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- अभी जिले में है 249 ग्राम पंचायत जिसकी संख्या घटकर हो सकती है 235 के आसपास
- कई लोगों का पंचायत चुनाव लड़ने का सपना रह जायेगा धरा का धरा
- नगर निकाय के वोटर नहीं लड़ सकते है ग्राम पंचायत के किसी पद का चुनाव
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बिहारशरीफ (आससे)। पंचायत चुनाव की औपचारिक घोषणा होनी बाकी है, लेकिन चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में है। लेकिन इसी बीच जिले के 10 नगर निकायों के गठन की अधिसूचना तथा दो नगर निकायों के क्षेत्र विस्तार के बाद कई लोगों का पंचायत चुनाव लड़ने का सपना धरा का धरा रह जायेगा। कई पंचायत का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। इसके साथ ही मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, पंच, पंचायत समिति सदस्य की संख्या में कमी होगी, जबकि कई लोग चाहकर भी अब जिला परिषद् का भी चुनाव नहीं लड़ पायेंगे।
कई लोग अभी भी यह वहम पाल रखे हैं कि उनका गांव भले हीं नगर निकाय में आ गया हो लेकिन वे जिला परिषद् या पंचायत समिति का चुनाव लड़ सकेंगे। लेकिन यह उनकी खुशफहमी होगी। प्रावधान में यह स्पष्ट है कि नगर निकाय क्षेत्र का कोई भी वोटर पंचायत के किसी भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
नालंदा जिले में कुल 249 ग्राम पंचायत था, जिसमें कई ग्राम पंचायतों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है, जबकि कई ग्राम पंचायत के गांवों को नगर निकाय में जोड़े जाने के बाद उस पंचायत की आबादी इतनी कम हो गयी है कि वैसे पंचायतों को डिसॉल्व कर दूसरे ग्राम पंचायतों में जोड़ने की तैयारी है।
रहुई नामक अब कोई ग्राम पंचायत नहीं होगा, जबकि इतासंग भदवा पंचायत से मिर्जापुर और गैवी गांव के हट जाने के बाद इसका आकार भी छोटा हो जायेगा। शंकरडीह पंचायत के कई गांवों को नगर पंचायत परबलपुर में शामिल कर दिये जाने से शायद अब शंकरडीह भी ग्राम पंचायत नहीं रह पायेगा। इस पंचायत के बचे गांवों को अन्य पंचायतों में जोड़े जाने की संभावना है। इसी प्रकार अब अस्थावां नाम का भी कोई पंचायत नहीं होगा। इस पंचायत का पूरा भाग नगर पंचायत में शामिल हो चुका है, जबकि गिरियक पंचायत भी अब अस्तित्व में नहीं रहेगा।
वहीं आदमपुर पंचायत का क्षेत्र छोटा हो जायेगा। सबनहुआ नामक अब कोई पंचायत नहीं होगा, क्योंकि यह नगर पंचायत हरनौत में विलय हो चुका है, वहीं चेरन, बस्ती और डिहरी ग्राम पंचायत का भी आकार छोटा होगा। इनमें से भी एक पंचायत के समाप्त होने की संभावना है। इसी प्रकार चंडी, भगवानपुर एवं हसनी पंचायतों के गांवों को मिलाकर नगर पंचायत चंडी बनाया गया है। अब चंडी नामक कोई पंचायत नहीं होगा। इस पंचायत के अन्य गांवों को पड़ोस के पंचायतों में जोड़ा जायेगा। वहीं भगवानपुर एवं हसनी का आकार भी छोटा होगा।
अब पोखरपुर नामक कोई पंचायत नहीं होगा। इस पंचायत का पूरा क्षेत्र नगर पंचायत पावापुरी का हिस्सा हो चुका है, जबकि दुर्गापुर पंचायत का भी आकार दशरथपुर के नगर पंचायत में शामिल होने के बाद छोटा पड़ेगा। बड़गांव और सुरजपुर नामक अब कोई पंचायत नहीं होगा। यह नगर पंचायत नालंदा का हिस्सा हो चुका है, वहीं कुल-फतेहपुर एवं ममूराबाद पंचायत भी आकार में छोटा पड़ेगा। इन पंचायतों का कुल, मोहनपुर और बेगमपुर गांव नगर पंचायत का हिस्सा हो गया है।
नगर पंचायत एकंगरसराय के अस्तित्व में आने के बाद एकंगरसराय एवं दनियावां-पेंदापुर नामक अब कोई पंचायत नहीं होगा। इन दोनों पंचायतों को मिलाकर नगर पंचायत बनाया गया है। इसी प्रकार सरमेरा नगर पंचायत के गठन के बाद सरमेरा नामक अब कोई पंचायत नहीं होगा। इस पंचायत के बचे गांव तथा हुसेना पंचायत के गांवों को मिलाकर नया पंचायत बनेगा या इसे दूसरे पंचायत में जोड़ा जायेगा।
इसी प्रकार राजगीर नगर पंचायत को नगर परिषद् में विस्तारित करने के बाद कई पंचायत प्रभावित हुए है। इस नगर परिषद् में अब विभिन्न पंचायतों के हसनपुर, दरियापुर, हंसराजपुर, उजरपुर, रसलपुर, पिलखी, नेकपुर, ठेरा, नीमा, मेयार आदि गांव अब नगर पंचायत का हिस्सा होगा। इससे भी कई पंचायतों का इतिहास समाप्त होगा तो कई का भूगोल बदलेगा। कुल मिलाकर नई पोखर, पिलखी और मेयार नामक कोई पंचायत नहीं होगा, जबकि नाहूब पंचायत के गांव को भी नगर परिषद् में शामिल किया गया है।
इसी प्रकार बिहारशरीफ नगर निगम के क्षेत्र विस्तार के बाद सिपाह नामक पंचायत अस्तित्व में नहीं रहेगा। सिपाह, करमपुर, पहड़पुर, हुजूरपुर, मेहनौर, चांदकुरा, बरियारपुर, वाजिदपुर, हाजीपुर, मखदुमपुर जैसे गांव नगर निगम का हिस्सा होगा। इससे भी कई पंचायतों का इतिहास भूगोल बदलेगा। इतिहास इस मामले में कि अब उस नाम का कोई पंचायत नहीं होगा। भूगोल इस मामले में कि कई पंचायतों का क्षेत्र अलग होगा, चौहद्दी बदलेगी।
कुल मिलाकर जिले में 10 नये नगर निकायों के अस्तित्व में आने और दो नगर निकायों के क्षेत्र विस्तार के बाद लगभग जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी आयेगी। 15 से 18 ग्राम पंचायतों की संख्या कम होगी। अभी तक जिले में 249 ग्राम पंचायत था। इसकी संख्या घटकर 235 के आसपास रहेगी।
हालांकि पंचायतों के पुर्नगठन पर काम होना बाकी है। दो दिन पूर्व हीं जिले के नगर निकाय अस्तित्व में आया है, लेकिन पंचायत चुनाव भी है। इस वजह से पंचायतों का सीमांकन जो नगर निकायों के गठन से प्रभावित हुआ है पर तेजी से काम होगा।