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अध्यक्ष चुनाव की मतदाता सूची सार्वजनिक करने को लेकर कांग्रेस नेताओं ने उठाई आवाज, पार्टी ने खारिज की मांग


नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव पारदर्शिता के साथ कराने की आवाज पार्टी में अब मुखर होने लगी है। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में शामिल सांसद मनीष तिवारी के साथ शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम ने अध्यक्ष का चुनाव पारदर्शी तरीके से कराने के लिए एआइसीसी प्रतिनिधियों (डेलीगेट) की सूची सार्वजनिक करने की मांग उठाई है। हालांकि, एआईसीसी ने नेताओं की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद के चुनावों के लिए मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग की गई थी। कहा गया कि यह एक आंतरिक प्रक्रिया है’।

मनीष तिवारी और शशि थरूर ने उठाई मांग

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के एआइसीसी डेलिगेट की सूची केवल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को देने के बयान पर सवाल उठाते हुए तिवारी ने कहा है कि मतदाता सूची उपलब्ध कराए बिना स्वतंत्र ओर निष्पक्ष चुनाव कैसे संभव है और ऐसा तो क्लब चुनाव में भी नहीं होता। असंतुष्ट जी-23 खेमे के एक अन्य प्रमुख नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी तिवारी की मांग का समर्थन करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की मतदाता सूची प्रकाशित करने की आवाज बुलंद की है।

आवाज उठाने वाले तीनों ही लोकसभा में पार्टी के सांसद

दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने से मची हलचल अभी थमी भी नहीं है कि पार्टी के भीतर से ही अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष की मतदाता सूची सार्वजनिक करने की बुधवार को मुखर आवाज उठाने वाले मनीष तिवारी, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम तीनों ही लोकसभा में पार्टी के सांसद हैं।

डेलिगेट लिस्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई

मतदाता सूची को लेकर कार्ति चिदंबरम के उठाए सवालों को सही ठहराते हुए मनीष तिवारी ने श्रृंखलाबद्ध टवीट में डेलिगेट लिस्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इसे एआइसीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से जुड़े संशयों को आनंद शर्मा ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उठाया भी।

कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर उठाई आवाज

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति ने अपने टवीट में सीधे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का जिक्र नहीं किया, मगर इस ओर साफ इशारा करते हुए कहा कि हर चुनाव के लिए एक सुपरिभाषित और स्पष्ट निर्वाचक मंडल की आवश्यकता होती है। निर्वाचक मंडल के गठन की प्रक्रिया भी स्पष्ट, सुपरिभाषित और पारदर्शी होनी चाहिए। एक तदर्थ निर्वाचक मंडल कोई निर्वाचक मंडल नहीं है।’ कार्ति ने एक टवीट में यह भी कहने से गुरेज नहीं कि सुधारों की आवाज उठाने वाले विद्रोही नहीं है।

मनीष तिवारी ने मधुसूदन मिस्त्री के बयान पर उठाए सवाल

कार्ति के टवीट को सही ठहराते हुए तिवारी ने मधुसूदन मिस्त्री के बयान कि नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों को निर्वाचक मंडल की सूची दी जाएगी और जिन्हें देखना है उनके लिए प्रदेश कार्यालयों में यह सूची उपलब्ध है पर भी सवाल उठाया। मिस्त्री से यह पूछा है कि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को मतदाता सूची हासिल करने के लिए प्रदेश पार्टी कार्यालय क्यों जाना चाहिए।

मतदाताओं के नाम और पते कांग्रेस की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए

यह भी सवाल उठाया कि सार्वजनिक रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निर्वाचक मंडल के बिना कैसे संभव है? स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया का सार यह है कि मतदाताओं के नाम और पते कांग्रेस की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से प्रकाशित किया जाए। तिवारी ने कहा कि 28 प्रदेश और आठ केंद्र शासित प्रदेशों की कांग्रेस इकाईयां का चुनाव नहीं हो रहा कि कोई हर प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर का चक्कर यह पता करने के लिए लगाए कि कौन निर्वाचक मंडल में है और यह क्लब के चुनाव में भी नहीं होता। इसलिए निष्पक्षता और पारदर्शिता के हित में आग्रह है कि भगवान के लिए इसे प्रकाशित करें।

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव प्रक्र‍िया पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि कोई कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने पर कैसे विचार कर सकता है यदि वह जानता ही नहीं कि मतदाता कौन हैं। यदि किसी को अपना नामांकन दाखिल करना है और प्रक्रिया के अनुसार 10 कांग्रेसजनों द्वारा इसे प्रस्तावित किया जाता है, तो केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर सकता है कि ये वैध मतदाता नहीं हैं।

शशि थरूर ने किया तिवारी की मांग का समर्थन

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का संकेत दे रहे शशि थरूर ने तिवारी की मांग का समर्थन करते हुए तिरुवनंतपुरम में इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि निश्चित रूप से यह महत्वपूर्ण है कि सभी को मतदाता सूची में पारदर्शिता रखनी चाहिए। मनीष की मांग सैद्धांतिक रुप से सही है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है और सबको यह पता होना चाहिए कि कौन अध्यक्ष चुनाव में नामांकन कर सकता है और कौन मतदान कर सकता है।