पटना

बिहार में कोरोना से मरने पर मिलेंगे चार लाख, सरकार ने जारी किया आदेश


व्यवस्था 31 मार्च 2022 तक रहेगी लागू, दूसरे राज्यों में मरने वालों के परिजन को नहीं मिलेगा मुआवजा

      • 3737 आश्रितों को मिला मुआवजा
      • सूबे में अबतक 9537 की मौत

पटना (आससे)। कोरोना के कारण मृत लोगों के परिजनों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान अब आपदा प्रबंधन विभाग करेगा। स्वास्थ्य विभाग की अधियाचना के बाद आपदा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही, यह भी साफ कर दिया है कि बिहार से बाहर मरने वाले राज्यवासी के परिजन यह लाभ नहीं ले पाएंगे। राज्य सरकार ने यह व्यवस्था उन्हीं राज्यवासियों के लिए की है जिनकी मौत बिहार में हुई है।

कोरोना से मौत के बाद अनुग्रह अनुदान के भुगतान को लेकर जिलों से मांगे गये निर्देश के अलोक में आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति साफ कर दी है। विभाग ने कहा है कि राज्य के भीतर मरने वाले उन्हीं लोगों के निकटतम आश्रित को चार लाख की राशि दी जाएगी, जो राज्य के वासी भी हैं। यानि बिहार में मरने वाले दूसरे राज्यों के वासी और बिहार के ऐसे वासी जिनकी मौत दूसरे राज्य में हुई हो उनके परिजनों को यह लाभ राज्य सरकार नहीं देगी।

इसके पहले पूरी व्यवस्था को लेकर जारी किये गये निर्देश में आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा है कि राज्य सरकार ने शुरू से इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों के लिए यह व्यवस्था की है। पैसे का भुगतान मुख्यमंत्री राहत कोष से होता है। लेकिन, कोविड- 19 महामारी को केन्द्र ने अधिसूचित आपदा में शामिल कर लिया है। लिहाजा, अब इस व्यवस्था के तहत मिलने वाले अनुग्रह अनुदान का भुगतान आपदा प्रबंधन विभाग से ही होगा। यह व्यवस्था 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी।

अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि अब तक इस व्यवस्था के तहत मुख्यमंत्री राहत कोष से 3737 मृतकों के आश्रितों को चार लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। शेष जो भी आवेदन होंगे, उनका निपटारा अब आपदा विभाग से किया जाएगा। उधर, स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में कोरोना महामारी से अब तक 9537 लोगों की मौत हो चुकी है। इस आंकड़े के अनुसार पांच हजार आठ सौ लोगों को अनुग्रह अनुदान देना बाकी है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों के सामने यह बड़ा संकट था। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि अनुग्रह अनुदान का भुगतान कैसे होता है और किस विभाग के पास आवेदन करना है। लिहाजा कोई प्रखंड में तो कोई आपदा प्रबंधन विभाग में तो कोई सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन कर रहा था। हालांकि सभी जगह आवेदन लिये जा रहे थे, उन्हें मुआवजा भी मिल रहा है। लेकिन देर होने पर वह किस विभाग से जानकारी प्राप्त करेंगे इसका अंदाजा नहीं था।

सरकार के इस नये आदेश से यह साफ हो गया कि अब इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग की जवाबदेही है। यह भी साफ हो गया कि इसके लिए पात्र कौन हैं। मुआवजा भुगतान में कुछ देर होने की एक वजह यह भी है कि आवेदन की जांच के दौरान इसकी पूरी तरह छानबीन की जा रही है। इसके उत्तराधिकारी के दावे की भी पूरी जांच की जाती है। सिविल सर्जन और मेडिकल कॉलेज से भेजी गई रिपोर्ट की भी छानबीन की जाती है।