पटना

जाले: लॉकडाउन लागू होते ही कालाबाजारी का खेल शुरू, उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां


जाले (दरभंगा)(आससे)। कोविड 19 के बढ़ते खतरे को देखते हुए एवम इससे बचाव के लिए प्रशासन द्वारा बुधवार से लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके कारण प्रखण्ड के जाले, कमतौल समेत क्षेत्र के विभिन्न छोटे छोटे हाटों व बाजारों में सुबह सात बजे से लेकर ग्यारह बजे तक छूट मिलने के कारण खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी एवम देखते ही देखते प्रशासन की लापरवाही व मौन रहने के कारण तेल, चीनी, आलू, प्याज समेत अन्य किरानाज की कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया।

खाशकर कमतौल बाजार में इतनी भीड़ बढ़ गई कि दुकानदार से लेकर खरीददार तक कोविड गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाते देखे गए।सभी के सभी लापरवाही करते हुए न कोई मास्क लगाए थे और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा थे।मानो संक्रमण का खतरा क्षेत्र से टल गया हो।

इस संदर्भ में कांग्रेसी संजीव कुमार ठाकुर ने बताया कि लॉक डाउन की घोषणा होते ही कमतौल बाजार में अचानक खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। देखते-देखते जरूरी वस्तुओ आलू प्याज के दर में थोक विक्रेताओं द्वारा मनमानी करते हुए अचानक तीन सौ से लेकर चार सौ रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया। इस तरह महामारी में कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया। वही देखते ही देखते पान मसालों से लेकर जरूरत की हर वस्तुओ में निर्दयी कालाबाजारी व्यापारियों ने अधिक से अधिक मुनाफा कमाना शुरू कर दिया और प्रशासन अंधा बहरा गूंगा बना रहा। जबकि लॉक डाउन में जरूरी समानों की आवाजाही चालू रहेगी।

वहीं माले नेता शहजाद तमन्ने ने बताया कि कोविड संक्रमण से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा लगाए गए लॉक डाउन एक बेहतर उपाय है। लेकिन कालाबाजारियों पर अंकुश लगाना भी प्रशासन का दायित्व है। अगर प्रशासन इन कालाबाजारियों पर अंकुश नही लगाया तो, गरीब वैसे भी लूट रहे है और आगे भी लूट जाएंगे, वही कालाबाजारी और अधिक अमीर बन जाएंगे। जदयू नेता वली इमाम बेग उर्फ चमचम ने बताया कि लॉक डाउन सफलता को लेकर इसका प्रचार प्रसार बहुत जरूरी है एवम उससे भी अधिक जरूरी कालाबाजारियों पर अंकुश लगाना, ताकि किरानाज के दाम में बृद्धि को रोका जा सके।

उन्होंने बताया कि किरानाज में अचानक बृद्धि हो जाने से मध्यम वर्ग के लोगों के साथ साथ गरीब गुरवे की माली हालात बहुत जल्द ही खराब हो जाएगी,जबकि मुठ्ठी भर कालाबाजारी जल्द ही अमीर बन जाएंगे। कालाबाजारी की गम्भीर समस्या पर प्रशासन को ठोस कदम उठानी चाहिये, ताकि मूल्य बृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।