सम्पादकीय

चीनकी साजिशें


भारतके खिलाफ साजिशोंको अंजाम देनेमें चीन सदैव सक्रिय रहता है। यही उसका वास्तविक चरित्र है जिसपर भारतकी सजग दृष्टिï रहती है। सीमापर तनावके दौरान ही चीनने भारतपर साइबर हमला कर पूरे देशमें अंधेरा फैलानेकी साजिश रची थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पायी। न्यूयार्क टाइम्सकी रिपोर्टमें दावा किया गया है कि पिछले वर्ष नवम्बर महीनेमें मुम्बईके पावर स्टेशनपर चीनी हैंकरोंके समूहने साइबर हमला कर बिजली गुल कर दी थी। इससे ट्रेनें रुक गयी थीं और अस्पतालोंमें अंधेरा छा गया था। चीनकी मंशा बिजली इंफ्रास्ट्रक्चरपर साइबर हमला कर पूरे देशमें अफरा-तफरी उत्पन्न करनेकी थी। अमेरिकी कम्पनीने अपनी अध्ययन रिपोर्टमें यह दावा किया है जिसे अमेरिकाके बड़े समाचारपत्रोंने प्रकाशित भी किया था। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालयका कहना है कि इस हमलेसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा, क्योंकि सरकार पहलेसे ही सतर्क थी। जो भी हो इसे चीनकी गम्भीर साजिश ही माना जायगा। साजिशके खुलासेसे चीन तिलमिला गया है जबकि अमेरिकी सांसद फ्रेंक पैलोनने जो बाइडेन प्रशासनसे कहा है कि चीनकी हरकतोंके खिलाफ आवाज उठनी चाहिए और अमेरिकाको भारतके साथ खड़े होनेकी जरूरत है। इस मुद्देपर चीन घिरता जा रहा है। चीन अभी अपनी गलती माननेको तैयार नहीं है। चीनने जो सफाई दी है उसपर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है, बल्कि भारतको अपनी साइबर सुरक्षा बढ़ानेकी जरूरत है। इसके लिए अद्यतन तकनीकसे लैस होनेकी आवश्यकता है जिससे कि समय रहते ही साजिशोंको विफल किया जा सके। भारत सरकार इस दिशामें सक्रिय भी है। चीनकी एक और बड़ी साजिशका खुलासा हुआ है जो पूरी दुनियाके लिए बड़े खतरेका संकेत है। अमेरिकी वैज्ञानिकोंने दावा किया है कि चीन १६ भूमिगत मिसाइलें बना रहा है। ऐसा लगता है कि चीन भूमिगत मिसाइलोंसे नयी परमाणु मिसाइलोंके प्रक्षेपणकी क्षमता विकसित करनेकी दिशामें तेजीसे काम कर रहा है। इसकी तस्वीरें भी सामने आयी हैं इसलिए अमेरिका सहित अन्य देशोंको काफी सतर्क रहनेकी जरूरत है जिससे कि चीनकी साजिशोंको नाकाम किया जा सके।

ईंधन गैसके मूल्यमें वृद्धि

अन्तरराष्टï्रीय बाजारमें एलपीजीके दाम बढऩेसे रसोई गैस सिलेण्डरके दाम एक बार फिर बढ़ गये। तेल कम्पनियोंने सोमवारसे सभी तरहके रसोई गैसकी कीमतमें २५ रुपये प्रति सिलेण्डरकी वृद्धि की है। चार दिनमें यह दूसरी बार वृद्धि की गयी है। पिछले एक महीनेमें बेलगाम होते रसोई गैसके दाममें १२५ रुपयेकी वृद्धि आम आदमीकी दिक्कतें बढ़ानेवाली हैं। इससे पहले २५ फरवरीको २५ रुपये, १५ फरवरीको ५० रुपये और चार फरवरीको २५ रुपये प्रति सिलेण्डर दाम बढ़ाये गये थे। यह वृद्धि सब्सिडी और गैर-सब्सिडीवाले सभी तरहके कनेक्शनके लिए हैं। उज्ज्वला योजनाके तहत कनेक्शन लेनेवालोंको भी यह बोझ उठाना पड़ेगा, जो मुफ्त कनेक्शनकी सार्थकतापर बड़ा प्रश्न है। एलपीजीकी लगातार बढ़ती कीमतोंके कारण रसोई गैस सिलेण्डर एक वर्षके उच्चतम स्तरपर पहुंच गया है जो महंगीसे जूझ रहे उपभोक्ताओंके लिए बहुत बड़ा झटका है। पिछले कुछ महीनोंसे केन्द्र सरकारने एलपीजी सब्सिडी देनेकी अपनी व्यवस्थामें भारी बदलाव कर दिया है। अब गिने-चुने क्षेत्रोंके कुछ उपभोक्ताओंको ही रसोई गैस सब्सिडी दी जा रही है। एलपीजीकी बेतहाशा बढ़ती कीमतोंपर अंकुश लगाना समयकी आवश्यकता है। केन्द्र और राज्य सरकारोंका यह दायित्व बनता है कि वे कोई ऐसा रास्ता निकालें जिससे रसोई गैसकी कीमत नीचे लायी जा सके। केन्द्र और राज्य सरकारें रसोई गैसपर भारी-भरकम कर वसूलती हैं जिसमें कटौती की जा सकती है। सरकारोंको इसपर गम्भीरतासे विचार करना चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थोंको वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरेमें लानेसे भी इसका हल निकल सकता है। इसपर लम्बे समयसे बात की जा रही है लेकिन अभीतक सहमति नहीं बन पायी है। केन्द्र सरकार यदि इस दिशामें दृढ़ इच्छाशक्तिसे आगे बढ़े और राज्य सरकारें सहयोग करें तो सहमति बन सकती है। यह सत्य है कि सरकारोंको राजस्वकी चिन्ता है लेकिन जनताकी पीड़ा ज्यादा महत्वपूर्ण है।