सम्पादकीय

गांवोंपर विशेष ध्यान


ग्रामीण क्षेत्रोंमेंकोरोना वायरसका तेजीसे फैलता संक्रमण गम्भीर चिन्ताका विषय है। यद्यपि देशमें संक्रमणकी रफ्तारमें गिरावट आयी है और नये मामलोंकी तुलनामें ठीक होनेवालोंकी संख्या भी बढ़ी है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रोंमें जिस प्रकार संक्रमण बढ़ रहा है उससे नये खतरे उत्पन्न हो गये हैं। पहली लहरमें ग्रामीण क्षेत्र अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित थे लेकिन दूसरी लहर अब घातक साबित हो रही है। केन्द्र सरकारने गांवोंपर अब विशेष ध्यान देते हुए अलग रणनीति बनायी है और इन क्षेत्रोंमें संक्रमणकी रफ्तारको रोकनेके लिए रविवारको नये दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया है। एक दिन पहले शनिवारको प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठकमें टीकाकरणमें तेजी लानेके साथ ही गांवोंकी स्थितिपर विशेष रूपसे चर्चा की थी और कहा था कि ग्रामीण क्षेत्रोंमें हालात बेकाबू हो, उससे पहले सभी प्रशासनिक तंत्रको वहां चौतरफा उपाय करनेके लिए कदम उठाना होगा। उन्होंने निर्देश दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रोंके सन्दर्भमें विशेष सजगता बरती जाय। घर-घर जाकर जांच और सर्वेक्षणका कार्य किया जाय। यह सत्य है कि देशकी सर्वाधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रोंमें रहती है और वहां आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओंकी भी कमी है। स्वास्थ्यकर्मियों और डाक्टरोंकी भी संख्या कम है। शहरोंकी तुलनामें गांवोंकी स्थिति सर्वथा भिन्न हैं, जहां समस्याएं और चुनौतियां अधिक हैं। ऐसी स्थितिमें गांवोंमें फैल रहे संक्रमणको यदि नहीं रोका गया तो हालात काफी चिन्ताजनक हो जायंगे। गांवोंमें चिकित्सा सुविधा और उसके ढांचेको मजबूत करना अत्यन्त आवश्यक है जिससे कि क्षेत्रीय स्तरपर ही मरीजोंका समुचित उपचार हो सके और उन्हें शहरोंकी ओर जानेको विवश नहीं होना पड़े। शहरोंपर दबाव पहलेसे ही है और वहां उपचार कराना आर्थिक दृष्टिïसे काफी महंगा है, जो ग्रामीणोंकी पहुंचसे बाहर है। सरकारी अस्पतालोंमें उपचार कराना तो सम्भव है लेकिन निजी अस्पतालोंमें शोषणकी जो प्रवृत्ति है, वह पूरी तरह अमानवीय है। ग्रामीण क्षेत्रोंके लिए जारी दिशा-निर्देशोंमें सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, एएनएम, हेल्थ वर्कर नोडल पर्सन होंगे और आशा कार्यकर्ता इसमें सहयोग करेंगी। कोरोनाके संदिग्ध मरीजोंकी जांच और उन्हें दवा तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी। इसमें शिक्षकोंको भी घर-घर जानेका दायित्व सौंपा जायगा। आदिवासी क्षेत्रोंके लिए भी रणनीति बनायी गयी है। केन्द्र और राज्य सरकारोंका दायित्व है कि वह ग्रामीण क्षेत्रोंके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध करायें। क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधियोंको सक्रिय योगदान करनेकी जरूरत है। साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओंको भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

तौकतेका कहर

कोरोना महामारीकी कहर बरपाती दूसरी लहरके बीच चक्रवाती तूफान ‘तौकतेÓ का संकट मंडराने लगा है। अरब सागरसे उठे इस तूफानसे देशके पांच राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्टï्रमें स्थिति विकट हो गयी है। तूफानसे तबाहीके आसारको देखते हुए किसी भी स्थितिसे निबटनेके लिए इन राज्योंमें राष्टï्रीय आपदा प्रबन्धन बल (एनडीआरएफ) ने २४ टीमोंको तैनात कर दिया है तथा २९ अतिरिक्त टीमोंकी भी आपात स्थितिके लिए रखा गया है। स्थितिकी गम्भीरताको देखते हुए महाराष्टï्रके तटवर्ती जिलोंके अधिकारियोंको सतर्क रहने और उपकरणोंसे लैस रहनेके निर्देश दिये गये हैं। मौसम विभागके अनुसार देशके कई हिस्सेमें भारीसे बहुत भारी वर्षाकी सम्भावना व्यक्त की गयी है। चक्रवात चेतावनी विभागने १६ से १९ मईके बीच १५०-१६० किलोमीटर प्रतिघण्टेकी रफ्तारवाली हवाके साथ चक्रवाती तूफानमें तब्दील होनेकी आशंका जतायी है जो भीषण तबाहीकी ओर संकेत करती है। चक्रवातकी भयावहताकी आशंकाको देखते हुए एनडीआरएफ टीमोंकी संख्या ५३ से बढ़ाकर सौ कर दी गयी है, जिन्हें पांचों राज्योंमें लोगोंको सुरक्षित जगहोंपर पहुंचाने तथा राहत एवं बचाव अभियानके लिए तैनात किया गया है। इन राज्योंमें रेड तथा आरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसके अलावा तटीय एवं दक्षिण आन्तरिक कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी सहित झारखण्ड, उपहिमालयी-पश्चिम बंगाल, सिक्किम, गोवा, तटीय, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप सहित अन्य क्षेत्रोंमें बिजली और गरजके साथ तेज आंधी-बारिशकी आशंकाके मद्देनजर राज्योंने आवश्यक कदम उठाये हैं। कोरोना संकटसे जूझ रहे देशके समक्ष अचानक दैवी आपदाका प्रकोप बड़ी चुनौती है। तूफानके चपेटमें आये राज्योंको सतर्क रहते हुए यह देखना होगा जिससे जान-मालकी कम क्षति हो। राहत और बचाव कार्यमें तेजी आनी चाहिए।