पटना

गिलोय से लिवर डैमेज होने की बात महज अफवाह : आयुष मंत्रालय


नई दिल्‍ली (एजेंसी)। देश में कोरोना संक्रमण के दौरान गिलोय के सेवन को इम्‍युनिटी बढ़ाने के लिए काफी असरदार माना गया है। डॉक्‍टर भी मरीजों को गिरोल का काढ़ा पीने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट ने इस पर विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट का दावा है कि कोरोना के दौरान गिलोय का सेवन करने से कई लोगों के लीवर खराब हो गए हैं। इस पूरे मामले पर अब आयुष मंत्रालय ने सफाई देते हुए रिपोर्ट को भ्रामक बताया है।

आयुष मंत्रालय ने गिलोय को लेकर छिड़ी बहस पर सफाई देते हुए कहा, गिलोय से लीवर डैमेज होने की बात महज अफवाह है। बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया यानी गिलोय के सेवन करने से मुंबई में अब तक 6 लोगों का लीवर खराब हो चुका है। आयुष मंत्रालय ने कहा है कि शोध से जुड़े लोग इस विषय को सही तरीके से रखने में असफल रहे, जिसके कारण इस पर अब इतनी चर्चा हो रही है।

आयुष मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि गिलोय को लेकर जिस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है वह भारत की पारंपरिक चिकित्‍सा प्रणाली के प्रति भ्रम पैदा करने की कोशिश है। गिलोय का इस्‍तेमाल लंबे समय से जड़ी-बूटी के रूप में किया जा रहा है। कई गंभीर बीमारी में गिलोय को काफी असरदार माना गया है। आयुष मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि शोध में गिलोय और उसके गुणकारी तत्वों का सही से विश्लेषण नहीं किया गया है। शोध से जुड़े लोगों की जिम्‍मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि मरीजों को दी गई जड़ी बूटी गिलोय ही थी, कोई अन्य जड़ी बूटी नहीं।

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जड़ी बूटी की सही पहचान न होने से शोध में भी गलत परिणाम देखने को मिल रहे हैं। गिलोय जैसे दिखने वाली कई जड़ी बूटी होती है ऐसे में अगर शोधकर्ता गलत जड़ी बूटी से शोध करेंगे तो परिणाम भी गलत ही आएंगे। इसके लिए सबसे पहले जरूरी था कि गिलोय की तरह दिखने वाली इस जहरीली बूटी को ध्यान में रखकर रिसर्च से पहले स्टैंडर्ड गाइडलाइन का पालन करते हुए सही पौधे की पहचान की जाती। इसके बाद शोध किया जाता जो नहीं किया गया है।
गिलोय या टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया एक पारंपरिक भारतीय जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल पुराने समय से आयुर्वेदिक दवाइयों को तैयार करने के लिए किया जाता रहा है। इसे ‘अमरता की जड़’ के रूप में भी जाना जाता है। इस जड़ी बूटी का उपयोग तरह-तरह की बीमारियों के इलाज के रूप में किया जाता रहा है।

गिलोय के फायदे : कोरोना महामारी के दौरान इस जड़ी बूटी का बहुत इस्तेमाल किया गया। इसे इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में खूब प्रमोट किया गया था। डॉक्टरों का मानना है कि यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, लेकिन इसका बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
गिलोय मुक्त कणों से लड़ता है और बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है। यह ब्लड को शुध्द करता है। यह लिवर संबंधी बीमारियों से बचाता है। यह यूरीनरी ट्रेक इंफेक्शन के संक्रमण को रोकता है। यह पाचन में सुधार करता है। सांस की समस्याओं से लड़ता है। इसके सेवन से तनाव और चिंता से राहत मिलती है।