पटना

मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति का इस्तीफा


घोटाले को उजागर करने को लेकर सुर्खियों में थे प्रो. कुद्दूस

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कुद्दूस ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राजभवन, मुख्यमंत्री सचिवालय और शिक्षा विभाग को भेज दिया है।

इसकी पुष्टि खुद प्रोफेसर कुद्दूस की है। प्रोफेसर कुद्दूस के मुताबिक विश्वविद्यालय में कार्य करने का माहौल नहीं था, जिसकी वजह से उन्होंने कुलपति पद से अपना इस्तीफा दिया है। प्रोफेसर कुद्दूस ने मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में 22 अगस्त को कुलपति के पद पर योगदान किया था। उसके बाद से वे लगातार विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों से दुखी थे। विश्वविद्यालय की स्थिति को देखकर परेशान थे। पूर्व कुलपति द्वारा किये गये कार्यों पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कुलपति ने मामले का उजागर किया था।

विश्वविद्यालय में हुई कॉपियों की खरीद से लेकर सुरक्षा गार्ड को अधिक पेमेंट को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय और राजभवन को पत्र लिखकर सुर्खियों में आये थे। आपको याद दिला दूं कि मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद से इस्तीफा देने वाले प्रो. कुद्दूस ने नौ दिसंबर को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर गलत भुगतान के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है तथा विजय सिंह और अतुल श्रीवास्तव के मोबाइल नंबर की फॉरेंसिक जांच कराने का आग्रह किया है। प्रो. कुद्दूस ने गलत भुगतान के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए अपने पत्र में कहा है कि मोबाइल नंबर 9415010066, 9919888608 और 6394819121 की फोरेंसिक जांच करा ली जाय।

इसके पहले राजभवन के संयुक्त सचिव प्रवीण गुप्ता ने 30 नवंबर को मौलाना अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुद्दूस पत्र लिखकर निर्देश दिया था कि 45 के बजाय 80 सुरक्षाकर्मियों को अतुल श्रीवास्तव द्वारा मोबाइल पर जबरन भुगतान करने का दबाव बनाने का साक्ष्य प्रस्तुत करें। इसके जवाब में कुलपति प्रो. कुद्दूस ने पत्र लिख कर कहा था कि सभी साक्ष्य राजभवन में मौजूद हैं।

इसके पहले 20 नवंबर को मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुद्दूस ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि जब विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार जब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह के जिम्मे था, तो सात रुपये की कॉपी 16 रुपए में खरीदी गयी। 16 की दर से एक लाख 60 हजार कॉपियों के ऑर्डर लखनऊ के एक फॉर्म को दिये गये।

प्रो. कुद्दूस का आरोप है कि जब वे कुलपति बने, तो उन पर भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है। प्रो. कुद्दूस के आरोपों के बाद ही पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के अतिरिक्त प्रभार से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह को मुक्त किया गया।