पटना

बिहारशरीफ मंडल कारा में मोबाइल बरामदगी के मामले में- जेल प्रशासन ने मुर्गी पर छोड़ा तोप


अपने दामन पर लगे दाग से बचने के लिए कक्षपाल को किया निलंबित

बिहारशरीफ (आससे)। पिछले दिनों बिहारशरीफ मंडल कारा में डीएम और एसपी द्वारा की गयी छापामारी में तीन मोबाइल जब्त किया गया था। इस मामले में दोषी कौन होगा यह तो जिला प्रशासन तय करेगी या फिर कारा प्रशासन, लेकिन कहीं खुद दोषी ना बन जाये इससे बचने के लिए मंडल कारा में ‘‘मुर्गी पर तोप छोड़ा गया है’’। मंडल कारा बिहारशरीफ के जेल अधीक्षक ने इस मामले में एक कक्षपाल को निलंबित कर जेल दामन पर लगे दाग को धोने का प्रयास किया है।

पिछले कुछ दिनों से मंडल कारा बिहारशरीफ में कई तरह की अनियमितताएं बरते जाने की शिकायतें कैदियों द्वारा उठायी जाती रही है। हालांकि जेल प्रशासन द्वारा कैदियों को नियंत्रित करने आदि के लिए पगली घंटी आदि भी बजती रही है। पिछले दिनों केंद्रीय कारा बेउर से एक वीडियो वायरल होने के बाद गृह विभाग के निर्देश पर राज्य के सभी जेलों में डीएम और एसपी द्वारा औचक छापामारी करायी गयी थी। इसी क्रम में गत सप्ताह यानी 03 मार्च को बिहारशरीफ मंडल कारा में प्रभारी डीएम और एसपी द्वारा छापामारी की गयी, जिसमें तीन मोबाइल की प्राप्ति हुई। ऐसे में जिला प्रशासन कहीं राज्य जेल प्रशासन को कार्रवाई की अनुशंसा ना कर दे।

शायद इसी से बचने के लिए आनन-फानन में जेल अधीक्षक ने गुलशन कुमार नामक कक्षपाल से स्पष्टीकरण पूछा। जेल अधीक्षक ने स्पष्टीकरण पूछा है कि 03 मार्च को सुबह में आपको फरार पाया गया, दोपहर में उपस्थित पाया गया। ऐसे में आपके अनुपस्थिति संदिग्ध प्रतीत होती है। बाद में स्पष्टीकरण का जवाब को योग्य नहीं मानते हुए काराधीक्षक ने उक्त कक्षपाल को अनुशासन में हीनता मानते हुए निलंबित कर दिया है।

निश्चित तौर पर बिहारशरीफ मंडल कारा में मोबाइल पाया गया और जिसमें जेल कर्मियों की संलिप्तता रही है। सच तो यह है कि जेल में बंद कैदियों का कहना है कि एक-दो नहीं दर्जन भर से अधिक मोबाइल जेल कैंपस में काम कर रहा है। इतना ही नहीं कैदियों द्वारा और भी कई तरह की आरोप भी लगते रहे है।

बताते चलें कि राज्य के अन्य जिलों में मोबाइल बरामदगी पर कार्रवाई होती रही है। निश्चित तौर पर कार्रवाई की गाज मंडल कारा प्रशासन के वरीय अधिकारियों पर भी गिर सकती है। शायद इसी से बचने के लिए आनन-फानन में जेल प्रशासन द्वारा कक्षपाल को निलंबित किया गया ताकि अपने दामन पर लगे दाग से मुक्ति मिल सके। अब तो आने वाला समय ही बतायेगा कि इस मामले में राज्य मुख्यालय और जिला प्रशासन कोई एक्शन लेती है या जेल प्रशासन द्वारा लिये गये निर्णय पर ही अपनी मुहर लगाती है।