बगैर पूर्व नोटिस के सजा को नहीं बढ़ाया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक दोषी की सजा बढ़ाने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया। बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषी को बगैर पूर्व सूचना दिए आजीवन कारावास की सजा को मृत्यु तक कारावास में बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऐसा करने से दोषी को अपना बचाव करने के अवसर से वंचित कर दिय गया । कोर्ट ने आगे कहा, ‘हाईकोर्ट के फैसले के कारण, याचिकाकर्ताओं को मामले में बचाव करने का अवसर नहीं दिया गया।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट सू मोटो से शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और सजा को बढ़ा सकता है, लेकिन उसे इसके लिए पहले ही दोषी या आरोपी को नोटिस देना होगा। बेंच ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाई कोर्ट ही अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और सजा बढ़ा सकता है। हालांकि, ऐसा करने से पहले, हाई कोर्ट को याचिकाकर्ताओं को नोटिस देना आवश्यक है।’
रेयरेस्ट आफ रेयर कैटेगरी का है मामला
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को दो दोषियों ने चुनौती दी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को ‘रेयरेस्ट आफ द रेयर’ की कैटेगरी में वर्गीकृत किया। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि IPC की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध के लिए याचिकाकर्ता बाकी की जिंदगी जेल में काटेगा।