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जब Pulsar को किया बाजार में पेश और कंपनी को दोबारा बुलंदियों पर पहुंचाया था राहुल बजाज ने


नई दिल्‍ली, । पद्म विभूषण और उद्योगपति राहुल बजाज का शनिवार को निधन हो गया। राहुल बजाज 83 साल के थे। बजाज ग्रुप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उनकी मौत परिवारीजनों के बीच हुई। बीते साल अप्रैल में उन्‍होंने बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से रिजाइन कर दिया था।

Indian Corporates में उनकी शख्सियत ऐसी थी, जिसका हर कोई लोहा मानता है। खासकर ऑटो इंडस्‍ट्री को बतौर लीडर उन्‍होंने नया आयाम दिया। Hamara Bajaj और you just can’t beat a Bajaj का स्‍लोगन दिया।

कंपनी को कैसे उबारा

2001 में बजाज ऑटो की बिक्री काफी गिर गई थी। होंडा, यामाहा और सुजुकी जैसे जापानी ऑटो प्‍लेयर्स ने बाजार में नई मोटरसाइकिलें उतार दी थीं। इसके साथ ही भारत का ऑटो बाजार बदलने लगा। लेकिन, राहुल बजाज ने अपनी प्रभावी मार्केटिंग से Bajaj Auto को जल्‍द उबार लिया। बजाज ऑटो ने खुद को नया रूप दिया और बजाज पल्सर (Bajaj Pulsar) मोटरसाइकिल के साथ बाजार में पदार्पण किया, जो आज भी मार्केट लीड कर रही है।

उनके जीवन पर एक नजर

राहुल बजाज का जन्म 30 जून 1938 को कोलकाता में हुआ था। राहुल के दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की और उनके पिता कमलनयन बजाज ने उन्हें 1942 में उत्तराधिकारी बनाया। कमलनयन ने बजाज ऑटो के अग्रदूत की शुरुआत की। कामकाज संभालने के तीन साल के भीतर उन्होंने नए व्यवसायों में विस्तार किया। इनमें सीमेंट, बिजली के उपकरण और स्कूटर का निर्माण शामिल था।

हार्वर्ड से MBA

राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली और बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री। फिर उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया और 1968 में बजाज ऑटो के सीईओ बने।