सम्पादकीय

एक ही है रामराज्य और सुराज

हृदयनारायण दीक्षित मनुष्य आनन्द अभीप्सु है। आनन्दके तमाम उपकरण प्रकृतिमें हैं। वह प्राकृतिक हैं। अनेक उपकरण समाजमें भी हैं और वह सांस्कृतिक हैं। समाज अपने आनन्दके लिए अनेक संस्थाएं बनाते हैं। राजव्यवस्था समाजकी सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। एक विशेष भूखण्डमें रहनेवाले लोगोंकी एक जीवनशैली होती है। वह लोग अपनी संस्कृति गढ़ते हैं। ऐसी भू-सांस्कृतिक प्रीतिवाले […]

सम्पादकीय

शास्त्रोंसे ऊपर प्रज्ञा

डा. बी.दास ‘शास्त्र क्या वस्तु है’ ‘शास्त्र’ शब्द से जो ग्रंथ आजकल समझे जाते हैं, वे सब, किसी न किसी मानवकी बुद्धिसे ही उत्पन्न हुए हैं। गीताके द्वितीय अध्यायमें बुद्धिकी महिमाका गीत है। जितनी बार बुद्धि शब्दका प्रयोग गीतामें हुआ है, उतनी बार केवल आत्मा और अहं (मा, मे, मम) का हुआ है और किसी […]

सम्पादकीय

टीका उत्सव

देशमें कोरोना संक्रमणमें जारी भारी तेजीके बीच प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कोरोनाके खिलाफ जंगको धार देनेके लिए राष्टï्रीय स्तरपर ‘टीका उत्सवÓ मनानेका आह्वïान किया है जिससे कि ज्यादासे ज्यादा लोगोंका टीकाकरण किया जा सके। इस उत्सवमें युवाओंकी अत्यन्त ही महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। वे अपने क्षेत्रके लोगोंको टीका लगवानेमें हरसम्भव सहयोग करें। गुरुवारको मुख्य […]

सम्पादकीय

कोरोनाकालमें विकट परिस्थितियां

ऋतुपर्ण दवे      कोरोना घातक है। पता है, कहीं कोई मर गया तो उसकी लाश पॉलीथिनमें पैक होकर मिलती है और सीधे शमसान या कब्रिस्तान भिजवाई जाती है। यह भी पता है। जब सब पता है तो यह क्यों नहीं पता है कि मास्क लगाना ही सुरक्षा है। बस यही वह सवाल है जिसका न तो […]

सम्पादकीय

चुनौतियोंके बीच जीवनकी रफ्तार

आर.के. सिन्हा नयी टेक्नोलॉजी इस बातकी सुविधा देती है कि आप घर बैठकर अपने दफ्तरके साथियों और सहयोगियोंके नियमित वीडियो कॉल कर साथ बातचीत भी कर सकते हैं। परन्तु लगता यह है कि वे दफ्तर तो अब भी पहलेकी तरहसे चलेंगे जहां पब्लिक डीलिंग होती है। उदाहरणके रूपमें बैंक, यातायातके लाइसेंस जारी करनेवाले विभाग, बिजली, […]

सम्पादकीय

जड़ी-बूटियोंसे मिलेगा उत्तम स्वास्थ्य

हरीश बड़थ्वाल देशका स्वास्थ्य परिदृश्य जर्जर है। प्रदूषित हवा-पानी, योग्य डाक्टरोंकी भारी कमी, दशकोंसे बिना डाक्टरोंके चलते सरकारी अस्पताल, इलाजकी आसमान छूती कीमतें, ब्रांड अस्पतालों और डाक्टरोंका खसोटी रुख, और अब, सालभरसे घिसटती कोरोनो महामारी। सचमुच बहुुत महंगा सौदा है बीमार पडऩा। इन सब विडंबनाओंके बावजूद स्वास्थ्य, शरीरकी बुनियादी जानकारी और कुदरती तौर-तरीके अपनाकर रोगमुक्त […]

सम्पादकीय

जीवनका सार

सदानन्द शास्त्री चार ही जीवनका सार होते हैं क्योंकि व्यक्तिके जैसे विचार होते हैं वैसी ही उसकी क्रियाएं होती हैं और उसकी क्रियाएं ही उसकी आदते बन जाती हैं और उसकी आदतें ही उसका चरित्र बनता है और व्यक्तियोंके चरित्रसे राष्ट्रका चरित्र बनता है। मनुष्यके अन्तर्मनमें आत्मशक्ति, स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, संकल्प शक्ति, इच्छा शक्ति, […]

सम्पादकीय

नयी ऊंचाईपर संक्रमण

देशमें कोरोना संक्रमण नयी ऊंचाईपर पहुंच गया है और स्थिति निरन्तर भयावह होती जा रही है। दूसरी लहर पहली लहरके मुकाबले ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। गुरुवारको स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें सवा लाखसे पार नये मामले दर्ज हुए हैं। एक दिनमें एक लाख २६ हजार ७८९ नये मामले आये […]

सम्पादकीय

वीर सपूतोंकी शहादतका गम

अवधेश कुमार  छत्तीसगढ़के बीजापुरमें हिंसाका जो ताण्डव हुआ है वह आहत करता है। माओवादियों द्वारा षड्ïयंत्रकी पूरी व्यूह रचनासे घात लगाकर की गयी गोलीबारीमें घिरनेके बाद भी जवानोंने पूरी वीरतासे सामना किया, अपने साथियोंको लहूलुहान होते देखकर भी हौसला नहीं खोया, माओवादियोंका घेरा तोड़ते हुए उनको हताहत किया तथा घायल जवानों और शहीदोंके शवको घेरेसे […]

सम्पादकीय

भारतमें लोकतंत्रकी अवहेलना

विष्णुगुप्त   अमानतुल्लाह खानकी बयानबाजीपर भारतीय राजनीतिकी चुप्पी और सोशल मीडियापर धमकीको व्यापक समर्थन मिलना चिन्तित करता है। आम तौरपर यह माना जाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थामें जहांपर संविधान सर्वश्रेष्ठ होता है वहां किसी भी समस्याका समाधान संविधान है। यदि कोई विचार या फिर हिंसा संविधानको चुनौती देनेवाले होते हैं तो उसपर राजनीति सक्रिय होती है। […]