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Maharashtra : राज ठाकरे से मिले देवेंद्र फडणवीस, बन सकते हैं नए समीकरण


मुंबई, । महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे से उनके घर जाकर मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान मनसे के एकमात्र विधायक को एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल करने पर बात हुई है। राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात राज्य में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है।

 

शर्मीला ठाकरे ने आरती उतारकर किया स्वागत

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे के दादर स्थित आवास शिवतीर्थ पर जाकर उनसे मुलाकात की। राज ठाकरे के घर पहुंचने पर उनकी पत्नी शर्मीला ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का आरती उतारकर व टीका लगाकर तथा खुद राज ठाकरे ने उन्हें भगवा शाल उढ़ाकर उनका स्वागत किया। कुछ ही दिनों पहले राज ठाकरे का एक आपरेशन हुआ था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि फडणवीस राज के घर उनके स्वास्थ्य का हालचाल जानने पहुंचे थे, लेकिन करीब डेढ़ घंटे चली इस मुलाकात में राजनीतिक चर्चाओं से भी इन्कार नहीं किया जा रहा है।

शिंदे मंत्रिमंडल में मनसे विधायक को मिल सकता है स्थान

माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच मनसे के एकमात्र विधायक को एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में स्थान देने पर चर्चा हुई है। क्योंकि हाल के सत्ता परिवर्तन के दौरान राज ठाकरे की पार्टी भाजपा को समर्थन करती रही है। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से लेकर सरकार के विश्वासमत तक में मनसे विधायक राजू पाटिल ने शिंदे सरकार के पक्ष में ही मतदान किया था। अब राष्ट्रपति चुनाव में भी मनसे विधायक राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे। उससे पहले 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव व 20 जून को हुए विधानपरिषद चुनाव में भी राज ठाकरे का समर्थन भाजपा के ही साथ था।

शिवसेना पर भारी पड़ सकता है यह गठबंधन

पिछले एक माह में महाराष्ट्र में घटी राजनीतिक घटनाओं में चाणक्य बनकर उभरे देवेंद्र फडणवीस के संबंध राज ठाकरे से अच्छे माने जाते हैं। शिवसेना के दोफाड़ होने के बाद यदि मुंबई और शेष महाराष्ट्र में राज ठाकरे का साथ शिवसेना शिंदे गुट व भाजपा को मिल जाता है, तो जमीनी स्तर पर शिवसेना उद्धव गुट की जड़ें हिलाने में यह गठबंधन सफल हो सकता है। खासतौर से मुंबई मेट्रोपालिटन रीजन की सभी महानगरपालिकाओं के चुनाव में शिवसेना का एक बड़ा वोटबैंक इस ओर आकर्षित हो सकता है। अगले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन शिवसेना पर भारी पड़ सकता है।