पटना

बिहार में ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा की सीएम ने की शुरूआत


      • प्रत्येक स्वास्थ्य उपकेन्द्र को लिंक किया जायेगा
      • ग्रामीण मरीजों को समय और पैसे की होगी बचत
      • ऑनलाइन परामर्श के बाद मरीजों को दवाइयां भी मिलेगी

पटना (आससे)। बिहार में ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा की शुरूआत हो गयी। सेवा का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश ने किया। स्वास्थ्य विभाग की 4 सेवाओं की सीएम ने उद्घाटन किया। ई-संजीवनी, अश्विन, 102 एम्बुलेंस ट्रैकिंग सिस्टम और वंडर ऐप का शुभारंभ किया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने इन सेवाओं का उद्घाटन किया। आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय पार्ट-॥ के तहत ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ई-संजीवनी, अश्विन, 102 एम्बुलेंस ट्रैकिंग सिस्टम और वंडर ऐप की शुरूआत की गयी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ई-संजीवनी की लॉंचिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से स्वास्थ्य उपकेंद्र को जिला अस्पताल से जोडऩे पर काम किया गया है। प्रत्येक स्वास्थ्य उपकेंद्र को लिंक किया जायेगा। इलाज के लिए दवाओं की संख्या भी बढ़ाई गयी है। ऑनलाइन परामर्श के बाद मरीजों को दवाइयां भी मिलेगी।

प्रदेश में 1723 सेंटर पर मरीजों को इसकी सुविधा मिलेगी। इसके बाद मार्च के अंत तक 3 हजार स्वास्थ्य केंद्रों तक ई-संजीवनी की व्यवस्था होगी। फिलहाल, सप्ताह में तीन दिन सुबह 9 बजे से 2 बजे तक मरीजों को ऑनलाइन परामर्श दिया जायेगा। ई-संजीवनी के जरिए दूर-दराज इलाकों के मरीजों का पास के अस्पताल में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बड़े अस्पतालों के डॉक्टर इलाज करेंगे। इससे लोगों के पैसे और समय की बचत होगी।

वहीं ‘102 इमरजेंसी बिहार’ सेवा की शुरूआत होने पर खुशी जाहिर करते हुए सीएम ने कहा कि  इसके जरिए एंबुलेंस की ट्रैकिंग की जायेगी। परिजन अपने मरीज की एंबुलेंस के साथ ट्रैकिंग कर सकते हैं। इस एप्लीकेशन से अधिकारी एम्बुलेंस की रियल टाइम ट्रैकिंग कर सकेंगे। 102 एंबुलेंस अब आसानी से हर किसी के लिए सुलभ होगा। लाइव लोकेशन ट्रेस करने के लिए इन्हें मोबाइल एप से जोड़ा जा रहा है। इसके माध्यम से पल-पल की जानकारी कंट्रोल रूम के साथ ही एंबुलेंस के लिए कॉल करने वालों को मिलती रहेगी।

‘वंडर एप’ को लेकर उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए और किस तरह की दवा लेनी चाहिए, यह सब कुछ इसपर उपलब्ध होगा। महिलाओं के गर्भधारण से लेकर प्रसव काल तक हुए नियमित और आवश्यकता आधारित जांच के आंकड़ों को वंडर वेब पोर्टल पर डाला जायेगा। इससे उन्हें जरूरी चिकित्सा प्रोटोकॉल मिल सकेगा। मतलब, अलग लक्षण आने पर इस वंडर एप से चिकित्सीय सलाह भी ली जा सकती है।

आशा कार्यकर्ताओं के लिए अश्विचन पोर्टल को भी मुख्यमंत्री ने लांच किया। इसके जरिए आशा वर्कर परफारमेंस एंड इंसेंटिव पोर्टल के माध्यम से आशा अपना दावा प्रपत्र एवं अश्विन पोर्टल पर लोड करेगी। साथ ही उनकी सैलरी की भी जानकारी ऑनलाइन दी जायेगी। इसके साथ ही बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों और उनके सहयोगियों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति और जीविका के बीच में एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया।