सम्पादकीय

रेल रोकोका सीमित असर


नये कृषि कानूनोंके विरोधमें गुरुवारको आन्दोलनकारी किसानोंका देशव्यापी रेल रोको आन्दोलन छिटपुट झड़पोंके बीच लगभग शान्तिपूर्ण ही रहा। रेलवे और जिला प्रशासनोंकी ओरसे सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी रही। विभिन्न स्थानोंपर बड़ी संख्यामें सुरक्षाबलोंकी अतिरिक्त तैनाती की गयी थी। दोपहर १२ बजेसे प्रारम्भ हुआ यह आन्दोलन लगभग चार बजे समाप्त हो गया। प्रमुख स्थानोंपर रेल पटरियोंके किनारे जवान गश्त कर रहे थे। गणतंत्र दिवस समारोहके दौरान दिल्लीमें हुई हिंसाकी घटनाओंको देखते हुए प्रशासन काफी सतर्क रहा जिससे अप्रिय घटनाएं नहीं होने पायें। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेशसे सटे स्टेशनोंपर चौकसी बढ़ा दी गयी थी। स्टेशनोंतक पहुंचनेके मुख्य मार्गोंके अतिरिक्त अन्य रास्ते भी बंद कर दिये गये थे। पिछले ८५ दिनोंसे जारी किसान आन्दोलनमें ४० से अधिक संघटनसे जुड़े किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। रेल रोको आन्दोलनके मुद्देपर इन किसान संघटनोंके बीच सर्वसम्मतिसे सहमति नहीं बन पायी थी। इसीलिए भारतीय किसान यूनियनके नेता राकेश टिकैतने कहा कि रेल रोको आन्दोलन सांकेतिक रहेगा और किसी प्रकारकी अप्रिय घटनाएं नहीं होने पायें, इसके प्रति भी पूरी सतर्कता बरती जायगी। यात्रियोंको किसी प्रकारका कष्टï नहीं होने पाये, इसपर भी ध्यान दिया जायगा। यात्रियोंको जलपान भी कराये जायंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेन रोको कार्यक्रमका एक उद्देश्य बन्द ट्रेनोंको शुरू कराना भी है। संयुक्त किसान मोरचाने देशभरमें रेल रोकनेका आह्वïान किया था लेकिन यह आन्दोलन हरियाणा, पंजाब, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगालतक ही सिमटकर रह गया। अन्य राज्योंमें विभिन्न स्थानोंपर रेल रोको आन्दोलनका मिला-जुला असर देखनेको मिला। आन्दोलनकारी किसान रेलकी पटरियोंपर बैठ गये। इससे ट्रेनोंका गमनागमन प्रभावित हुआ। कुछ स्थानोंपर महिलाएं भी रेल पटरियोंपर बैठीं। किसानोंके इस आन्दोलनको देखते हुए रेलवे प्रशासनने संवेदनशील रेल मार्गोंकी पहचान पहलेसे ही कर ली थी। साथ ही ट्रेनोंके रेगुलेशन या समयमें परिवर्तनकी सूचनाएं भी रेलवे प्रशासनकी ओरसे दी गयी जिससे कि लोगोंको किसी प्रकारकी परेशानी नहीं हो। किसी भी ट्रेनको निरस्त नहीं किया गया। रेलवे और जिला प्रशासनने सूझ-बूझ और पूरी तैयारीके साथ अपने दायित्वका निर्वहन किया, जिससे चार घण्टेके इस आन्दोलनके दौरान बड़ी घटनाएं नहीं होने पायीं। इसके अतिरिक्त किसान संघटनोंने भी संयमसे कार्य किया। इस सांकेतिक आन्दोलनके माध्यमसे किसान संघटन सरकारपर दबाव बनाना चाहते थे और रेलवे प्रशासनकी ओरसे भी ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे कि आन्दोलनकारी किसान उग्र होते। वैसे किसान आन्दोलनका स्वीकार्य समाधान शीघ्र निकलना चाहिए।

चीनको बाइडेनकी चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनने मानवाधिकार हननको लेकर चीनको एक बार फिर सख्त चेतावनी देकर उसकी विश्वगुरु बननेकी चाहतको तगड़ा झटका दिया है। यह जरूरी भी था, क्योंकि विश्वमें सबसे ज्यादा मानवाधिकारका उल्लंघन चीन करता है। चीन जहां उइगर मुसलमानोंके साथ अमानवीय व्यवहार करता है, वहीं कर्जके जालमें फंसाकर छोटे देशोंपर अपना कब्जा जमा कर अपनी विस्तारवादी नीति लगातार आगे बढ़ानेमें लगा रहता है। चीनी प्रशासनकी ओरसे उइगर मुसलमानोंके लिए बनाये गये री-एजुकेशन कैम्पोंमें महिलाओंके साथ दुराचारके साथ उन्हें भीषण यातनाएं दी जाती हैं। ऐसेमें अमेरिका जैसे बड़े देशोंकी जिम्मदारी है कि वह चीनका असली चेहरा दुनियाके सामने लाये। मुस्लिम अल्पसंख्यकोंके साथ एशियाके देशोंमें व्यवहार सम्बन्धी कार्यक्रममें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनने कहा है कि अमेरिका मानवाधिकारके मुद्दोंपर अपनी भूमिकाको साबित करेगा और चीनमें जिस तरह उइगर मुसलमानोंको प्रताडि़त किया जा रहा है उसका परिणाम चीनको भुगतना होगा। अमेरिका अन्तरराष्ट्रीय समुदायके साथ मिलकर चीनसे उनको सुरक्षा देनेपर काम करेगा। चीनमें लोगोंकी आवाजको किस तरह दबाया जाता है यह किसीसे छिपा नहीं है। इंटरनेट मीडियापर ब्लागके माध्यमसे सुनायी देनेवाली आवाजको दबानेके लिए नया कानून बना रहा है। चीन जैसी गतिविधियोंमें लगा है, उससे मानवाधिकारके पालनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हालांकि उसकी इन्हीं गतिविधियोंके चलते विश्वमें उसकी आलोचना हो रही है लेकिन चीन इनसे सबक लेनेवाला नहीं है। ऐसेमें जरूरी हो गया है कि शान्ति और मानवताके पक्षधर देश बाइडेनके इस अभियानमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें जिससे चीनकी अमानवीय गतिविधियोंपर अंकुश लगाया जा सके।