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हम सबको अब भी सावधानी बरतनेकी जरूरत-राष्ट्रपति

राष्ट्रके नाम संदेश कृषि मार्केटिंगमें अनेक सुधारोंसे और भी सशक्त होंगे किसान, उत्पादोंकी बेहतर कीमत मिलेगी नयी दिल्ली (आससे)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि केंद्र, राज्यों, निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य समूहों के सक्रिय योगदान की बदौलत अब देश कोरोना संकट से उबर रहा है और सामान्य स्थिति […]

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पूर्वांचलमें बाढ़से स्थिति गंभीर

बलिया में गंगा खतरे के निशानबिन्दु से ऊपर वाराणसी (का.प्र.)। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही मूसलधार बारिश से गंगा सहित सहायक नदियां उफान पर है। बलिया में गंगा खतरे के निशानबिन्दु के ऊपर बह रही है जिससे स्थिति गंभीर हो गयी है वहीं मऊ में घाघरा के जलस्तर में वृद्घि  जारी है। वाराणसी में गंगा […]

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भारतके माथे पर स्वर्ण तिलक

टोक्यो ओलम्पिक नीरजने जैवलिन थ्रो में जीता स्वर्ण, बजरंग ले आये कांस्य, मामूली अंतर से पदक से चूकी अदिति, भारतने लंदन के छह पदक को पीछे छोड़, टोक्यो में जीता सात पदक टोक्यो  (एजेन्सियां) । आखिरकार भारत को वो मिल ही गया जिसके इंतजार में पूरा देश टोक्यो ओलम्पिक में २३ जुलाई से नजरें गड़ाये […]

सम्पादकीय

भयावह वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण आज पूरे विश्वके लिए सबसे बड़ी समस्या है। मौजूदा दौरमें यह समस्या इतनी गम्भीर हो चुकी है कि दुनियाके कई हिस्सोंमें लोग सौ प्रतिशत प्रदूषित हवामें सांस ले रहे हैं। भारत समेत पूरी दुनियामें वायु प्रदूषण भयावह रूप धारण कर रहा है, जो गम्भीर चिन्ताका विषय है। विशेषज्ञोंके अनुसार असामयिक मृत्यु और दिव्यांग […]

सम्पादकीय

समृद्धजनोंके पलायनसे उपजी चिन्ता

डा. भरत झुनझुनवाला    एफ्रो एशियन बैंक द्वारा २०१८ में प्रकाशित ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यूमें बताया कि उस वर्ष चीनसे १५००० अमीरोंने पलायन किया, रूससे ७००० ने, तुर्कीसे ४००० ने और भारतसे ५००० अमीरोंने पलायन किया। इन चारमें पहले तीन देश चीन, रूस एवं तुर्कीमें तानाशाही सरकार है जबकि भारत लोकतांत्रिक है। मान सकते हैं कि […]

सम्पादकीय

तप और साधनाको समर्पित माह

हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति सदासे है। परिवर्तनशील है। अखंड सौभाग्यवती भी है। प्रकृतिका एक-एक अंश गतिशील है। प्रकृतिके अणु और परमाणु न केवल गतिशील है, बल्कि नाच रहे हैं। ऋग्वेदमें सृष्टिके उद्भवका सुंदर उल्लेख है। चौमासाके चार माह व्रत उपासनाका सुंदर अवसर है। विद्वानोंने १२ महीनोंमेंसे चार महीनेका दायित्व, कर्तव्य और आनन्दको एक अवधिमें लानेका प्रयास […]

सम्पादकीय

मुश्किल है अफगानिस्तानमें तालिबानकी वापसी

संजय राय अफगानिस्तान इन दिनों वैश्विक राजनय और कूटनीतिकी धुरी बना हुआ है। दो दशक बाद अमेरिकाकी सेना अफगानिस्तानसे वापस लौट रही है। अमेरिकी सैनिकोंकी वापसीके साथ ही तालिबान एक बार फिर अपनी पुरानी भूमिकामें आ गया है। तालिबान काबुलकी सत्तापर लोकतांत्रिक तरीकेसे बैठी अशरफ गनीके नेतृत्ववाली सरकारको हटाकर पूरे देशका शासन अपने कब्जेमें करना […]

सम्पादकीय

शिवकी महिमा

अशोक सावनके महीनेमें प्रत्येक शिवभक्तकी यही कामना होती है कि एक बार बाबा बैद्यनाथका दर्शन जरूर कर ले। कहते हैं सागरसे मिलनेका जो संकल्प गंगाका है वही दृढ़निश्चय भगवान शिवसे मिलनेका कांवडिय़ोंमें भी देखा जाता है। तभी तो श्रावणी मेलके दौरान धूप, बारिश और भूख-प्यास भूलकर दुर्गम रास्तोंपर दुख उठाकर अपने दुखोंके नाशके लिए वे […]

सम्पादकीय

संक्रमितोंकी बढ़ती संख्या

देशमें नये कोरोना संक्रमितोंकी संख्यामें तेजी गम्भीर चिन्ताका विषय है। इससे तीसरी लहरके बढ़ते खतरोंको बल मिल रहा है। पिछले कई दिनोंसे प्रतिदिन लगभग ३० हजार नये मामले सामने आ रहे थे लेकिन अब इनकी संख्या ४० हजारसे ऊपर पहुंच गयी है। शुक्रवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें ४४ हजार […]

सम्पादकीय

लाइलाज महामारी प्राकृतिक असंतुलन

 ऋतुपर्ण दवे     प्रकृतिपर कब किसका जोर रहा है। न प्रकृतिके बिगड़े मिजाजको कोई काबू कर सका और न ही फिलहाल मनुष्यके वशमें दिखता है। हां, इतना जरूर है कि अपनी हरकतोंसे प्रकृतिको हमारे द्वारा लगातार नाराज जरूर किया जा रहा है जिसपर प्रकृतिका विरोध भी लगातार दिख रहा है। लेकिन बावजूद इसके हम हैं कि […]