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दिल्ली-NCR के बार्डर खाली करने के लिए राकेश टिकैत ने रखी 6 शर्तें


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही बड़ा दिल दिखाते हुए एक साल पहले लाए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान कर दिया हो, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर बैठे किसान कब हटेंगे, इसको लेकर संशय बरकरार है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के ताजा ट्वीट से लगता है कि दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) से किसान प्रदर्शन अगले कुछ दिनों तक नहीं हटने वाले हैं। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के ऐलान के बावजूद दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा है- ‘ देश में राजशाही नहीं है, TV पर सिर्फ घोषणा करने से किसान घर वापस नहीं जाएगा, सरकार को किसानों से बात करनी पड़ेगी।’

इधर, शनवार सुबह यूपी गेट पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि आगे की रणनीति के लिए दोपहर बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक सिंघु बार्डर पर होगी। इस बैठक में उन्हें पहुंचना है या नहीं? इस पर अभी बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ तीनों कृषि कानून ही नहीं बल्कि एमएसपी, प्रदूषण और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर भी सरकार से बात की जानी है। यह भी देखना है कि सरकार किसानों से बात करने आगे आती है या नहीं।

ये हैं किसान संगठनों की 6 अहम मांगें

  • केंद्र सरकार के प्रतिनिधि किसान संगठनों (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात करे।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो।
  • प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हों।
  • लखीपुरखीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो।
  • बिजली बिल का मुद्दा
  • वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है।

किसान नेता भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता चौधरी विनय कुमार का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा का स्वागत है। लेकिन एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी पर कानून बनने तक आंदोलन जारी रहेगा। यह आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। किसानों की मांगें अभी अधूरी हैं।

वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से जुड़े किसान नेता सुखवीर सिंह का कहना है किसरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की गारंटी के लिए जल्द ही कानून बनाना चाहिए। इससे कम किसानों को स्वीकार नहीं होगा।