चक्रवाती तूफान ताउतेके ताण्डवसे गुजरात, गोवा, केरल, महाराष्टï्र सहित कई राज्योंमें काफी तबाही हुई है। समुद्रमें इसका रौद्र रूप देखनेको मिला। सोमवार शामसे ही समुद्रमें कई बजड़े और जहाज फंस गये। इनपर सवार अनेक लोगोंको भारतीय नौसेनाने अपने आपरेशनमें बचा लिया। प्रतिकूल चुनौतियोंके बीच नौसेनाका यह आपरेशन अत्यन्त ही सराहनीय है। अपनी जानको जोखिममें डालकर अभियानसे जुड़े लोगोंने सफलतापूर्वक बचाव कार्य किया। मंगलवारको समुद्रमें तीन बड़ी नौकाएं (बार्ज) और एक आयल रिंग भी ताउतेकी चपेटमें आ गया था। इसमें सवार ७१० लोग फंस गये, जिनमें ३१४ लोगोंको बचा लिया गया। शेषको बचानेके लिए आपरेशन जारी है। कुछ लोगोंके लापता होनेकी भी खबर है लेकिन इसकी पुष्टिï नहीं हुई है। इस भयावह तूफानमें २३ लोगोंकी मृत्यु भी हुई है। ताउतेने गुजरातमें भारी तबाही मचायी। १६ हजारसे अधिक कच्चे मकानोंको क्षति पहुंची है। ४० हजारसे अधिक पेड़ उखड़ गये। बड़ी संख्यामें बिजलीके खम्भे धराशायी हो गये जिससे बिजलीकी आपूर्ति ठप हो गयी थी। महाराष्टï्रमें सबसे अधिक वर्षा हुई जिससे लोगोंको काफी परेशानी उठानी पड़ी। ताउतेका असर अब राजस्थान, दिल्ली राष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणाके अनेक जिलोंमें भी दिखा, जहां वर्षा हो रही है। दिल्लीमें आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर भारतमें पश्चिमी विक्षोभका भी प्रभाव है। राजस्थान और उत्तर प्रदेशके कई जिलोंमें भारी वर्षाका अनुमान है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने बुधवारको गुजरात और दीवके चक्रवाती तूफानसे प्रभावित क्षेत्रोंका हवाई सर्वेक्षण किया और वरिष्ठï अधिकारियोंके साथ समीक्षा बैठक भी की। स्वराष्टï्रमंत्री अमित शाहने प्रभावित राज्योंके मुख्य मंत्रियोंसे हालातकी जानकारी प्राप्त की। चक्रवात वैसे कमजोर हो गया है लेकिन उससे जो क्षति हुई है उसका आकलन होना चाहिए। इसके साथ ही केन्द्र सरकारकी ओरसे राहत और पुनर्वासके लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता भी मिलनी चाहिए। जान और मालकी हुई क्षतिके वास्तविक आकलनमें समय लग सकता है तबतकके लिए प्रभावित लोगोंके लिए पर्याप्त राहतकी व्यवस्था होनी चाहिए। वैसे केन्द्र और राज्य सरकारें पहलेसे ही सतर्क हैं और अहतियाती तौरपर आवश्यक प्रबन्ध भी किये गये हैं। राहत और बचाव कार्य तेज करनेकी जरूरत है जिससे कि उन लोगोंकी जीवन रक्षा की जा सके जो अभी फंसे हुए हैं या लापता हैं।
बढ़ती बेरोजगारी
कोरोना कालमें बढ़ती बेरोजगारी देशके लिए एक विकट समस्या बन गयी है। कोरोना महामारीकी दूसरी लहरको काबूमें करनेके लिए लगाये गये पाबंदियोंके कारण उद्योग-धन्धे बंद होनेसे बेरोजगारी एक बार फिर अपने उच्चतम स्तरपर पहुंच गयी है, जो देशकी अर्थव्यवस्थाके लिए खतरेका संकेत है। बेरोजगारीने मध्यम वर्ग और गरीब लोगोंको ज्यादा प्रभावित किया है, उनकी आर्थिक स्थिति काफी डावाडोल हो गयी है और यह अर्थव्यवस्थाके लिए भी घातक है। सरकारको यदि अर्थव्यवस्थाको प्रवाहमान बनाना है तो उसे बेरोजगारीको कम करना होगा, क्योंकि जबतक लोगोंकी क्रयशक्ति नहीं बढ़ेगी तबतक अर्थव्यवस्थाको गतिमान नहीं बनाया जा सकता है। सेण्टर फार मानिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएफआईई) ने जो रिपोर्ट जारी किया है, वह सरकारकी चिन्ता बढ़ानेवाली है। ग्रामीण बेरोजगारी बीते एक सप्ताहमें दोगुनी बढ़कर १४.३४ प्रतिशत हो गयी। इस दौरान शहरी बेरोजगारी भी ११.७२ प्रतिशतसे बढ़कर १४.७१ प्रतिशतपर पहुंच गयी है। बढ़ती महंगी और बेरोजगारी देशके लिए गम्भीर समस्या बनती जा रही है जिसे काबूमें करनेके लिए सरकारको महंगीपर अंकुश लगानेके साथ ही रोजगारका सृजन भी करना होगा। शहरोंके अलावा गांवोंमें रोजगारके अवसर तलाशने होंगे, जिससे गांवोंमें लोगोंको रोजगारका अवसर मिले। यदि गांवमें उन्हें रोजगार मिलेगा तो कम पैसेमें उनका जीवनयापन अच्छे ढंगसे हो सकता है। कोरोना महामारीपर नियंत्रण एक बड़ी चुनौती है परन्तु अर्थव्यवस्थाको गतिमान रखना जरूरी है। हम जान और जहानकी बात तो करते हैं परन्तु जहान तभी बचेगा, जब अर्थव्यवस्था बचेगी और अर्थव्यवस्था ही रक्तवाहिनी रोजगार है। इसलिए यह जरूरी है कि जानके साथ जहानको बचानेके लिए युद्ध स्तरपर कार्य हो। बढ़ती बेरोजगारीको कम करनेके लिए गांवसे लेकर शहरतकमें रोजगारके अवसर सरकारको बनाने होंगे। जब लोगोंकी क्रयशक्ति बढ़ेगी तो मांग भी बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था भी गतिमान होगी।