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मनीष सिसोदिया ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया,


नई दिल्ली।  दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने शनिवार को विधानसभा में अपना आठवां बजट पेश किया है। उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने दो साल पहले ग्रीन-बजट पेश किया था, पिछले साल देशभक्ति बजट पेश किया और इस बार रोजगार बजट पेश किया गया है। इस बार पेश किए गए रोजगार बजट के पीछे की क्या है पूरी परिकल्पना, इसे किस तरह लागू किया जाएगा और इसका लाभ लोगों तक कैसे पहुंचेगा? इसे लेकर वीके शुक्ला ने मनीष सिसोदिया से विस्तृत बातचीत की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:

रोजगार बजट की परिकल्पना कैसे तैयार हुई, इसकी आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

-पूरे देश में रोजगार की स्थिति अच्छी नहीं है। दिल्ली की भी वही स्थिति है, यहां कामकाजी आबादी में केवल 33 प्रतिशत ही नौकरीपेशा हैं। हम इसे बढ़ाकर 45 प्रतिशत तक ले जाना चाहते हैं। रोजगार बजट के माध्यम से सरकार का लक्ष्य आर्थिक विकास को फिर से शुरू करना और मजबूत करना है। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार दिल्ली में 21वीं सदी के वर्तमान और भविष्य के व्यवसायों को प्रोत्साहित करेगी। दिल्ली की तुलना में लंदन में 90 लाख आबादी में से 51.60 प्रतिशत लोग कार्यरत हैं, न्यूयार्क शहर में 88 लाख निवासियों में से 52.6 प्रतिशत कार्यरत हैं और सिंगापुर में 55 लाख से अधिक लोगों में से 67 प्रतिशत के पास रोजगार है। रोजगार बजट को तैयार करने के लिए मार्केट एसोसिएशन के साथ बैठक करके सुझाव लिए गए हैं। लोगों से आनलाइन सुझाव भी लिए जा रहे हैं। कुल 6500 के करीब सुझाव आए, उनके आधार पर यह रोजगार बजट तैयार किया गया।

आप ने बजट में पांच साल में 20 लाख नौकरियां देने की घोषणा की है, ये कैसे पैदा होंगी?

-इसके लिए पूरा खाका तैयार किया गया है, बहुत बारीकी से अध्ययन किया गया है। खुदरा बाजारों के पुनर्विकास से डेढ़ लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। वचरुअल दिल्ली बाजार पोर्टल के माध्यम से तीन लाख, कृत्रिम बुद्धि-आधारित एप रोजगार बाजार के माध्यम से एक लाख, खाद्य ट्रक नीति को लागू करके 60 हजार, क्लाउड किचेन के माध्यम से 42 हजार, हरित पहल के माध्यम से एक लाख और अन्य क्षेत्रों में स्मार्ट शहरी खेती के शुभारंभ के साथ 25 हजार रोजगार पैदा होंगे।

 

बजट में गांधी नगर को बड़े गारमेंट हब के रूप में विकसित करने का सरकार का प्रस्ताव है, इसे कैसे अमल में लाया जाएगा? क्या दिल्ली के अन्य थोक बाजारों को भी आगे इसी तर्ज पर विकसित करने की योजना है?

-होलसेल ट्रेडिंग के लिए दिल्ली बहुत बड़ा बाजार है। दिल्ली का 60 प्रतिशत कारोबार थोक में किया जाता है। गांधीनगर बाजार को अमेरिका के न्यूयार्क शहर के मैनहटन इलाके के गारमेंट बाजार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए मैनहटन में होने वाले रेडीमेड कपड़ों के कारोबार का बारीकी से अध्ययन कराया गया है और उसी के अनुरूप इसे विकसित करने की योजना है। इसके लिए गांधी नगर की समस्याओं और जरूरतों का भी अध्ययन कराया गया है, ताकि इस बाजार को ग्राहकों के लिए आकर्षक बनाया जाए। यहां के कारोबार की ब्रां¨डग में भी सरकार कारोबारियों की पूरी मदद करेगी। पहले गांधी नगर थोक बाजार को बड़े गारमेंट हब के रूप में विकसित करने पर पूरा जोर रहेगा। इसकी सफलता के बाद एक-एक कर अन्य थोक बाजारों पर काम किया जाएगा। इस बजट में एक अहम बात आप यह देखेंगे कि सरकार कारोबारियों के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। कारोबार बढ़ाने के लिए कारोबारी पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं, अब उन्हें सरकार का भी इसमें पूरा सहयोग मिलेगा, जिससे उनके साथ ही दिल्ली का भी विकास होगा।

दिल्ली में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आप के बजट में कई प्रविधान किए गए हैं, क्या आप इन्हें पर्याप्त मानते हैं?

-बजट के दो पहलू हैं रोजगार और पर्यटन। आप देखिए बजट में दिल्ली के बाजारों को सजाने संवारने की बात की गई है। दिल्ली के व्यंजनों को बढ़ावा देने की बात कही गई है। दिल्ली की अपनी फिल्म पालिसी आ रही है। हम फिल्म महोत्सव कराएंगे। ये सब पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे। साथ ही दिल्ली में नाइट लाइफ को बढ़ावा देने के लिए फूड ट्रक की भी योजना है। ये योजनाएं पर्यटन की दृष्टि से लोगों को दिल्ली के प्रति आकर्षित करेंगी। हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली में आने वाला पर्यटक डेढ़ दिन की जगह कम से कम ढाई दिन ठहरे।

 

दो साल पहले आपने ग्रीन-बजट पेश किया था, लेकिन वायु प्रदूषण की स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हो सका। इस बजट में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कोई नई योजना नहीं दिखाई दी, ऐसा क्यों?

-ऐसा नहीं है, आप ध्यान से देखिए, इलेक्टिक वाहन नीति तो पर्यावरण का ही हिस्सा है। इस पर पूरी तरह से फोकस किया गया है। आने वाला समय इलेक्टिक वाहनों का है, जिसे देखते हुए इलेक्टिक वाहन नीति लागू की गई है। हमारा लक्ष्य है 2024 तक दिल्ली में पंजीकृत होने वाले वाहनों में इलेक्टिक वाहनों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक की जाए। यह अभी 10 प्रतिशत से अधिक हो गई है। लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं, सब्सिडी इत्यादि दी जा रही है, जिससे सीधे तौर पर वायु प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। वहीं, दिल्ली में पहली बार बसों का बेड़ा भी सात हजार के पार हो गया है, इलेक्टिक बसों समेत और भी बसें आने वाली आपके पास कुछ समय पहले ही लोक निर्माण विभाग का भी दायित्व आया है, ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार बजट में पीडब्ल्यूडी से संबंधित कुछ नई योजनाएं प्रमुखता से नजर आएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ?

-(हंसते हुए..) ऐसा नहीं है, 2022-23 के बजट में पांच सड़क पुल, दो अंडरपास, डीएनडी फ्लाई-वे विस्तार और पैदल यात्रियों के लिए एक सब-वे का प्रविधान किया गया है। बजट में परिवहन, सड़क और पुल क्षेत्र के लिए कुल आवंटन 9,539 करोड़ रुपये का है। इससे त्रिनगर, इंद्रलोक, करमपुरा, नांगलोई, बसई दारापुर, कोंडली और आश्रम चौक पर भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी। यह राशि पिछले वर्ष के आवंटन से 145 करोड़ रुपये अधिक है। सरकार ने 2021-22 में इस क्षेत्र के लिए 9,394 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

 

यमुना को साफ करना बड़ी चुनौती है। आप कह रहे हैं कि दो साल में साफ कर देंगे, कैसे?

-इसके लिए पूरा प्लान बनाया गया है। दिल्ली सरकार यमुना की सफाई के लिए लगातार काम कर रही है। बजट में इसके लिए प्रविधान भी किए गए हैं। हमने अगले दो वर्षों में यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की घोषणा की है और हमारा संकल्प है कि इस अवधि के बाद एक बूंद भी गंदा पानी इस पवित्र नदी में नहीं गिरेगा। यमुना के प्रदूषित होने का बड़ा कारण इसमें गिरने वाले नाले हैं। नाले का पानी बिना शोधित किए नदी में गिर रहा है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का काम शीघ्र पूरा करने की कोशिश हो रही है। यमुना में गिरने वाले नालों का पानी इकट्ठा कर एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जाएगा।

दिल्ली में पेयजल की कमी है, बजट में दिल्ली में सभी के लिए 24 घंटे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की बात कही है। यह कैसे संभव होगा?

-राजधानी के प्रत्येक घर में अगले तीन वर्ष में 24 घंटे शुद्ध जलापूर्ति करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे हासिल करने के लिए सरकार काम कर रही है, जिससे दिल्ली में पानी की उपलब्धता में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले यहां प्रतिदिन 915 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी उपलब्ध होता था, अब यह बढ़कर 985 एमजीडी हो गया है। यह लगातार बढ़ रहा है। इससे जलापूर्ति की स्थिति सुधरी है। हमने इस बार जलापूर्ति के लिए बजट भी पिछले साल के मुकाबले दोगुना से अधिक दिया है।

पिछले बजट के मुकाबले स्वास्थ्य का बजट इस बार 165 करोड़ कम रखा गया है। इसके पीछे क्या वजह रही?

-पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया गया था, इस बार हालात सामान्य हैं, जिन्हें देखते हुए बजट में थोड़ी कमी की गई है। हालांकि, सभी प्रमुख योजनाओं को भरपूर बजट दिया गया है और कई नई परियोजनाएं भी बजट में शामिल की गई हैं। पिछले आठ सालों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा काम हुआ है। इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। दिल्ली सरकार शहर के पांच बाजारों पर सौ करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। इससे न सिर्फ ये बाजार अलग रंग रूप में दिखाई देंगे, बल्कि कारोबार को भी पंख लगेंगे। विकसित होने के बाद लोग इन बाजारों को देखने आएंगे।