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दिखने लगा यूक्रेन युद्ध का असर, 104 साल बाद विदेशी कर्ज चुकाने में चूका रूस


नई दिल्ली, । फरवरी महीने से जारी यूक्रेन युद्ध का असर अब रूस की आर्थिक सेहत पर नजर आने लगा है। 1918 के बाद पहली बार रूस अपना विदेशी ऋण नहीं चुका पाया है। इसे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों का प्रभाव माना जा रहा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी लेनदारों को लंबे समय तक इंतजार कराने के बाद भी रूस इस कर्ज को चुकाने में असफल रहा। रविवार, 27 जून को लगभग 100 मिलियन डॉलर के ब्याज भुगतान की छूट अवधि समाप्त हो गई। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कर्ज, उसकी किस्त या ब्याज की समय सीमा चूक जाने को ‘डिफॉल्ट’ की घटना माना जाता है।

गहराता आर्थिक संकट

विदेशी ऋण का डिफाल्ट होना रूस की वित्तीय साख में तेजी से होने वाले बदलाव की और संकेत करता है। मार्च की शुरुआत के बाद से रूस के यूरोबॉन्ड ने निचले स्तरों पर कारोबार किया है। युद्ध के चलते केंद्रीय बैंक के विदेशी भंडार फ्रीज कर दिए गए हैं और वहां के बड़े बैंक वैश्विक वित्तीय प्रणाली से अलग हो गए हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था और बाजार को हुए नुकसान को देखते हुए विदेशी ऋण न चुका पाना ‘कोढ़ में खाज’ के सामान है।