के.एस.तोमर पाकिस्तान अपनी धरतीसे आतंकियोंकी फंडिंग तथा उनको प्रायोजित करता है जिसमें ओसामा बिन लादेन भी शामिल था जिसने अमेरिकामें ९/११ हमलोंको अंजाम दिया तथा मुम्बईमें २६/११ जैसी घटनाएं हुईं। इसके अलावा पाकिस्तान जम्मू-कश्मीरमें आतंकियोंकी घुसपैठ करवाकर हजारोंकी तादादमें भोले-भाले लोगोंका कत्लेआम करवा रहा है। टैरर फंडिंगपर एक अंतरराष्ट्रीय वॉच डॉग फाइनांशियल टास्क एक्शन फोर्स […]
सम्पादकीय
स्वास्थ्य क्षेत्रमें भारतकी उपलब्धि
रवि कान्त त्रिपाठी विगत एक वर्षमें कोविड-१९ ने दुनियाको अनेक सबक दिये हैं। उन देशोंको सबसे ज्यादा जो स्वस्थ्य सेवा क्षेत्रमें सबसे आगे थे। लेकिन भारतने अपनी सीमित व्यवस्थामें जिस बेहतरीन तरीकेसे स्वयंको सभांला वह स्वयंमें विश्वके लिए उदाहरण है और विश्वमें इसकी प्रशंसा भी हो रही है। यथार्थको समझते हुए इस वर्षके वार्षिक बजटमें […]
सद्गुरुकी महिमा
बाबा हरदेव यदि कहीं बहुत अंधकार है और एक इनसान आवाजें दे कि कोई रोशनी करो, अंधेरेमें बहुत ठोकरें लग रही हैं। उसकी आवाजें सुनकर कोई उसकी हथेलीपर दीया जलाकर रख देता है। अब चारों तरफ रोशनी हो जाती है, लेकिन रोशनी-रोशनी चिल्लानेवाला इनसान यदि अपनी आंखें बंद कर ले तो चारों ओर रोशनी होनेके […]
चीनकी साजिशें
भारतके खिलाफ साजिशोंको अंजाम देनेमें चीन सदैव सक्रिय रहता है। यही उसका वास्तविक चरित्र है जिसपर भारतकी सजग दृष्टिï रहती है। सीमापर तनावके दौरान ही चीनने भारतपर साइबर हमला कर पूरे देशमें अंधेरा फैलानेकी साजिश रची थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पायी। न्यूयार्क टाइम्सकी रिपोर्टमें दावा किया गया है कि पिछले वर्ष नवम्बर महीनेमें […]
बंगाल रणभूमिके संकेत
अवधेश कुमार पश्चिम बंगालमें ममताकी राजनीतिने माकपा नेतृत्ववाले वामदलों ऐसा ढहाया कि वामपंथी अबतक कराह रहे हैं। भाजपाको भी लगता है कि वह २०११ में ममताकी विजय सदृश कारनामा कर सकते हैं। तृणमूल कांग्रेसके नेताओंका भाजपामें प्रवेश प्रक्रिया लगातार बढ़ रही है। बंगालके राजनीतिक परिदृश्यके संकेतोंको कैसे पढ़ा जाय। कुल २९४ विधानसभा सीटोंमेंसे २०१६ में […]
टीकाकरणका दूसरा चरण
राजेश माहेश्वरी भारत जैसे देशमें जहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सामान्य स्तरकी समझी जाती हैं वहां कोरोना जैसी घातक बीमारीका टीका रिकॉर्ड टाइममें बनाकर करोड़ोंकी आबादीके लिए टीकाकरण अभियान चलाना, चमत्कारसे कम नहीं है। इस कार्यको किसी भी स्तरपर मामूली नहीं माना जा सकता। देशमें टीकाकरण अभियानके पहले चरणकी शुरुआत इस वर्ष १६ जनवरीको हुई। प्रथम […]
घातक बन रहे पहाड़ी क्षेत्र
सुखदेव सिंह उत्तराखंडके चमोलीमें ग्लेशियर फटनेसे मची तबाहीसे पूरे विश्वको सबक लेनेकी जरूरत है। यह त्रासदी देशवासियोंके लिए भारी पड़ी है। इससे पूर्व केरल एवं तमिलनाडुमें भी प्राकृतिक आपदाके कहरसे खूब जान-मालकी हानि हो चुकी है, परन्तु इसके बावजूद हम लोगोंने प्रकृतिसे छेड़छाड़ किये जानेकी अपनी आदत नहीं छोड़ी है। नतीजा चमोली त्रासदीके रूपमें देखा […]
नैतिक नियमोंका पालन
श्रीराम शर्मा प्रकृतिकी मर्यादाओंमें चलकर ही सुखी और संपन्न रहा जा सकता है। इसीको नैतिकता भी कहा जा सकता है। जिस प्रकार प्रकृतिकी व्यवस्थामें प्राणियोंसे लेकर ग्रह-नक्षत्रोंका अस्तित्व, जीवन और गति-प्रगति सुरक्षित है, उसी प्रकार मनुष्य नैतिक नियमोंका पालन कर सुखी एवं संपन्न रह सकता है। नैतिकता इसीलिए आवश्यक है कि अपने हितोंको साधते हुए […]
महंगी और धर्मसंकट
पेट्रोल-डीजल और ईंधन गैसकी निरन्तर बढ़ती कीमतोंसे जहां आम जनताकी मुश्किलें बढ़ी हैं वहीं सरकार भी धर्मसंकटमें पड़ गयी है। महंगी और धर्मसंकट यद्यपि अलग-अलग विषय हैं लेकिन सरकारका धर्मसंकटमें पडऩा इस बातका प्रमाण है कि वह न केवल काफी चिन्तित है अपितु इस महंगीसे उसकी भी परेशानी बढ़ गयी है। इससे उबरनेके लिए पिछले […]
बैंकोंके निजीकरणकी सही पहल
डा. भरत झुनझुनवाला आगामी वर्षके बजटमें वित्तमंत्रीने एक महत्वपूर्ण घोषणा यह की है कि दो सार्वजनिक बैंकोंका निजीकरण किया जायगा। अबतक सरकारकी नीति सरकारी कम्पनियोंके आंशिक शेयरोंको बेचनेकी रही है। इस प्रकारके विनिवेशसे कम्पनियोंपर नियन्त्रण एवं उनके प्रबंधनकी जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियोंकी ही रहती है। इसके विपरीत निजीकरणमें सरकारी इकाईके कंट्रोलिंग शेयर किसी निजी खरीददारके पक्षमें […]