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Maharashtra : 11 दिन पहले ही छा गए थे उद्धव सरकार पर संकट के बादल, जानें शिवसेना में बगावत की पूरी कहानी


मुंबई। सिर्फ ढाई साल पहले महाराष्ट्र में बनी शिवसेनानीत महाविकास आघाड़ी सरकार संकट में नजर आ रही है। क्योंकि शिवसेना के ही विधायकों का एक बड़ा समूह उसके एक कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भाजपाशासित राज्य गुजरात के एक शहर सूरत में जाकर बैठ गया है। इन विधायकों की संख्या इतनी है कि वे भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाकर उद्धव सरकार का खेल कभी भी बिगाड़ सकते हैं।

राज्यसभा चुनाव में हुई थी शिवसेना प्रत्याशी की हार

महाराष्ट्र में 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी संजय पवार की हार के बाद से ही महाविकास आघाड़ी सरकार की उलटी गिनती शुरू होने के कयास लगाए जाने लगे थे। दस दिन बाद ही 20 जून को हुए विधान परिषद चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस की पहली प्राथमिकता के उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को पटखनी देकर इस कयास पर मुहर लगा दी। दूसरी ओर महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता एवं उद्धव सरकार में वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पार्टी के विधायकों ने गायब होकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की धड़कनें बढ़ा दीं।

बैठक में गायब थे एक दर्जन से अधिक शिवसेना के विधायक

विधान परिषद चुनाव में महाविकास आघाड़ी के एक उम्मीदवार की पराजय के बाद जब मुख्यमंत्री ठाकरे ने हार की समीक्षा के लिए अपने सरकारी आवास पर देर रात शिवसेना विधायकों की बैठक बुलाई, तो एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के करीब एक दर्जन विधायक गायब थे। उसी समय उद्धव को पता चला कि ये सारे विधायक भाजपाशासित पड़ोसी राज्य गुजरात के सूरत शहर में डेरा डाल चुके हैं। यानी महाविकास आघाड़ी पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे। सुबह होते-होते इस खबर ने महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के नेताओं की नींद उड़ा दी। एकनाथ शिंदे से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था।

 

शरद पवार का दावा, सरकार पर नहीं पड़ेगा कोई असर

ढाई साल पहले बनी उद्धव सरकार के शिल्पकार रहे राकांपा अध्यक्ष शरद पवार दिल्ली में थे। उन्होंने दिल्ली में ही प्रेस से बात कर कहा कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है। इसका महाविकास आघाड़ी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पवार ने यह भी याद दिलाया कि ढाई साल पहले महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के दौरान भाजपा ने उनके भी कई विधायकों को भाजपाशासित हरियाणा में कैद कर रखा था। लेकिन वह अपने विधायकों को वहां से छुड़ाकर सरकार बनाने में कामयाब रहे। शरद पवार यह कह जरूर रहे थे। लेकिन उन्हें भी अपनी पार्टी में फूट का डर सता रहा था। लिहाजा शिवसेना, कांग्रेस की भांति पवार ने भी अपने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाकर अपना अंकगणित संभालने की कवायद शुरू कर दी।

कांग्रेस में भी आपसी कलह

बता दें कि समस्या सिर्फ शिवसेना में नहीं है। एक दिन पहले ही विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के पहली प्राथमिकता के दलित उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे की हार से कांग्रेस में भी आपसी कलह शुरू हो चुकी है। ताजा सूचनाओं के अनुसार सूरत में एकनाथ शिंदे के साथ तीन दर्जन से ज्यादा विधायक हैं। इनमें शिवसेना के अलावा कांग्रेस और निर्दलीय विधायक भी बताए जा रहे हैं। लेकिन इन विधायकों की संख्या को भाजपा एवं उसे समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में जोड़ लिया जाए तो उद्धव सरकार विकट खतरे में नजर आ रही है।

महाराष्ट्र विधानसभा का अंकगणित

महाविकास आघाड़ी –

शिवसेना – 55

राकांपा – 53

कांग्रेस – 44

(कुल विधायक – 152)

भाजपा – 106

छोटी पार्टियां एवं निर्दलीयः

बहुजन विकास आघाड़ी – 03

समाजवादी पार्टी – 02

प्रहार जनशक्ति पार्टी – 02

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना – 01

जन सुराज्य पार्टी – 01

राष्ट्रीय समाज पक्ष – 01

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – 01

निर्दलीय – 16