सम्पादकीय

चेतावनियोंकी न हो अनदेखी

योगेश कुमार गोयल      कोरोनाके तमाम नियम-कानूनोंको धत्ता बताते हुए खासकर पर्वतीय इलाकोंमें जिस प्रकार लोगोंकी भीड़ बढ़ रही है, वह आनेवाले किसी बड़े संकटको न्यौता देती प्रतीत हो रही है। दूसरी लहरका प्रकोप कम होनेके बाद भारतमें जहां विभिन्न चरणोंमें अनलॉककी प्रक्रिया जारी है, वहीं हालके दिनोंमें दो दर्जनसे भी ज्यादा देशोंमें कोरोना संक्रमणमें काफी […]

सम्पादकीय

जमीनी हकीकतसे अलग है चीनका दावा

संजय राय चीनकी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइनाके राष्ट्रपति शी जिनपिंगने अपनी पार्टीके स्थापनाके सौ साल पूरे होनेके अवसरपर बीते एक जुलाईको सैन्य शक्तिका प्रदर्शन करके पूरे विश्वको एक संदेश दिया। भारत सहित अपने लगभग सभी पड़ोसी देशोंको आंख दिखा रहे चीनका संदेश था कि आजका चीन पहले जैसा नहीं है और दुनियाका कोई भी […]

सम्पादकीय

तुलसीकी महत्ता

आकाश शास्त्रोंमें कहा गया है कि भगवान विष्णुकी पूजा बिना तुलसी पत्तेके अधूरी मानी जाती है। इसके अलावा हनुमानजीकी पूजामें भी तुलसीका पत्ता चढ़ाया जाता है। तुलसीकी सेवा भाव करनेसे घरमें सुख-समृद्धि बनी रहती है। हिंदू धर्ममें तुलसीका पौधा पवित्र, पूजनीय और लाभकारी माना गया है। शास्त्रोंके अलावा आयुर्वेदमें भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। […]

सम्पादकीय

बड़ी साजिश नाकाम

उत्तर प्रदेशकी राजधानी लखनऊमें अलकायदाके दो आतंकियोंकी गिरफ्तारी और स्वतन्त्रता दिवससे पूर्व अनेक शहरोंमें बड़े हमलेकी साजिशका पर्दाफाश होनेके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हो गयी हैं। इसीके साथ ही आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने देशके अनेक राज्योंमें छापेमारी और तलाशीका क्रम भी शुरू कर दिया है। अलकायदा देशके लिए बड़ा खतरा बन […]

सम्पादकीय

समान नागरिक संहिता समयकी मांग

आशीष वशिष्ठ समान नागरिक संहिताका मतलब धर्म और वर्ग आदिसे ऊपर उठकर पूरे देशमें एक समान कानून लागू करनेसे होता है। समान नागरिक संहिता लागू होनेसे पूरे देशमें शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे सभी एक समान कानूनके अंतर्गत आ जाते हैं। इसमें धर्मके आधारपर कोई अलग कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं […]

सम्पादकीय

मंत्रिमण्डल विस्तारका औचित्य

डा. दीपकुमार शुक्ल         मंत्रिमण्डल विस्तारमें चुनावी राज्यों और जातीय समीकरणोंको साधनेकी कोशिश भी स्पष्ट रूपसे दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेशसे सबसे अधिक सात सांसदोंको मंत्रिमण्डलमें शामिल किया गया है। इनमेंसे एक ब्राह्मïण, तीन ओबीसी तथा तीन अनुसूचित जातिके हैं। मंत्रिमण्डल विस्तारसे एक दिन पूर्व चार राज्योंके राज्यपाल भी बदले गये थे। कोरोनाकी पहली लहरमें […]

सम्पादकीय

लोकतन्त्रमें आमजनकी प्रमुखता

डा. अम्बुज जिस प्रकार जलवायुका असर पेड़-पौधों और फसलपर होता है। वैसे ही परिवेशका असर आदमीपर होता है, आदमी अपने परिवेशके अनुसार जीता है। आजके दौरका परिवेश वर्तमान एवं आनेवाली पीढ़ीके जीवनको तय करता है। आज जब हर तरफ महंगी, बाजारवाद एवं मुनाफाखोरीका हाहाकार मचा है, आदिम युगके समान आधुनिक भारतमें भोजन एक जरूरत नहीं, […]

सम्पादकीय

आध्यात्मिकता अनिवार्य

श्रीश्री रविशंकर आध्यात्मिकता और राजनीति दोनोंका ही मानवता एवं मानवके साथ गहरा संबंध है। राजनीतिका उद्देश्य सुशासन लाना और भौतिक एवं भावानात्मक सुविधाओंको जनतातक पहुंचाना है। वहीं आध्यात्मिकताका लक्ष्य नैतिकता एवं मानवीय मूल्योंको बढ़ाना है। किसी भी देशकी समृद्धिके लिए राजनीति एवं आध्यात्मिकताका एक साथ चलना अति आवश्यक है। सुशासन एवं अच्छे प्रजातंत्रके लिए आध्यात्मिकताका […]

सम्पादकीय

राष्टï्रद्रोहियोंपर सख्ती

जम्मू-कश्मीर प्रशासनने ऐसे राष्टï्रद्रोही सरकारी कर्मचारियोंके खिलाफ सख्त कदम उठाकर अत्यन्त उचित और सराहनीय कार्य किया है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी संघटनोंकी सहायता करते हैं। प्रशासनका देर से उठाया गया यह सही कदम है। ऐसे ११ सरकारी कर्मचारियोंको सेवासे बर्खास्त किया गया है। नौकरीसे बर्खास्त होनेवालोंमें आतंकी संघटन हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद […]

सम्पादकीय

परिसंघीय ढांचेपर जीएसटीका प्रभाव

डा. सुशील कुमार सिंह    देशमें १ जुलाई २०१७ को एक नया आर्थिक कानून वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुआ था। जीएसटी लागू होनेसे पहले ही केन्द्र और राज्य सरकारोंके बीच आपसमें इस बातपर सहमतिका प्रयास किया गया था कि इसके माध्यमसे प्राप्त राजस्वमें केन्द्र और राज्योंके बीच राजस्वका बंटवारा किस तरह किया जायेगा। पहले […]