांस के साथ रिश्ते बेहद करीब रहे हैं। वर्ष 1998 में इन दोनों मुल्‍कों ने रणनीतिक साझेदारी के दौर में प्रवेश किया था। फ्रांस लंबे समय से भारत का अहम रक्षा पार्टनर रहा है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में भारत-फ्रांस के बीच हुई राफेल फाइटर प्लेन डील हुई थी। यह रक्षा सौदा काफी सुर्खियों में रहा था। इसके अलावा भारतीय वायु सेना में फ्रांस के मिराज फाइटर लड़ाकू विमान लंबे समय से भारतीय वायु सेना की ताकत रहे हैं।

2- उन्‍होंने कहा कि फ्रांस भारत का महत्वपूर्ण रक्षा पार्टनर है। हालांकि रूस भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है और भारत अपने सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने फ्रांस से भी भारी तादाद में हथियार खरीदे हैं। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-2021 के दौरान रूस के बाद फ्रांस भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर रहा। 2016-2020 के दौरान भारत की फ्रांस से हथियारों की खरीद में बढ़ोतरी हुई है।

3- इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017-2021 के दौरान भारत की रूस से हथियार सप्लाई में 47 फीसद तक की गिरावट आई है, जबकि इस दौरान भारत की फ्रांस से हथियार खरीद में 10 गुना बढ़ोतरी हुई। भारतीय वायु सेना में दुश्‍मनों के दिल दहला देने वाले लड़ाकू विमान मिराज से लेकर राफेल तक फ्रांस ने दिए हैं। फ्रांस भारत को कई मारक हथियार सप्लाई कर चुका है। भारतीय वायु सेना का युद्धक विमान मिराज ने 1999 में कारगिल में पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे। राफेल की करतब और सैन्‍य क्षमता से चीन भी थर्राता है।

4- उन्‍होंने कहा कि कूटनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो हिंद प्रशांत के मुद्दे पर यूरोपीय देशों का समर्थन जुटाना भारत के लिए कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी को लेकर अपना रुख साफ कर चुके हैं कि वह भारत के साथ हैं। उन्‍होंने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र भौगोलिक और सामरिक लिहाज से बेहद संवेदनशील है। इस विशाल भूभाग में चीन की बढ़ती दिलचस्‍पी से भारत समेत दुनिया के अन्‍य मुल्‍क चिंतित हैं। दक्षिण चीन सागर में तो पहले ही उसने अपने सैन्य अड्डे बना लिए हैं। इससे भारत की चिंता और बढ़ी है।

 

फ्रांस के इन हथियारों से मजबूत हुई भारतीय सेना

 

1- भारत ने वर्ष 2016 में फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन की खरीद के लिए करीब 59 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया था। फरवरी 2022 तक भारत को 35 राफेल मिल चुके हैं। राफेल का निर्माण भी मिराज बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसा एविएशन ने किया है। राफेल कई घातक हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम, दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर प्लेन में से एक है। इसे भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किया गया है, जो दूरी के लिहाज से पाकिस्तान और चीन दोनों के करीब पड़ता है। राफेल की मारक रेंज 3,700 किलोमीटर है। इसमें तीन तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियार, हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प और हैमर मिसाइल। राफेल स्टार्ट होते ही महज एक सेकेंड में 300 मीटर ऊंचाई पर पहुंच सकता है। इसका रेट आफ क्लाइंब चीन-पाकिस्तान के पास मौजूद आधुनिक फाइटर प्लेन्स से भी बेहतर है। राफेल कई मामलों में चीन के सबसे ताकतवर फाइटर प्लेन J20 और पाकिस्तान के F-16 से बेहतर है। चीन के J20 को वास्तविक लड़ाई का अनुभव नहीं है, जबकि फ्रेंच एयर फोर्स राफेल का इस्तेमाल अफगानिस्तान, लीबिया और माली में कर चुकी है। वहीं चकमा देने की लड़ाई में राफेल अमेरिका में बने पाकिस्तानी F-16 फाइटर प्लेन को भी मात दे सकता है। राफेल को पहाड़ पर बेहद कम जगह में भी उतार सकते हैं और समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर भी उतारा जा सकता है।

2- मिराज 2000 भारतीय वायु सेना के सबसे उम्‍दा और खतरनाक युद्धक विमानों में से एक है। इस विमान को भी फ्रांस की कंपनी दसा एविएशन ने बनाया है। मिराज को भारतीय वायु सेना में पहली बार वर्ष 1985 में शामिल किया गया था। भारतीय वायु सेना ने इसका नाम वज्र रखा है। भारत ने 1982 में फ्रांस से 36 सिंगल सीटर और 4 ट्विन सीटर मिराज 2000 की खरीद के आर्डर किए थे। भारत ने ये फैसला पाकिस्तान को अमेरिका से F-16 फाइटर जेट की खरीद के बाद किया था। भारतीय वायु सेना में मिराज युद्धक विमानों की संख्या 50 तक पहुंच गई थी। मिराज विमानों ने वर्ष 1999 में कारगिल की जंग में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस विमान ने पाकिस्तानी सेना के कई बंकरों को तबाह किया था। 2020 में पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों को निशाना बनाते हुए की गई एयर स्ट्राइक में भी भारत ने मिराज का ही इस्तेमाल किया था।

3- जगुआर फाइटर जेट को ब्रिटिश वायु सेना और फ्रांस की वायु सेना ने मिलकर बनाया है। अब जगुआर के अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायु सेना ही कर रही है। 90 के दशक में जगुआर भारतीय वायु सेना की ताकत रहा है। उसने कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई। जगुआर निगरानी और बमबारी दोनों में दक्ष है। यह बेहद कम ऊंचाई पर उड़ने, रडार को चकमा देने और टारगेट पर सटीक निशाना लगाने की क्षमता ही इसे खास बनाती है। भारतीय वायु सेना में इसे शमशेर नाम से जाना जाता है। भारतीय वायु सेना जगुआर का इस्तेमाल मुख्य रूप से ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट के रूप में करती है। भारतीय वायु सेना ने हाल ही में अपने पूरे जगुआर बेड़े में एवियोनिक्स सपोर्ट जोड़ते हुए उसे अपग्रेड किया है।

फ्रांस की हैमर मिसाइल एयर-टु-सरफेस मिसाइल है, जिसे फ्रांस के सैफरैन ग्रुप ने बनाया है। हैमर एक फायर एंड फरगेट मिसाइल है और एक ही समय में कई निशानों को भेद सकती है। यह गतिशील और स्थिर दोनों टारगेट को भेदने में सक्षम है। तेजस में हैमर मिसाइल इंटीग्रेड होने के बाद ये 70 किलोमीटर तक की रेंज में जमीनी टारगेट और बड़े बंकरों को तबाह करने में सक्षम होगा। भारत ने ये कदम चीन के साथ हालिया सीमा विवाद के बीच उठाया है। हैमर मिसाइल का इस्तेमाल कम ऊंचाई और भारत-चीन सीमा के पहाड़ी इलाकों जैसी जगहों पर किया जा सकता है। हैमर में 125 किलोग्राम से लेकर 1,000 किलोग्राम तक के कई तरह के बम लगाए जा सकते हैं। भारत ने हाल ही में फ्रांस से अपने लाइट काम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस में इंटीग्रेड करने के लिए हैमर मिसाइलों को खरीदने का करार किया है। फ्रांस ने राफेल के साथ भारत को कुछ हैमर मिसाइलें भी दी हैं।

5- भारत ने 2005 में फ्रांस के नवल ग्रुप से स्कार्पीन-क्लास सबमरीन बनाने के लिए 3.75 अरब डालर, यानी करीब 28.6 हजार करोड़ का समझौता किया था। इन सबमरीन को पब्लिक सेक्टर की कंपनी मझगांव डाक शिपबिल्डर्स ने फ्रांस के सहयोग से स्वेदश में ही बनाया है। स्कार्पीन श्रेणी की सबमरीन युद्ध के कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकती हैं। यह सबमरीन एंटी-सरेफस, एंटी-सबमरीन वारफेयर, स्पेशल आपरेशन, खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, माइंस बिछाने के काम आ सकती हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत चार सबमरीन इंडियन नेवी में शामिल हो चुकी हैं। आइएनएस कलवरी, आइएनएस खंडेरी, आइएनएस करनज और आइएनएस वेला और आइएनएस वागीर को नवंबर 2020 में लांच किया गया था। अभी इसका ट्रायल चल रहा है। इसके 2022 के अंत तक नेवी में शामिल होने की उम्मीद है। स्कार्पीन श्रेणी की सबमरीन युद्ध के कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकती हैं। अप्रैल 2022 में भारत ने स्कॉर्पीन क्लास की छठी और आखिरी सबमरीन आएएनएस वाग्शीर को लांच किया है, जिसके 2024 तक इंडियन नेवी में शामिल होने की उम्मीद है।