Latest News अन्तर्राष्ट्रीय

अफगानिस्तान में आधी आबादी का संघर्ष, काबुल में इंटरनेट बैन


  1. अफगानिस्तान में महिलाओं के आंदोलन से डरा तालिबान , इंटरनेट बैन प्रदर्शन को कवर कर रहे पत्रकारों को पीटा गया तालिबान ने कहा-‘महिलाएं मंत्री नहीं बन सकती हैं, उन्हें केवल बच्चे पैदा करना चाहिए.

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन देश भर में फैलता जा रहा है. निहत्थी महिलाओं से हथियारबंद तालिबानी भी डर गए हैं जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महिलाओं के विरोध को दबाने के लिए काबुल में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है और महिलाओं के आंदोलन-प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों को बुरी तरह से पीटा जा रहा है.

मकसद यही है कि इस आंदोलन की खबरें दुनिया तक न पहुंचने पाएं. अपने खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को दबाने की तालिबान हरसंभव कोशिश कर रहा है. इसी के तहत तालिबान के आंतरिक मंत्रलय द्वारा विरोध की शर्ते जारी की गई हैं, जिसके अनुसार प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन करने से पहले तालिबान न्याय मंत्रलय से पूर्व अनुमति लेनी होगी और यह भी बताना होगा कि आंदोलन के दौरान क्या-क्या नारे लगाए जाएंगे. महिलाओं को लेकर तालिबान की सोच कितनी घटिया है इसका पता तालिबान के इसी बयान से लग जाता है कि ‘महिलाएं मंत्री नहीं बन सकती हैं, उन्हें केवल बच्चे पैदा करना चाहिए.’ महिलाओं को वहां खेलकूद से रोक दिया गया है और शिक्षा को लेकर भी इतनी बंदिशें लगा दी गई हैं कि वे प्राथमिक शिक्षा भी बमुश्किल हासिल कर सकती हैं.

उच्च शिक्षा के बारे में तालिबान की मूर्खतापूर्ण सोच को उसकी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री शेख अब्दुल बाकी हक्कानी के इस कथन से समझ सकते हैं, ‘पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है. मुल्लाओं और सत्ता में शामिल तालिबानी नेताओं के पास भी ये डिग्रियां नहीं हैं. यहां तक कि उनके पास तो हाईस्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे महान हैं.’ ऐसी सोच के साथ तालिबान देश को किस दिशा में ले जाएगा, यह सोचने से भी डर लगता है. निश्चित रूप से तालिबानी सोच रखने वालों की संख्या ज्यादा नहीं है, बहुमत उदारवादी लोगों का ही है लेकिन तालिबान ने हथियारों के बल पर अपने क्रूरतापूर्ण कृत्यों से उन्हें आतंकित कर रखा है. उन्हें सत्ता में रहने का जितना ज्यादा समय मिलेगा, वे उतना ही देश का बेड़ा गर्क करेंगे. इसलिए वहां की महिलाओं ने अपनी जान की परवाह न करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का फैसला किया है.