सम्पादकीय

सत्तापरिवर्तनके बाद इसराइलसे भारतके संबंध

आर.के. सिन्हा इसरायलमें सत्तामें परिवर्तन तो हो गया है। वहांपर प्रधान मंत्री पदको नफ्ताली बेनेतने संभाल लिया है। परन्तु इससे भारत-इसराइलके संबंधोंपर किसी तरहका असर नहीं होगा। दोनों देशोंके रिश्ते चट्टानसे भी ज्यादा मजबूत है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने मित्र देशके नये प्रधान मंत्रीको बधाई देते हुए कहा कि अगले वर्ष हमारे राजनयिक रिश्तोंको ३० […]

सम्पादकीय

आत्मतत्वकी खोज

श्रीराम शर्मा किसीकी यह धारणा सर्वथा मिथ्या है कि सुखका निवास किन्हीं पदार्थोंमें है। यदि ऐसा रहा होता तो वह सारे पदार्थ जिन्हें सुखदायक माना जाता है, सबको समान रूपसे सुखी और संतुष्ट रखते अथवा उन पदार्थोंके मिल जानेपर मनुष्य सहज ही सुख संपन्न हो जाता। संसारमें ऐसे लोगोंकी कमी नहीं है, जिन्हें सारे पदार्थ […]

सम्पादकीय

महंगीकी तेज रफ्तार

कोरोना कालमें महंगी तेज रफ्तारके साथ रिकार्ड स्तरपर पहुंच गयी है, जो सरकार और जनता दोनोंके लिए गम्भीर चिन्ताका विषय होनेके साथ ही देशकी अर्थव्यवस्थाके लिए भी सुखद संकेत नहीं है। केन्द्र सरकारकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार मई माहमें थोक महंगी दर १२.९४ प्रतिशतके स्तरपर पहुंच गयी, जो २५ वर्षोंमें सर्वाधिक है। अप्रैल माहमें यह […]

सम्पादकीय

भारत विरोधी बयानबाजी

राजेश माहेश्वरी       मध्य प्रदेशके पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह अधिकतर समय अपने विवादित बयानोंके लिए ही चर्चामें रहते हैं। ताजा मामलेमें दिग्गी राजाने एक पकिस्तानी पत्रकारसे कहा कि कांग्रेस सत्तामें आयी तो आर्टिकल ३७० पर पुनर्विचार करेंगे। दिग्विजय सिंहके इस बयानको पहले तो भाजपा आईटी सेलकी शरारत माना गया लेकिन बादमें इस बातकी पुष्टिï हो […]

सम्पादकीय

भूमिको उपजाऊ बनानेकी चुनौती

डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा         संयुक्त राष्ट्र संघके मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखेपर आयोजित वर्चुअल संवादमें १४वें सत्रमें मुख्य भाषण देते हुए नरेन्द्र मोदीने कहा कि बंजर होती भूमिके कारण दुनियाके सामने गंभीर संकट है। यह संकट भूमिके बंजर होनेतक ही सीमित नहीं हैं अपितु इससे जैव विविधता, जलवायु, खाद्यान्न संकट और सूखेकी समस्यासे जुड़ी हुई […]

सम्पादकीय

कर्तव्य पालनसे सफलता निश्चित

डा. हेमेन्द्र कुमार सिंह शिक्षण वह क्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक, छात्र तथा विषयके मध्य सम्बन्ध स्थापित होता है। शिक्षक-शिक्षण तथा शिक्षार्थीमें शिक्षक तथा शिक्षार्थी सजीव एवं सक्रिय बिन्दु है। शिक्षक शिक्षणके समय अपने कर्तव्यपथपर अधिक सक्रिय एवं सजीव रहे तब छात्र भी अपने कर्तव्यपथपर अधिक सक्रिय एवं उत्साही रहता है। जबतक शिक्षण प्रक्रियाके यह […]

सम्पादकीय

ईश्वरीय शक्ति

श्रीश्री रवि शंकर हम सभीने इस धरतीपर कुछ नया और अनोखा कार्य करनेके लिए जन्म लिया है। इस अवसरको किसी भी हालमें भी न गवायें।  स्वयंको कुछ बड़ा सोचने और सपने देखनेकी आजादी आपको देनी ही चाहिए। जो चीज आपको प्रिय है, वह सपने जिन्हें आप पूरा करना चाहते हैं। उनके लिए आपके पास साहस […]

सम्पादकीय

चीनकी चौतरफा घेरेबंदी

कोरोना कालमें ब्रिटेनमें आयोजित विश्वके सात विकसित देशोंके संघटन जी-७ की शिखर बैठकमें चीनकी चौतरफा घेरेबंदीका एक स्वरसे निर्णय किया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है, जो चीनसे ही पूरे विश्वमें फैली और इससे विश्वके प्राय: सभी देश आक्रान्त हैं। ३८ लाखसे अधिक लोगोंकी मौत हुई। शिखर बैठकमें स्पष्टï रूपसे कहा गया […]

सम्पादकीय

कोरोना टीकाकरण अनिवार्य

आशीष वशिष्ठ   कोरोना वायरसने ऐसा कहर ढाया है कि आनेवाले कई वर्षोंतक इस संतापको भुलाया नहीं जा सकेगा। देशमें स्वास्थ्य सेवाओंकी स्थिति किसीसे छिपी नहीं है। सरकारने हर देशवासीको मुफ्तमें कोरोनासे बचावके लिए टीकाकरणकी घोषणा की है। बावजूद इसके टीकाकरण वह गति नहीं पकड़ पा रहा है, जितनी उसे पकडऩी चाहिए थी। वास्तवमें टीकाकरणकी शुरुआतसे […]

सम्पादकीय

देशको आर्थिक संबल देती खेती

प्रवीण गुगनानी        सर्वविदित है कि भारतीय अर्थव्यवस्थाके साथ भारतीय जनमानस भी कृषिपर ही निर्भर रहता है। यदि कृषि सफल, सुचारू एवं सार्थक हो रही है तो भारतीय ग्राम प्रसन्न रहते हैं अन्यथा अवसादग्रस्त हो जाते हैं और यह अवसाद समूचे राष्ट्रको दुष्प्रभावित करता है। यदि भारतीय कृषिको छोटे एवं निर्धन कृषकोंकी दृष्टिसे देखें तो खरीफकी […]