Latest News नयी दिल्ली बिजनेस राष्ट्रीय

Reliance Capital का लोन एआरसी को बेचने की तैयारी में LIC, परेशानी में कर्जदाता


नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआइसी ने कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) के 3,400 करोड़ रुपये के सुरक्षित मूल कर्ज को संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसी) को बेचने की प्रक्रिया शुरू की है। बोली जमा करने की सीमा से कुछ ही दिन पहले एलआइसी की इस पहल से कर्जदाता और बोलीदाता परेशान हैं।

आरसीएल और उसकी सब्सिडियरी के लिए बोली जमा करने की अंतिम तिथि 28 नवंबर है। सूत्रों ने कहा कि एलआइसी आरसीएल में अपने कर्ज को बेचने के लिए एआरसी से बोलियां आमंत्रित करने के लिए स्विस चुनौती प्रक्रिया अपना रही है। संभावित बोलीदाताओं को पेशकश बेहतर करने को कहा जाएगा।

jagran

क्या है स्विस चुनौती

स्विस चुनौती नीलामी प्रक्रिया बोली लगाने का एक तरीका है। इसे अक्सर सार्वजनिक परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें इच्छुक पक्ष संबंधित अनुबंध या परियोजना के लिए बोली शुरू करता है। उसके बाद परियोजना का विवरण सार्वजनिक किया जाता है। इसमें रुचि रखने वाले अन्य लोगों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं।

चिंतित हैं बोलीदाता

बोलियों की प्राप्ति पर पहले बोलीदाता को बेहतर बोली का मिलान करने का अवसर मिलता है। बोली जमा करने की अंतिम तिथि 25 नवंबर है। सूत्रों के अनुसार, एलआइसी के इस कदम से कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) परेशान है। एलआइसी सीओसी की सदस्य है और बाध्यकारी बोली से तीन दिन पहले सौदे को अंतिम रूप देने का प्रयास अन्य सदस्यों तथा बोलीदाताओं के लिए परेशानी की बात है।

रिलायंस पावर को राहत

उधर अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड को एक मामले में राहत मिली है। पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (पीसीएचएफएल) ने दिवालिया संहिता, 2016 की धारा 7 के तहत रिलायंस पावर लिमिटेड के खिलाफ किए गए आवेदन को वापस ले लिया है। ऐसा रिलायंस पावर और उसकी सहायक कंपनी रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड (आरएनआरएल) द्वारा 526 करोड़ रुपये के ऋण चूक पर दोनों कंपनियों के बीच अदालत के बाहर हुए एक समझौते के तहत किया गया है।

 

इसी साल मार्च में पीरामल कैपिटल ने बकाया वसूलने के लिए एनसीएलटी मुंबई में आइबीसी, 2016 की धारा 7 के तहत रिलायंस पावर के खिलाफ दिवालिया की कार्यवाही शुरू करने की अर्जी दी थी। पीरामल कैपिटल के आवेदन पर जुलाई में सुनवाई के दौरान दोनों कंपनियों ने नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) को सूचित किया था कि वे आपसी सहमति से मामले को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।