पटना

चार साल बाद नालंदा में फिर शुरू हुआ नीरा का उत्पादन और बिक्री


      • सीएम के निर्देश के आलोक में तत्कालीन डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम ने कड़ी मशक्कत कर कंफेड के माध्यम से चालू कराया था चिलिंग और बॉटलिंग प्लांट साथ ही बिक्री के लिए उपलब्ध कराये थे संसाधन
      • ठप रहे इस व्यवसाय को गति देने का सीएम का मिला निर्देश इस आलोक में नालंदा प्रशासन ने तेज की पहल और फिर शुरू हुआ उत्पादन

बिहारशरीफ। जिला में एक बार फिर नीरा उत्पादन एवं बिक्री को लेकर प्रशासन गंभीर है। मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में जिले में नीरा का व्यापक उत्पादन करने एवं अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पहल तेज कर दी गयी है। नालंदा जिले में नीरा का उत्पादन चार साल पहले शुरू किया गया था और तब हीं कंफेड के माध्यम से चिलिंग प्लांट लगा था, लेकिन कोविड आदि कारणों से चिलिंग प्लांट बंद हो गया और नीरा का बिक्री भी बंद कर दिया गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एसएम ने बिहार में शराबबंदी के बाद नशीले पदार्थों की बिक्री से जुड़े लोगों को रोजगार से जोड़ने के मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में नीरा का व्यापक उत्पादन शुरू कराया था।

जिले में कंफेड के माध्यम से चिलिंग एवं बॉटलिंग प्लांट लगाया गया तथा सैकड़ों स्थानों चलंत और स्थायी गुमटी बनाकर नीरा की बिक्री शुरू की गयी। नीरा से कई तरह के उत्पाद भी बनाये गये। काफी संख्या में लोग इससे  जुड़े। लेकिन बाद में नीरा का उत्पादन बंद हो गया। लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने नीरा के उत्पादन में तेजी लाने का निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिया था और इसी के तहत नालंदा जिले में एक बार फिर जीविका एवं ताड़ी के रोजगार से जुड़े लोगों के माध्यम से हीं नीरा का उत्पादन और बिक्री शुरू किया जा रहा है।

इसी के तहत शुक्रवार को उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 3245 एवं शहरी क्षेत्र में 375 सहित कुल 3620 सक्रिय टैपरों को विगत माह में प्रशिक्षण दिये जाने की बात बतायी।

जीविका समूह के माध्यम से नीरा उत्पादन और बिक्री का लक्ष्य है। 90 उत्पादक समूह क्रियाशील किये गये है। सभी उत्पादक समूहों द्वारा नीरा उत्पादन में संबंधित आवश्यक सामग्री एवं उपकरणों का क्रय किया गया है। वर्किंग कैपिटल के रूप में प्रत्येक समूह को 10 हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया है। साथ हीं नीरा के परिवहन के लिए 75 वाहनों को स्थानीय उत्पादक समूहों द्वारा भाड़े पर लिये जाने की व्यवस्था की गयी है। जिले में 194 विक्रय केंद्र खोला जायेगा जिसमें 58 स्थायी केंद्र होगा। इनमें से 48 पुराने गुमटियों की मरम्मती करायी जा चुकी है तथा 10 नई गुमटियां तैयार की जा रही है। दो दिनों के सभी गुमटियों को ठीक करने का निर्देश डीडीसी ने दिया है।

सभी स्थायी विक्रय केंद्रों को बाजार के महत्वपूर्ण स्थल पर संचालित करने का निर्देश दिया गया है। महत्वपूर्ण पयर्टन स्थलों के पास भी नीरा वितरण केंद्र का संचालन किया जायेगा। नीरा की बिक्री शुरू कर दी गयी है।

फिलहाल खजूर के पेड़ से तैयार नीरा 15 विक्रय केंद्रों पर उपलब्ध है। आगामी एक सप्ताह के बाद ताड़ के पेड़ से तैयार नीरा की बिक्री शुरू की जायेगी। बिहारशरीफ बाजार समिति स्थित नीरा प्रोसेसिंग प्लांट जिसकी क्षमता चार हजार लीटर प्रतिदिन है इसके अलावे यहां तीन चिलिंग प्लांट कार्यरत है, जिसके भंडारण की क्षमता 1500 लीटर है यह कार्य करने लगेगा। इसके साथ हीं जिन क्षेत्रों में अधिक क्रियाशील टैपर है वैसे 43 स्थलों पर नीरा के सुरक्षित भंडारण के लिए डीप फ्रीजर की व्यवस्था की गयी है। फ्रीजर वाले स्थान से नीरा को कंफेड रेफ्रिजिरेटेड वाहन के माध्यम से बॉटनिग प्लांट तक लायेगी। इसके लिए निर्देश दिया जा चुका है। कंफेड के पास फिलहाल तीन रेफ्रिजिरेटर वाहन उपलब्ध है।

इसके अलावे नीरा से गुड़, पेड़ा आदि उत्पादों को तैयार करने के लिए भी उत्पादक समूह को तैयार करने का निर्देश दिया गया है। बैठक में डीपीएम जीविका सहित जीविका के सभी बीपीएम उपस्थित थे।