राजकुमार सिंह नरेंद्र मोदी-अमित शाहकी राजनीतिक समझपर संदेह नहीं है। फिर पंजाब नगर निकाय चुनावोंमें शिरोमणि अकाली दल विवादास्पद कृषि कानूनोंपर विलंबसे भाजपाका साथ छोडऩेकी कीमत चुकानी पड़ी है। तमाम कवायदके बावजूद आम आदमी पार्टी किसान असंतोषका लाभ उठानेमें विफल रही है। ऐसेमें सत्तारूढ़ कांग्रेस अगले विधानसभा चुनावसे महज एक साल पहले अपना परचम लहरानेमें […]
सम्पादकीय
दूसरोंको दोष
श्रीराम शर्मा यदि किसीका व्यवहार अनुचित प्रतीत होता है तो यह माननेसे पहले कि सारा दोष उसीका है, स्वयंपर भी विचार अवश्य करें। दूसरोंपर दोषारोपण करनेका आधा कारण तो स्वयं समाप्त हो जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसीकी छोटी-सी भूल या अस्त व्यस्ततापर आप मुस्करा देते हैं या व्यंगपूर्वक कुछ उपहास […]
सेना वापसीमें तेजी
भारतके साथ सहमति बननेके बाद पूर्वी लद्दाखमें पैंगोंग झीलके निकटवर्ती क्षेत्रोंसे सेनाओंको हटानेके साथ ही झीलके दक्षिणी दिशामें रेजांग ला और रेचिन ला से भी चीनी सैनिकोंने पीछे हटनेकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस इलाकेकी ऊंची पहाडिय़ोंमें भारतीय सेना रणनीतिक रूपसे बढ़त बनाये हुई थी। रेजांग ला और रेचिन ला से सेनाओंको हटानेका मामला […]
तकनीकसे बदलेगा भविष्य
पी.के. खुराना सन् १९९१ में पीवी नरसिंह रावके प्रधान मंत्रित्व कालमें उदारवादकी शुरुआत की। उससे देशकी अर्थव्यवस्थामें कई बड़े परिवर्तन आये। कांग्रेसने पहली बार इंदिरा गांधीके समाजवादी गणराज्यकी परिकल्पनासे परे सोचा और वैश्विक कंपनियोंको भारतमें विदेशी निवेश आमंत्रित किया। भविष्यमें तकनीक सिर्फ सपोर्ट सिस्टम न रहकर उद्योगोंकी दिशा निर्धारित करेगी। इसीसे भारतीय अर्थव्यवस्थाकी खासियतें बरकरार […]
कश्मीरमें विदेशी राजनयिकोंका दौरा
तारकेश्वर मिश्र धारा ३७० हटनेके बाद तीसरा मौका है जब सरकारने २४ विदेशी राजनयिकोंको जम्मू-कश्मीरका दौरा करवाया। राजनयिकोंने स्थानीय स्तरसे लेकर सेना, सुरक्षा बलों और पुलिसके जरिये सुरक्षा-व्यवस्थाकी थाह ली। अक्तूबर २०१९ में यूरोपीय देशोंके प्रतिनिधिमंडलने घाटीका दौरा किया था और विपक्षने इसे गाइडेड टूर बताया था। पिछले साल ९ जनवरीको नयी दिल्ली स्थित अमेरिकी […]
लोकतन्त्रकी असली नींव है विश्वास
अजीत रानाडे अमेरिकाके ३५वें राष्ट्रपतिके रूपमें पदभार ग्रहण करते हुए २० जनवरी, १९६१ को जॉन एफ केनेडीने यह प्रसिद्ध उक्ति कही थी, यह मत पूछें कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है, आप यह पूछें कि आप अपने देशके लिए क्या कर सकते हैं। यह एक करिश्माई नेता द्वारा नागरिक सक्रियताका आह्वान था। […]
आत्मज्ञानकी प्राप्ति
जग्गी वासुदेव आत्मज्ञान प्राप्त होनेका अर्थ यह नहीं है कि यह कूदकर किसी लक्ष्यको प्राप्त कर लेने जैसा नहीं है अथवा किसी पर्वतके शिखरपर पहुंच जाने जैसा भी नहीं है। यह तो सिर्फ स्वको जान लेना ही है। जब उस सत्यको जान लेते हैं जो पहलेसे ही वहां है तो हम इसे आत्मज्ञान कहते हैं। […]
रेल रोकोका सीमित असर
नये कृषि कानूनोंके विरोधमें गुरुवारको आन्दोलनकारी किसानोंका देशव्यापी रेल रोको आन्दोलन छिटपुट झड़पोंके बीच लगभग शान्तिपूर्ण ही रहा। रेलवे और जिला प्रशासनोंकी ओरसे सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी रही। विभिन्न स्थानोंपर बड़ी संख्यामें सुरक्षाबलोंकी अतिरिक्त तैनाती की गयी थी। दोपहर १२ बजेसे प्रारम्भ हुआ यह आन्दोलन लगभग चार बजे समाप्त हो गया। प्रमुख स्थानोंपर रेल पटरियोंके […]
आंदोलनकी आड़में देशविरोधी कृत्य
आशीष वशिष्ठ कृषि कानूनोंके विरोधमें जिस तरहकी देशविरोधी घटनाएं सामने आयी हैं, वह चिन्ताका बड़ा कारण है। २६ जनवरीको ट्रैक्टर रैलीकी आड़में जिस तरह लालकिलेमें एक विशेष रंगका झंडा फहराया गया, वह देशकी संप्रभुता, एकता और अखंडताका चुनौती देनेवाली घटना है। वहीं किसान आन्दोलनको लेक जिस तरह विदेशी हस्तियोंने बयानबाजी शुरू की उससे यह मामला […]
जागरूकतासे बचाव सम्भव
ज्ञानेन्द्र रावत बीती १२ फरवरीको रात्रि ताजिकिस्तानमें आये ६.३ रिएक्टर स्केल और अमृतसरमें ठीक उसके ३ मिनट बाद ६.१ रिएक्टर स्केलके भूकंपसे कोई जन-धनके नुकसानकी सूचना नहीं है। ताजिकिस्तानमें जमीनके अंदर ८० किलोमीटर इस भूकंपका केन्द्र बताया जा रहा है। उत्तर भारतके हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, नोएडा सहित राजधानी दिल्लीमें भूकंपके झटके […]