पटना

भूमिका पर उठे सवाल, तो छिन गयी मुखियागिरी


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में अब तक तीन चरण के हुए पंचायत चुनाव में वैसे अधिकांश मुखियाजी की मुखियागिरी चली गयी, जो पंचायत शिक्षकों की नियुक्ति मामले में विवादों के घेरे में आ गये थे।

राज्य में तकरीबन 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दो चरण में काउंसलिंग हुई है। पहले चरण में उन नियोजन इकाइयों के लिए काउंसलिंग हुई, जिनमें छूटे हुए दिव्यांग अभ्यर्थियों के आवेदन नहीं पड़े थे। दूसरे चरण में उन नियोजन इकाइयों के लिए काउंसलिंग हुई, जिनमें छूटे हुए दिव्यांग अभ्यर्थियों के आवेदन पड़े थे। पहले चरण की काउंसलिंग गत पांच जुलाई से शुरू होकर 12 जुलाई तक हुई। इससे इतर दूसरे चरण की काउंसलिंग गत दो अगस्त से शुरू होकर 13 अगस्त तक चली। दोनों चरण की काउंसलिंग पंचायत चुनाव के पहले हुई। दोनों चरण की काउंसलिंग में ऐसी भी पंचायत नियोजन इकाइयां हैं, जिसकी काउंसलिंग में मुखियाजी की भूमिका पर सवाल उठे। यही वजह रही कि ऐसी पंचायत नियोजन इकाइयों की काउंसलिंग या तो स्थगित हुई या रद्द हुई। ऐसे पंचायत नियोजन इकाइयों की संख्या तकरीबन 1100 है।

खैर, दो चरण की काउंसलिंग के बाद पंचायत चुनाव शुरू हो गये। 11 चरण के पंचायत चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। पहले चरण में 24 सितंबर को रोहतास के दावथ और संझोली, कैमूर के कुदरा, गया के बेलागंज और खिजरसराय, नवादा के गोविंदपुर, औरंगाबाद के औरंगाबाद,  जहानाबाद के काको, अरवल के सोनभद्र वंशी सूर्यपुर, मुंगेर के तारापुर, जमुई के सिकंदरा, बांका के धोरैया, दूसरे चरण में 29 सितंबर को पटना के पालीगंज, बक्सर के राजापुर, रोहतास के रोहतास और नवहट्टा, नालंदा के थरथरी और गिरियक, कैमूर के दुर्गावती, भोजपुर के पीरो, गया के टेकारी और गुरारू, नवादा के कौवाकोल, औरंगाबाद के नवीनगर, अरवल के अरवल, सारण के मांझी, सीवान के सीवान सदर, गोपालगंज के विजयीपुर, वैशाली के हाजीपुर, मुजफ्फरपुर के मड़वन, पूर्वी चंपारण के फेनहारा और तेतरिया, पश्चिम चंपारण के चनपटिया, सीतामढ़ी के चोरौत और नानपुर, दरभंगा के बेनीपुर और अलीनगर, मधुबनी के पंडौल और रहिका, समस्तीपुर के पूसा और समस्तीपुर, सुपौल के प्रतापगंज, सहरसा के कहरा, मधेपुरा के मधेपुरा, पूर्णिया के बनमंखी, कटिहार के कटिहार, कुर्सेला, हसनगंज और डंडखोरा, अररिया के भरगामा, बेगूसराय के भगवानपुर, खगडि़सार में जिला प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र संख्या 17 और 18, मुंगेर के टेटियाबबर, जमुई के अलीगंज, भागलपुर के जगदीशपुर, बांका के बांका, तीसरे चरण में आठ अक्तूबर को पटना के नौबतपुर और विक्रम, बक्सर के डुमरांव, रोहतास के काराकाट, नालंदा के सिलाव और नगरनौसा, कैमूर के चैनपुर, भोजपुर के जगदीशपुर, गया के मोहरा, अतरी और नीमचक बथानी, नवादा के रजौली, औरंगाबाद के बारूण, जहानाबाद के रतनीफरीदपुर, अरवल के कुर्था, सारण के गरखा, सीवान के हुसैनगंज और हसनपुरा, गोपालगंज के भोरे, वैशाली के जंदाहा, मुजफ्फरपुर के सकरा और मुरौल, पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया और घोड़ासाहन, पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज, सीतामढ़ी के बोखड़ा और बथनाहा, दरभंगा के बहेड़ी, मधुबनी के फुलपरास और खुटौना, समस्तीपुर के उजियारपुर और दलसिंहसराय, सुपौल के छातापुर, सहरसा के पतरघाट, मधेपुरा के गम्हरिया और धैलाढ़, पूर्णिया के बी. कोठी और भवानीपुर, कटिहार के कोढ़ा, अररिया के रानीगंज, लखीसराय के हलसी, बेगूसराय के वीरपुर, खगडिय़ा के गोगरी और परबत्ता के जिला निर्वाचन क्षेत्र संख्या 15, मुंगेर के संग्रामपुर, जमुई के जमुई और गिद्धौर, भागलपुर के सन्हौला एवं बांका के रजौन प्रखंडों के पंचायतों के चुनाव हुए। चुनाव के बाद रिजल्ट भी आ गये।

जानकारों की मानें, तो चुनाव में जितनी मुखियाजी की मुखियागिरी गयी है, उनमें ज्यादातर ऐसे हैं, पंचायत शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई काउंसलिंग में जिनकी भूमिका पर सवाल उठे थे। यानी, भूमिका पर उठे सवाल के चलते काउंसलिंग तो पहले ही स्थगित या रद्द हो चुकी थी, बाद में मुखियागिरी भी चली गयी। शिक्षा विभाग के एक संबंधित अधिकारी की मानें, तो यह नये मुखियाजी के लिए सतर्क रहने का संदेश है।