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UP Elections: 31 अक्टूबर को जारी होगा RLD का घोषणापत्र,


  • यूपी चुनाव 2022: मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पार्टी मानी जाने वाली आरएलडी घोषणापत्र को लेकर लोगों की राय लेने के लिए 2 अक्टूबर को बड़ा अभियान चलाएगी.

यूपी चुनाव 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोकदल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर घोषणापत्र जारी करेगा. घोषणापत्र तैयार करने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयन्त चौधरी 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन यूपी के सभी ग्राम पंचायत प्रधानों को पत्र लिख कर उनकी राय लेंगे. आरएलडी पहले ही एलान कर चुकी है कि किसानों और युवाओं को केंद्र में रख कर घोषणापत्र तैयार करने वाली है.

2 अक्टूबर को बड़ा अभियान चलाएगी RLD

मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पार्टी मानी जाने वाली आरएलडी घोषणापत्र को लेकर लोगों की राय लेने के लिए 2 अक्टूबर को बड़ा अभियान चलाएगी. गांधी जयंती के दिन जयन्त चौधरी पूरे राज्य के 58,189 ग्राम प्रधानों को पत्र लिखेंगे और घोषणापत्र के लिए उनकी राय लेंगे. इसके अलावा आरएलडी द्वारा एक ऑनलाइन लिंक जारी किया जाएगा जिसके माध्यम से प्रदेश के 5 लाख परिवारों तक पहुंच कर घोषणा पत्र पर सर्वेक्षण किया जाएगा और सुझाव लिए जाएंगे.

चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद हो रहे पहले चुनाव में जयंत चौधरी के नेतृत्व की परीक्षा होनी है. किसान आंदोलन के कारण आरएलडी के पास पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वापसी करने का सुनहरा मौका है. जयंत लगातार क्षेत्र में घूम भी रहे हैं. उन्हें इस बात का एहसास है कि अगर इस बार भी कामयाबी नहीं मिली तो पार्टी के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाएगा. यूपी विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और आरएलडी के बीच गठबंधन का एलान हो चुका है लेकिन अभी तक सीटों का बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

बीजेपी से छिटककर आरएलडी का रुख कर सकते हैं जाट वोटर

किसान आंदोलन के कारण माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटर बीजेपी से छिटक कर वापस अपनी परंपरागत पार्टी यानी आरएलडी का रुख कर सकती है. समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन के कारण जाट और मुस्लिम वोटर के साथ आने की सम्भावना बन गई है. इसके कारण आरएलडी के खेमे में उत्साह है. हालांकि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के कारण जाट-मुस्लिम वोटर को एकजुट करना इतना आसान भी नहीं रहने वाला. इसी वजह से जयंत चौधरी दलित समाज और अन्य दूसरी जातियों के किसान और युवा वर्ग पर भी फोकस कर रहे हैं. इसके लिए यात्राओं और घोषणपत्र का सहारा लिया जा रहा है.