पटना

बिहार की विकास दर औसत से अधिक : नीतीश


      • मुख्यमंत्री ने विधानसभा में किया राज्यपाल के अभिभाषण का धन्यवाद
      • 26 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगा, रिकवरी रेट ज्यादा और मृत्युदर कम

(आज समाचार सेवा)

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना की जांच पूरे देश में बिहार में सबसे ज्यादा हुई। इतना ही नहीं बिहार की रिकवरी रेट भी देश के औसत के अनुसार अधिक है। श्री कुमार मंगलवार को बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते १५ वर्षों में बिहार ने सभी क्षेत्रों में विकास किया है, चाहे वह स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, शिक्षा का हो, कृषि का या सडक़ निर्माण का हो।

मुख्यमंत्री ने प्रतिपक्ष के नता तेजस्वी यादव द्वारा उठाये गये एक सवाल के जवाब में कहा कि पूरे देश में कोरोना के मृत्युदर एक प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। वहीं बिहार में ०.८ फीसदी ही है। अब तक राज्य में प्रथम चरण में ५.२६ लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को कहा गया है कि जांच के दायरे को नये सिरे से आगे बढ़ाया जाय।

राज्य में अपराध पर पूछे गये सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार बिहार अपराध के मामले में पूरे देश में २५वें स्थान पर है। कुछ घटनाएं हो जाती हैं, जिसपर विपक्ष शोर मचाने लगता है। इस प्रकार विकास के मामले में राज्य का विकास दर १०.५ प्रतिशत है। कोरोना के कारण पूरी दुनिया के विकास दर में कमी दर्ज की गयी। उसका कुछ असर यहां भी पड़ा।

बजट आकार की तुलना करते हुए श्री कुमार ने कहा कि २००५ में बजट का आकार जहां २५, ८८५ करोड़ था, वहीं अब यह बढक़र दो लाख १८ हजार करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने एक अहम् बात रखते हुए कहा कि बिहार का ‘कास्ट ऑफ लिविंग’ अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है। आज यहां कोई भूख से नहीं मरता है। अगर किसी मजदूर के घर भी चले जाइये, तो वह ७-८ लोगों को भोजन करा सकता है।

विकास के सवाल पर उन्होंने कहा कि जबसे उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला है, अनके पुल-पुलियों का निर्माण कार्य हुआ। राज्य के विभिन्न हिस्सों से ६ घंटे में पटना पहुंचने का काम पूरा हुआ। अब इसे और कम करके ५ घंटे में पहुंचने की तैयारी की जा रही है। अब मरम्मति की जिम्मेवारी सीधे इंजीनियरों को करनी है। सडक़ों के साथ भवनों के रख-रखाव का काम भी सरकार के इंजीनियर ही कर रहे हैं। यदि किसी को शिकायत है तो उसपर त्वरित काररवाई की जायेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली की लागत ज्यादा आ रही है, फिर भी किसानों को ६५ पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केन्द्र से ‘वन नेशन, वन रेट’ की मांग की गयी है।

कृषि सुधार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमलोगों ने २००६ में ही एपीएमसी एक्ट समाप्त कर दिया था। उस समय एफसीआई द्वारा चुनिंदा जिलों में पैक्स और व्यापार मंडलों द्वारा अधिप्राप्ति शुरू हुई तब से फसलों की अधिप्राप्ति अधिक होने लगी। इस वर्ष पिछले वर्ष की इसी समय की तुलना में रिकार्ड प्याज की अधिप्राप्ति की गयी। इसके साथ ही उन्होंने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति की भी चर्चा की।

जब मैं केन्द्र में था तब आप गोद में थे’

बिहार बजट को लेकर राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच खूब हंसी ठहाके लगे। सरकार का पक्ष रखते हुए जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोल रहे थे उस दरम्यान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बार-बार खड़े होकर टोटा टोकी कर रहे थे। जिसपर मुख्यमंत्री ने हंसते हुए कहा कि हम गोदी नहीं उठाए हैं, चुपचाप बैठो, तुम्हें गोद में खेलाया है। जब हम केन्द्र में मंत्री थे तब आप गोद में थे।

सीएम नीतीश के इतना कहते ही सदन में जोर-जोर से ठहाके लगने लगे। सदन में जवाब देने के दौरान तेजस्वी द्वारा लगातार खड़े होकर सवाल पूछने पर सीएम नीतीश ने कहा कि सदन में मैंने आपकी सारी बातें सुनीं। अब मेरी भी सुन लीजिए। आगे आपको ही फायदा देगा। मैं जब केंद्र में मंत्री था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी से जो भी सीखा, वह आज भी मेरे काम आ रहा है। मेरे भी मार्गदर्शन में आपने बतौर डिप्टी सीएम 1 साल 8 महीने काम किया। उस वक्त का फायदा भी लोगों को बताइए। मैं तो चाहूंगा कि आपको मौका मिले और आप बोलें। मुझे अच्छा लगता है, जब आप बोलते हैं।

नेता प्रतिपक्ष को लेकर सीएम नीतीश कुमार जैसे ही ये बातें कही सदन में ठहाके लगने लगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विपक्ष के तमाम आरोप का जवाब दिया। 2005 के पहले वाला बिहार और बाद वाले बिहार की तुलना कर उन्होंने विकास कार्यो को गिनाया। बिजली, सडक़ और पानी के क्षेत्र में किए गए कामों को गिनाते हुए आंकड़े पेश किए।

उन्होंने कहा कि आज जो लोग धान अधिप्राप्ति पर सवाल खड़े कर रहे हैं उन्हें याद होना चाहिए उनलोगों के शासनकाल में धान अधिप्राप्ति से राज्य सरकार ने हाथ खींच लिया था। थोड़ा बहुत एफसीआई के माध्यम से धान की अधिप्राप्ति होती थी। लेकिन हमलोग जब से सरकार में आए कृषि क्षेत्र के विकास के लिए हरसंभव काम करना शुरू किया।