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कुलपतियों की संगोष्ठी में बोले प्रधानमंत्री मोदी, बाबासाहेब के कदमों पर चल रहा है देश


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भारतीय विश्वविद्यालय संघ की 95वीं वार्षिक बैठक वायस चांसलर्स के राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है. लोकतंत्र हमारी सभ्यता, हमारे तौर तरीकों का एक हिस्सा रहा है. आजादी के बाद का भारत अपनी उसी लोकतांत्रिक विरासत को मजबूत करके आगे बढ़े, बाबा साहेब ने इसका मजबूत आधार देश को दिया. उन्होंने कहा कि देश बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुए तेज़ी से गरीब, वंचित, शोषित, पीड़ित सभी के जीवन में बदलाव ला रहा है. बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी. आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है.

सेमिनार को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि डॉक्टर आंबेडकर कहते थे- ‘मेरे तीन उपास्य देवता हैं. ज्ञान, स्वाभिमान शील.’ मोदी ने कहा कि जब नॉलेज आती है, तब ही आत्मसम्मान भी बढ़ती है. आत्मसम्मान से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने राइट्स के लिए जागरुक होता है समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है, देश प्रगति करता है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हर स्टूडेंट का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है. इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं. पहला- वो क्या कर सकते हैं? दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं? तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘एक स्टूडेंट क्या कर सकता है, ये उसकी अंदरूनी ताकत है. लेकिन अगर हम उनकी अंदरूनी ताकत के साथ साथ उन्हें संस्थागत शक्ति दे दें, तो इससे उनका विकास व्यापक हो जाता है. इस मेल से हमारे युवा वो कर सकते हैं, जो वो करना चाहते हैं.’ पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी. आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है. DBT के जरिए गरीब का पैसा सीधा उसके खाते में पहुंच रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई में हमारे लाखों-करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों ने समरस, समावेशी भारत का सपना देखा था. उन सपनों को पूरा करने की शुरुआत बाबासाहेब ने देश को संविधान देकर की थी. उन्होंने कहा कि डॉ.राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों की बात की थी, वो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में दिखते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति जितनी व्यावहारिक है, उतना ही व्यावहारिक इसे लागू करना भी है. नरेंद्र मोदी ने कहा कि बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है. बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है.