सम्पादकीय

सुधरते हालात


कोरोनाके खिलाफ जंगका असर अब विश्वके अनेक देशोंमें दिखने लगा है, जिनमें भारत भी शामिल है। स्थितियां सुधर रही हैं और लोग राहतमें भी हैं। संक्रमणकी रफ्तार कम हुई है। इससे अनेक देशोंने पाबन्दियोंमें ढील दे दी है। अमेरिकाने तो मास्ककी अनिवार्यता ही समाप्त कर दी है। बाजारोंको खोलनेका समय भी बढ़ा दिया गया है। इराक, तुर्की, थाईलैण्ड सहित अनेक देशोंने प्रतिबन्धोंमें कमी कर दी है। पड़ोसी देश बंगलादेश और पाकिस्तानमें भी संक्रमण नियंत्रणमें है। इराकी सरकारने तो लाकडाउन योजनाको स्थगित कर दिया है। भारतमें संक्रमणकी रफ्तार कम हो गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार २१ अप्रैलके बाद पहली बार तीन लाखसे कम नये मामलोंका आना राहतकारी संकेत है लेकिन पिछले २४ घण्टोंके दौरान मृतकोंकी संख्या चार हजारसे ऊपर होना अवश्य चिन्ताकी बात है। सोमवारको जारी आंकड़ोंमें बताया गया है कि भारतमें पिछले २४ घण्टोंके दौरान दो लाख ८१ हजार ३८६ नये मामले दर्ज किये गये और ४१०६ लोगोंकी मृत्यु हुई। सुखद बात यह है कि इस अवधिमें तीन लाख ७८ हजार ७४१ लोग संक्रमणसे उबरनेमें सफल रहे। ठीक होनेवालोंके आंकड़ोंमें निरन्तर वृद्धि हो रही है, जो सुधारके मजबूत संकेत हैं। सक्रिय मरीजोंकी संख्या लगातार कम हो रही है। केन्द्र और राज्य सरकारें कोरोनाके खिलाफ जंगमें काफी सक्रिय हैं। कुछ चुनौतियां और व्यवस्थागत खामियां भी हैं, जिनका निराकरण बहुत जरूरी है। जांच और टीकाकरणमें कुछ तेजी अवश्य आयी है। अबतक १८ करोड़ ३० लाखसे अधिक लोगोंको टीका लगाया जा चुका है। टीकाकरण अभियान और तेज करनेकी जरूरत है जिसके लिए पर्याप्त टीकोंकी उपलब्धता आवश्यक है। देशमें अब तीन प्रकारके टीके उपलब्ध हैं। आनेवाले दिनोंमें टीकोंका उत्पादन बढऩेवाला है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। अन्य कम्पनियोंको भी टीका उत्पादके कार्यसे जोड़ा जा रहा है। उत्पादन बढऩेमें कुछ समय लगना स्वाभाविक है। देशकी बड़ी आबादीको देखते हुए बड़े पैमानेपर टीकेका उत्पादन आवश्यक है। जबसे अ_ïारह वर्षसे ऊपरके लोगोंका टीकाकरण प्रारम्भ हुआ है तबसे टीकेकी मांग बढ़ गयी है। टीकाकरण केन्द्रोंपर बढ़ती भीड़ इस बातका प्रमाण है कि लोग टीका लगानेके लिए जागरूक हुए हैं। टीकेकी किल्लत बनी हुई है। इसे यथासम्भव दूर करनेका प्रयास होना चाहिए जिससे कि अधिकसे अधिक लोगोंको टीके लगाये जा सकें।

युद्ध नहीं, शान्ति जरूरी

फिलस्तीन और इसरायलमें बढ़ते तनाव और हमलोंके बीच इसरायलने रविवारको गाजा सिटीमें अबतकका सबसे भीषण हमला किया, जिसमें १३ बच्चों समेत ४२ फिलस्तीनी मारे गये। इसरायल और इस्लामिक आतंकी संघटन हमासके बीच आठ दिनसे जारी संघर्षमें अबतक दो सौसे अधिक फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें ५२ बच्चे शामिल हैं जबकि एक हजारसे अधिक लोग घायल हो चुके हैं। दोनों पक्षोंसे हमलोंमें उग्रता उस समय आयी जब इसरायली सेना शनिवारको गाजामें १८ मंजिला इमारत ध्वस्त कर दी, जिसमें हमासका भी कार्यालय था। इसके विरोधमें हमासने इसरायलपर रातभरमें १२० राकेट दागे। जवाबमें इसरायलने रविवारको सुबह हवाई हमले कर हमासके शीर्ष नेताका घर उड़ा दिया, जो वर्ष २०११ में इसरायलके जेलसे रिहा हुआ था। वह हमासकी सैन्य और राजनीतिक शाखाका प्रमुख है। मौजूदा संघर्ष २०१४ में हुए युद्धसे भी ज्यादा भयावह हो गया है। दरअसल हमास कट्टïरपंथियोंका एक आतंकी संघटन है जो गाजा सहित अन्य क्षेत्रोंमें अपने संघटनका प्रभुत्व जमाना चाहता है। इसरायलका इस आतंकी संघटनके विरुद्ध उठाया गया कड़ा कदम सही है, क्योंकि आतंकवाद आज पूरे विश्वके लिए खतरा बनता जा रहा है। एक ओर जहां अमेरिकाने इसरायलका खुला समर्थन किया है वहीं ५७ सदस्यीय इस्लामी सहयोग संघटन (ओआईसी) फिलस्तीनके साथ खड़े हैं जिससे दोनों देशोंके बीच एक बार फिर लम्बे खिंचते युद्धके आसार बनते दिख रहे हैं। हालांकि अन्तरराष्टï्रीय वार्ताकार दोनों पक्षोंके बीच मध्यस्थताका प्रयास कर रहे हैं लेकिन जिस तरहसे हमासके शीर्ष नेताओंको निशाना बनाया जा रहा है उससे इन प्रयासोंको झटका लग सकता है। अबतक लगभग दो दर्जन हमासके शीर्ष नेता मारे जा चुके हैं जिससे हमास कमजोर तो हुआ है लेकिन पीछे हटनेके लिए तैयार नहीं है। इसरायली हमलोंको रोकनेके लिए ओआईसीकी रविवारको आपातकालीन डिजिटल बैठक हुई। भारतने भी दोनों पक्षोंको अत्यधिक संयम बरतनेकी अपील की है, जबकि इसरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहूने अन्तरराष्टï्रीय संघर्ष विरामके प्रयासोंके बावजूद फिरसे युद्ध जारी रखनेके संकेत दिये हैं। कोरोना संकटके दौरमें युद्धकी नहीं, शान्तिकी जरूरत है। इस दिशामें प्रयास होना चाहिए।