पटना

पटना: ट्रांसजेंडरों को आरक्षण मामले में चार सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश


पटना (विधि सं)। पटना हाई कोर्ट ने राज्य के चालीस हजार से भी ज्यादा ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के मामले में राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया। कोर्ट का कहना था कि मुठ्ठी भर ट्रांसजेंडरों को जब राज्य सरकार सिपाही बहाली में आरक्षण दे रही है तो अन्य विभागों के नौकरियों में क्यों नहीं दे सकती।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने वीरा यादव की और से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडरों को पिछड़ा वर्ग का लाभ दे रही है, अब उन्हें अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है।

जबकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के निर्देश पर ट्रांसजेंडरों को पुलिस की नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया गया है, लेकिन राज्य के अन्य विभागों के नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने के लिए सामान्य प्रशाशन विभाग की ओर से किसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की गई है।

जब तक सामान्य प्रशासन विभाग के तरफ से अधिसूचना जारी नहीं किया जाता है, तब तक राज्य के ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है। उक्त मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद पुन: की जाएगी।