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Maharashtra : एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को भेजे शुभकामना संदेश में नहीं लिखा शिवसेना प्रमुख


मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को उनके जन्म दिन पर ट्वीटर संदेश के जरिए बधाई दी है। बुधवार को उद्धव ठाकरे ने अपने जीवन के 62 वर्ष पूरे किए हैं। एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सुबह ही अपने ट्वीटर पर लिखा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। मैं मां जगदंबा से उनके निरोगी दीर्घजीवन के लिए प्रार्थना करता हूं। बता दें कि इस ट्वीट में शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नाम से पहले ‘पूर्व मुख्यमंत्री’ तो लगाया है, लेकिन ‘शिवसेना प्रमुख’ नहीं लगाया है।

जबकि कुछ दिनों पहले शिवसेना की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित करते हुए शिंदे ने अपने लिए ‘मुख्य नेता’ का पद लिखा था, और शिवसेना प्रमुख पद का उल्लेख भी नहीं किया था। इन दिनों राज्य विधानसभा एवं लोकसभा में दो तिहाई सदस्यों को अपने गुट में शामिल करने के बाद एकनाथ शिंदे अब संगठन पर भी कब्जे के लिए प्रयासरत हैं। शिवसेना के दोनों गुटों की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ अब चुनाव आयोग के सामने भी पहुंच चुकी है। वहीं, असली शिवसेना के रूप में मान्यता के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही के विरुद्ध उद्धव ठाकरे गुट की नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट एक अगस्त को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है।

ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग के समक्ष जारी कार्यवाही पर रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि उसका यहां मामले की सुनवाई पर असर पड़ेगा।

लोगों पर आंख मूंदकर भरोसा करना मेरी गलती थी : उद्धव

इससे पहले सामना के कार्यकारी संपादक एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि लोगों पर आंख मूंदकर भरोसा करना ही मेरी गलती थी। लोगों ने उस समय मुझे सत्ता से बेदखल करने की साजिश रची, जब मैं बहुत बीमार था। उद्धव ने यह बात शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए साक्षात्कार में कही है।

इस दौरान उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि बालासाहब ठाकरे ही इनको संबल दे रहे थे। बालासाहब ही इनको बचाते थे। सिर्फ हिंदुत्व के जुनून में, मोह में। पर दिल्ली में बैठने के बाद आप उसी को खत्म करने निकले हो, जिसने आपको संबल दिया।

जिस शिवसेना ने और शिवसेना प्रमुख ने बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी ली, उसी शिवसेना को आप हिंदुत्व छोड़ दिया कहकर खत्म करने निकले हो। हम कांग्रेस के साथ गए, तो कहते हो कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया। लेकिन आप महबूबा मुफ्ती के साथ गए, तो वह क्या था? वो महबूबा मुफ्ती आज भी वंदेमातरम कहती हैं क्या? इसी साक्षात्कार में उद्धव ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना कहा कि जिसे मैंने अधिकार दिया, उसी ने मुझसे विश्वासघात किया। गलती मेरी है कि मैंने उन लोगों को परिवार समझकर उनपर अंधविश्वास किया।