पटना

बिहार सिविल न्यायालय विधेयक पारित


पटना (आससे)। बिहार विधानसभा ने गुरुवार को एक बेहद महत्वपूर्ण कानून पारित कर दिया। अब तक बिहार, बंगाल व ओडिशा के संयुक्त कानून से चल रहे सिविल कोर्ट का संचालन अब बिहार के कानून से होगा। विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने सदन में बिहार सिविल न्यायालय विधेयक 2021 पेश किया। इसके साथ ही बिहार का अपना कानून हो गया। इस कानून पर ध्वनिमत से मुहर लगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में पेश इस विधेयक की विशेषताओं का जिक्र करते हुए ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सन 1857 के अधिनियम से ही सिविल कोर्ट का संचालन हो रहा था। अंग्रेजों के राज में बने कानून से ही सिविल कोर्ट की गतिविधियां संचालित हो रही थीं। सीएम के हस्तक्षेप से विधि विभाग ने अपना विधेयक बनाना शुरू किया।

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर इस विधेयक को तैयार किया गया है। अब बिहार का अपना विधेयक हो गया। बिहार के विधेयक से अब राज्य के सिविल कोर्ट का संचालन होगा, यह राज्य के लिए गौरव का क्षण है। अब तक बिहार में बंगाल, आगरा और असम सिविल कोर्ट एक्ट ही लागू होता आ रहा था। 134 साल पुराने कानून के बदलते हुए राज्य सरकार ने नया कानून पारित किया है।

आजादी के 72 साल बाद पहली बार यह नया कानून लाया गया है। इस कानून को विधि विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार ने सदन में पेश किया। इसपर मंत्री बिजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून को लाने और इसे सदन से पारित करने के लिए सभी सदस्यों को मुख्यमंत्री को बधाई देनी चाहिए। सीएम की इच्छाशक्ति से यह कानून पास हुआ है और राज्य को अंग्रेजों के कानून से मुक्ति मिली है।

नए कानून के तहत सिविल कोर्ट (जूनियर डिविजन) में पांच लाख रुपये तक के मामले की सुनवाई हो सकेगी। सिविल कोर्ट सीनियर डिविजन में इससे ऊपर और 50 लाख तक के मामलों की सुनवाई होगी। यह कानून चार तरह के न्यायालयों पर लागू होगा। इसमें अपर जिला न्यायालय, सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) और सिविल कोर्ट (जूनियर डिविजन) शामिल हैं।

राज्य सरकार हाइकोर्ट की सहमति से समय-समय पर जिला और सिविल जज की संख्या का निर्धारण कर सकती है। इन दोनों जजों के खाली पदों को हाईकोर्ट की सहमति से राज्यपाल के आदेश पर भरा जाएगा। सिविल कोर्ट का नियंत्रण जिला स्तरीय कोर्ट करेंगी। वहीं सभी जिला कोर्ट का नियंत्रण हाइकोर्ट करेगी। वहीं कानून में सिविल कोर्ट के गठन, संचालन, जजों की नियुक्ति एवं संख्या, कोर्ट में छुट्टियों को लेकर तमाम प्रावधान किए गए हैं।