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जीवनकी वीणा
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Post Views: 736 ओशो जीवन मिलता नहीं, निर्मित करना होता है। इसीलिए मनुष्यको शिक्षाकी जरूरत है। शिक्षाका एक ही अर्थ है कि हम जीवनकी कला सीख सकें। एक घरमें बहुत दिनोंसे एक वीणा रखी थी। उस घरके लोग भूल गये थे, उस वीणाका उपयोग। पीढिय़ों पहले कभी कोई उस वीणाको बजाता रहा होगा। अब तो […]
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Post Views: 673 ओशो अपनी आंखें बंद कर लो और अपनी रीढ़को आंखोंके सामने लाओ। रीढ़को एकदम सीधा, उन्नत रखो। इसे देखो, इसका निरीक्षण करो और इसके बीचोंबीच एक तंतुको देखो, कमलके तंतु जैसा नाजुक, तुम्हारी रीढ़के खंभेमेंसे गुजर रहा है। रीढ़में बीचोंबीच एक रुपहला धागा है, एक अत्यंत नाजुक मज्जा तंतु। यह शारीरिक तंतु […]