सम्पादकीय

नारी अस्मितापर नये तर्कोंका औचित्य

निर्मल रानी भारतीय महिलाएं दिन-प्रतिदिन अपने कौशल एवं साहसका परिचय दे रही हैं। कभी अंतरिक्षमें भारतीय ध्वज लहराकर, कभी विश्वके सबसे लंबे एवं खतरनाक वायुमार्गपर विमान उड़ाकर, कभी युद्धक विमानको कलाबाजियां खिलाकर। यानी जटिल क्षेत्रोंमें भी महिलाओंने अपने अदम्य साहस, हौसले एवं सूझ-बूझका परिचय दिया है। परन्तु दुर्भाग्यवश महिलाओंके साथ होनेवाले दुराचार एवं हत्याओंकी खबरोंने […]

सम्पादकीय

निराकार ईश्वर

सदानन्द शास्त्री गौतम महर्षिके द्वारा रचित न्याय दर्शन ज्ञानके बारेमें चर्चा करता है कि आपका ज्ञान सही है या नहीं। ज्ञानके माध्यमको जानना कि वह सही है या नहीं, यह है न्याय दर्शन। उदाहरणके लिए आप अपनी इंद्रियोंके द्वारा सूर्योदय या सूर्यास्त ये देख पाते हैं। लेकिन न्याय दर्शन कहता है नहीं, आप केवल उसपर […]

सम्पादकीय

किसानोंको बड़ा भरोसा

नये कृषि कानूनोंके खिलाफ पिछले लगभग ढाई महीनेसे चल रहे किसानोंके आन्दोलनके बीच प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने सोमवारको राज्यसभामें किसानोंको बड़ा भरोसा देते हुए उन्हें आन्दोलन समाप्त कर साथ मिल-बैठकर बात करनेको कहा है। राष्टï्रपतिके अभिभाषणपर धन्यवाद प्रस्तावपर उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानून जरूरी कानून है और इन्हें लागू करनेका यह सही समय […]

सम्पादकीय

रोजगार वृद्धिमें सहायक होगा बजट

प्रह्लाद सबनानी कोरोना महामारीके समय पूरे विश्वमें ही लाखों लोगोंके रोजगारपर विपरीत प्रभाव पड़ा था। भारत भी इससे अछूता नहीं रह सका था एवं हमारे देशमें भी कई लोगोंके रोजगारपर असर पड़ा। हालांकि छोटी अवधिके लिए इस समस्याको हल करनेके उद्देश्यसे कोरोना कालके दौरान लगभग ८० करोड़ लोगोंको आठ महीनोंतक मुफ्त अनाज, दालें एवं अन्य […]

सम्पादकीय

ईरानसे सीखे भारत

आर.के. सिन्हा आतंकी संघटन जैश अल-अदलके २०१९ के हमलेमें २७ ईरानी नागरिक मारे गये थे। गौर करें कि पुलवामा हमलेसे ठीक एक दिन पहले ही यह हमला भी हुआ था ईरानकी सीमामें। पुलवामा हमलेमें सीआरपीएफके ४० जवान शहीद हो गये थे। ईरानपर हुए हमलेमें २७ ईरानी नागरिक मारे गये थे। भारत और ईरानका यह दुर्भाग्य […]

सम्पादकीय

सीमांत किसानोंको आत्मनिर्भर बनाना जरूरी

कुलभूषण उपमन्यु भारतवर्षमें आधेसे ज्यादा किसान सीमांत किसान हैं जिनकी जोत एक हैक्टेयरसे कम है। कृषि ६० फीसदीके लगभग आबादीको रोजगार दे रही है, अर्थात्ï सीमांत जोतवाले बहुसंख्यक किसानोंको लाभकारी बनाना देशमें रोजी-रोटीकी समस्याके समाधानमें बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। किसानीको लाभकारी बनानेके दो पक्ष हैं। एक, कृषि उपजको सही कीमत दिलाना और दूसरा, किसानीकी लागतको […]

सम्पादकीय

योग और ध्यान

श्री श्री रविशंकर मानसिक स्वास्थ्य आज पृथ्वीपर सबसे बड़े मुद्दोंमेंसे एक बन गया है। वर्तमान समयमें संसारभरमें कोरोना महामारी फैली है और जनता बहुत चिन्तित है। टीकाकरणके अलावा इससे बचनेका सबसे अच्छा समाधान योग और ध्यान है। यह अति आवश्यक है। आज समयकी मांग भी यही है कि संसारके कोने-कोनेमें योग और ध्यान दोनोंकी शुरुआत […]

सम्पादकीय

हस्तक्षेपसे इनकार

सर्वोच्च न्यायालयने विगत २६ जनवरीको गणतंत्र दिवस समारोहके दौरान दिल्लीमें हुई हिंसा और राष्ट्रीय ध्वजके अपमानके मामलोंकी न्यायिक जांच करनेसे इनकार कर दिया है और स्पष्ट शब्दोंमें कहा है कि सरकारको उचित काररवाई करने देना चाहिए। बुधवारको न्यायिक जांच करानेकी मांग करनेवाली जनहित याचिकाओंपर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना […]

सम्पादकीय

बुनियादी ढांचेको बचानेका उपक्रम

डा. जयंतीलाल भंडारी वर्ष २०२१-२२ का बजट आर्थिक उम्मीदोंभरा दिख रहा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतीरमणने विभिन्न वर्गों और विभिन्न सेक्टरोंके लिए भारी भरकम बजट आवंटित करते हुए राजकोषीय घाटेको जीडीपीके ६८ फीसदीतक विस्तारित करनेमें संकोच नहीं किया है। गौरतलब है कि यह बजट आजादीके बाद अर्थव्यवस्थाके सबसे अधिक ७.७ फीसदीकी विकास दरमें गिरावट और संकुचनवाले […]

सम्पादकीय

आत्मनिर्भर भारतका बजट

ललित गर्ग चालू वित्त वर्षका बजट भारतकी अर्थव्यवस्थाके उन्नयन एवं उम्मीदोंको आकार देनेकी दृष्टिसे मीलका पत्थर साबित होगा। इससे समाजके भी वर्गोंका सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। स्वास्थ्य क्षेत्रपर केन्द्रित इस बजटसे भले ही करदाताओंके हाथमें मायूसी लगी हो, टैक्स स्लैबमें किसी तरहका बदलाव नहीं हुआ हो, लेकिन इससे देशकी अर्थव्यवस्थाका जो नक्शा सामने […]