पटना

बेगूसराय: जेल गये 17 फरवरी को, अनुशंसा हुई 16 मार्च को; निलंबन का पत्र निकला 15 मार्च को


बेगूसराय (आससे)। शिक्षक नियोजन इकाई की कब बैठक हुई और कब निर्णय लिए गये इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन पत्र निर्णय के पहले ही निकाल दिया गया। उक्त कारनामा सदर प्रखंड बेगूसराय नियोजन इकाई की है। बताते चलें की सदर प्रखंड के कैथ पंचायत स्थित मध्य विद्यालय शांख के शिक्षक मोहम्मद अफाक प्रखंड शिक्षक के विरूद्ध एक मामला मुफस्सिल थाना में दर्ज था। जिसमें उसे गिरफ्तार कर 17 फरवरी 2021 को जेल भेज दिया गया। लेकिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं नियोजन इकाई को इसकी कोई जानकारी नहीं थी।

नियोजन इकाई को जानकारी मिली तो आनंन-फानन में निर्णय लेकर आदेश पत्र निकाल दिया। जिसमें कई सवाल खड़ा कर रहा है। 17 फरवरी को मोहम्मद अफाक मैट्रिक परीक्षा की गार्डिंग उत्क्रमित उच्च विद्यालय असुरारी परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी कर रहे थे। उसी शांम मोहम्मद अफाक की गिरफ्तारी हुई। जिसके एक माह बाद नियोजन इकाई की नींद टूटी और 15 मार्च 2021 को निलंबन का पत्र निकाल दिया। सबसे दिलचस्प पहलू है कि शिक्षक को निलंबन का आदेश नियोजन इकाई ने 16 मार्च 2021 को दिया है।

जबकि नियोजन इकाई के सचिव प्रखंड विकास पदाधिकारी ने 15 मार्च को ही हस्ताक्षर कर पत्र प्रेषित कर दिया है। जबकि उक्त पत्र में 16 मार्च को नियोजन इकाई के अध्यक्ष प्रखंड प्रमुख ने निलंबन की अनुशंसा की है। निर्गत पत्र में स्पस्ट लिखा हुआ है कि अध्यक्ष के अनुशंसा के आलोक में निलंबित किया जाता है। जबकि नियोजन इकाई की बैठक 16 मार्च को हुई है तो वही इस पत्र के आलोक में निलंबन की कारवाई 15 मार्च को ही कर दी गई है।

उक्त आदेश पत्र में निलंबन के दौरान जीवन यापन भत्ते की कोई चर्चा भी नही है। वही निलंबन अवधि में शिक्षक मोहम्मद अफाक कहां रहेंगे? इसका भी जिक्र आदेश पत्र में नहीं किया गया है। इस तरह के पत्र निकलते ही शिक्षकों के बीच भी बहस का बाजार गरम है कि आखिरकार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जो कि नियोजन इकाई के सदस्य होते हैं वही प्रखंड विकास पदाधिकारी नियोजन इकाई के सचिव होते हैं और प्रखंड प्रमुख से कैसे भूल हुई है? कि त्रुटि पूर्ण पत्र प्रेषित कर दी गई है।

सवाल उठना लाजमी है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इतने दिनों तक पता क्यों नहीं चला कि शिक्षक मोहम्मद अफाक विद्यालय जा रहे हैं या नहीं? क्या जानबूझकर इसे नजर अंदाज करने की साजिश थी या फिर इसे भूल कहा जाए। फिलहाल उक्त पत्र की आलोचना शिक्षकों के बीच हो रही है।