पटना

बिहार पंचायत चुनाव पर फैसला 21 को


पटना (आससे)। बिहार में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सभी उम्मीदवार जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। चुनाव की तारीखों को लेकर सस्पेंस बरकरार है। पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से हों या ईवीएम से, इसे लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। अब पटना हाई कोर्ट में बिहार और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के बीच ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर याचिका दाखिल की गई है। फिलहाल इस पर कोई फैसला आया नहीं है, अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी, जिसमें तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव ईवीएम से होगा या बैलेट पेपर से इस पर भी निर्णय हो सकता है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखा है। अभी तक सात बार इस मामले में सुनवाई हो चुकी है लेकिन कोई फ़ैसला नही हो पाया है। अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होने वाली है। जिस पर राज्य निर्वाचन आयोग से लेकर बिहार के पंचायत चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की निगाहें भी टिकी हुई हैं। 10 चरणों में पंचायत चुनाव होंगे, लेकिन ईवीएम को लेकर पेंच फंसा हुआ है। अब 21 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई है और उस दिन फ़ैसला क्या आता है उस पर पंचायत चुनाव समय पर होगा की नहीं, फ़ैसला हो पाएगा।

वहीं, बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी कहते हैं, राज्य सरकार के तरफ़ से कोई समस्या नहीं है, जब भी चुनाव हो हम तैयार हैं, लेकिन आगे जो भी कदम उठाना होगा वो हम हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद ही तय करेंगे। दरअसल पंचायतों की जो वर्तमान में जितने भी कमिटी है उसकी मियाद 15 जून तक ही है। अगर 15 जून से पहले चुनाव नही हुए तो सरकार के सामने कई समस्याएं आ सकती हैं।

अगर समय पर चुनाव नहीं होते हैं तो राज्य सरकार प्रखंड के प्रशासनिक अधिकारियों के अधीन पंचायत करे देगी ताकि विकास कार्य पर असर ना पड़े। तदर्थ व्यवस्था में ज़रूरी कार्य हो सकते है, पंचायत के विकास कार्य ज़्यादा प्रभावित ना हो इसके लेकर अधिकारी सीमित दायरे में विकास कार्य से जुड़े फ़ैसले ले सकते हैं।

पंचायत के लिए कोई बड़ा फ़ैसला लेने के लिए अधिकारियों को जि़ला मुख्यालय और राज्य सरकार से आदेश लेना पड़ सकता है। इसके पहले पंचायत के विकास से जुड़ा कोई भी फ़ैसला पंचायत के निर्वाचित सदस्य ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठक में फ़ैसला लेते थे, छोटे मोटे विवाद का निपटारा भी हो जाता था।

पंचायत चुनाव में देर होने से नीतीश कुमार के महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय पर भी असर पड़ सकता है , जल कल योजना, गली नली योजना, सहित विकास के कई और विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं।