पटना

अरवल: सोन नदी का सीना चीर बालू निकालने में जुटे हैं बालू माफि़या


पर्यावरण के साथ नदी को भी पहुंच रहा है नुकसान

अरवल। सोन नदी के अवैध खनन से अब उसके अस्तित्व पर ही खतरा पहुंच चुका है। इसकी बानगी जिले के अलग-अलग बालू घाटों पर देखने को मिल रहे हैं। यूं कहने को तो नियमों के करार के तहत सरकार बालू कारोबारी से सोन नद के बालू की खुदाई नीलामी पद्धति से कराती है। लेकिन, देखने के बाद धारातल पर कुछ और दिख रहा है।

हमें जीवन देने वाली सोन नदी का अस्तित्व खतरे में है। मानव की जिदगी बचाने के लिए पहाड़ों के चट्टानों को चीरते हुए अविरल बहती आ रही है, पर आज सोन के गर्भ में एक नहीं बल्कि दर्जनों जेसीबी मशीन से हो रहे अवैध खनन से नदी की धार अपनी धारा बदलती जा रही है।

हालात यह है की एनजीटी के नियमों को ताक पर रख नदी में बालू की खोदाई की जा रही है। अवैध खनन से जीवनदायिनी अपनी जिदगी की दम तोड़ती जा रही है। नीलाम घाटों की संख्या से ज्यादा जगहों पर तय मानक से ज्यादा गड्ढा करके बालू की निकासी की जा रही है, जिससे कई लोग के डूबने से मौत भी हो रही है।

शुक्रवार को कुछ घाटों की पड़ताल की गई, तो पाया गया कि मानको को नजर अंदाज करके बड़े-बड़े मशीनों से बालू का खनन किया जा रहा है। नियम के विरुद्ध नदी के गर्भ में बालू पर ईंट का रोढ़ा, झाड़ी समेत अन्य सामग्री से सड़क का निर्माण कराई गई है। इसी सड़क से बालू लदे सैकड़ों ट्रक प्रतिदिन नदी से बाहर निकलते हैं।

सरकार ने नदियों का बचाव एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर खनन करने वाली कंपनियों को पौधे लगाने का निर्देश जारी किया है, पर जितने पौधे लगाने चाहिए थी वह नहीं लगाए गए हैं। बल्कि नदी के किनारे पहले से जो पौधे थे वे भी काट दिए गए हैं। खनन माफि़या के निशाने पर सोन नदी चढ़ चुकी है जिससे पर्यावरण के साथ नदी का वजूद समाप्त होता जा रहा है।