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WhatsApp पर भारत सरकार सख्त, IT मंत्रालय ने कहा- निजात का सम्मान, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा भी जरूरी है


आईटी मंत्रालय ने कहा है कि सरकार सबके निजता के अधिकार का सम्मान करती है और उसके उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं है. सरकार का कहना है कि जब घटना की जांच में ही व्‍हाट्सऐप को ये बताने की जरूरत पड़ेगी कि गडबड़ी फैलाने वाले मैसेज की शुरुआत कहां से हुई है. व्‍हाट्सऐप मैसेज यानि संदेश कहां से शुरू हुआ इसकी सूचना तभी मांगी जाएगी जब भारत की सार्वभौमिकता और अखंडता पर कोई गंभीर चोट पहुंचाने वाली घटना होगी और जिन्हें रोकना, जांच करना और सजा सुनाने के लिए संदेश का ऑरिजिन जानना जरुरी होगा. भारत सरकार ने ये साफ कर दिया है कि निजता का अधिकार भारत के नागरिकों का मूलभूत अधिकार है. केन्द्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का मानना है कि सरकार हर नागरिक की निजता का सम्मान करती है लेकिन सरकार के कंधों पर देश की कानून और व्यवस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है. रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि सरकार का कोई भी नियम या कानून व्‍हाट्सऐप की नार्मल काम काज पर असर नहीं डालेगा और आम आदमी पर भी इसका कोई असर नहीं पडेगा. सरकार का कहना है कि सभी मौजूदा कानूनों के मुताबिक संविधान के तहत दिया गया कोई भी मूलभूत अधिकार जिसमें निजता का अधिकार भी है, उसकी सीमा तय करना जरूरी होता है. इसलिए निजता सहित किसी भी मूलभूत अधिकार के तहत एक जिम्मेदारी पूर्ण रोक जरूरी है. इसलिए सरकार के नए दिशा-निर्देशों में मैसेज के ऑरिजिनेटर के बारे में जानकारी लेना इसी जिम्मेदारी पूर्ण रोक का हिस्सा है. जब सूचना देने वाले का किसी भी जांच में पता नहीं चलता तो फिर संदेश के शुरू करने वाले के बारे मे पूछना जरूरी हो जाता है.

जनता के हित में ये नए नियम बनाए गए हैं

ये बात गौर करने वाली है कि सबसे पहले संदेश को ढूंढना किसी भी जांच को सफल बनाने के लिए जरूरी है क्योंकि ये तभी जानने की कोशिश की जाएगी जब देश की एकता और अखंडता पर चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही हो. जनहित में जरूरी है कि जिसने भी किसी भी प्रकार की कोई शरारत पूर्ण हरकत की हो जिसके चलते अपराध हुआ है तो उसे ढूंढ निकलना और सजा देना जरूरी होता है. हम इस बात को नकार नहीं सकते कि मॉब लिंचिंग और दंगे भड़के क्योंकि व्‍हाट्सऐप संदेश बहुत तेजी से फैले. व्‍हाट्सऐप ने तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए और समय मांगा है लेकिन संदेश शुरू करने वाले के बारे में पता करने का कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया. इसलिए आईटी मंत्रालय के नियम पालकी मियाज खत्म होने के ठीक पहले व्‍हाट्सऐप का ये दुखद कोशिश है नियमों को लागू करने से रोकने की.भारत के नियमों पर न चलने का व्‍हाट्सऐप का इरादा भी साफ हो गया है. एक तरफ व्‍हाट्सऐप ऐसी निजता की वकालत करता है जिसमें वो अपने सभी इस्तेमाल करने वालों का डेटा अपनी पेरेंट कंपनी फेसबुक के साथ बांटने की तैयारी में है और दूसरी तरफ अपनी मध्यस्थ के संबंध में भारत सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रही ताकि फेक न्यूज का पता चले. ये संदेश के ऑरिजन को लेकर ये नियम सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के लिए हैं. भारत सरकार अपने नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा करना चाहती है और अब व्‍हाट्सऐप को तय करना है कि कैसे एनक्रिप्शन करें. एक सोशल मीडिया कंपनी होने के नाते व्‍हाट्सऐप अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है.

अंतर्राष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखते हुए बनाए गए कानून

भारत में बने ये कानून दुनिया के दूसरे देशों में भी बने हैं. ये नियम भारत सरकार ने जनहित में बनाए हैं. यहां तक कि भारत में सरकार द्वार बनाए गए नियम कई देशों की तुलना में थोड़े नरम भी हैं. जुलाई 2019 मे अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में सरकारों ने एनक्रिप्शन और शिकायत ऑथोरिटी बनाने की बात की थी. ब्राजील में ऐजेंसियां ने व्‍हाट्सऐप को कहा है कि वो संदिग्ध आईपी एड्रेस, फिजिकल लोकेशन जैसी जानकारियां मांगी थी.

इसीलिए सरकार का आरोप है कि इंटरमीडियरी गाइडलाइन को लेकर व्‍हाट्सऐप ने आईटी मंत्रालय के आदेश को गलत अंदाज में पेश कर इसे निजता के अधिकार में हनन करार दिया है. मंत्रालय ने यहां तक कहा है कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बनाए गए नियमों को यूं तोड़ मरोड़ के पेश करना हास्यास्पद है.