सम्पादकीय

ऋग्वेद दर्शन प्रथम जागरण काल

हृदयनारायण दीक्षित प्राचीनताका बड़ा भाग प्रेरक और गर्व करने योग्य होता है। अंग्रेजोंने प्रचारित किया कि भारत एक राष्ट्र नहीं है। अंग्रेजी सभ्यता प्रभावित विद्वानोंने मान लिया कि हम कभी राष्ट्र नहीं थे। अंग्रेजोंने ही भारतको राष्ट्र बनाया। बीसवीं सदीके सबसे बड़े आदमी महात्मा गांधीने अंग्रेजोंको चुनौती दी। उन्होंने १९०९ में हिन्द स्वराजमें लिखा,आपको अंग्रेजोंने […]

सम्पादकीय

मूल शोधपर ही मिले उपाधि

आर.के. सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालयके हालिया संपन्न ९७वें दीक्षांत समारोहमें ६७० डॉक्टरेटकी डिग्रियां दी गयीं। मतलब यह कि यह सभी पीएचडीधारी अब अपने नामके आगे ‘डाक्टरÓ लिख सकेंगे। क्या इन सभीका शोध पहलेसे स्थापित तथ्योंसे कुछ हटकर था। बेशक उच्च शिक्षामें शोधका स्तर अहम होता है। इसीसे यह भी तय किया जाता है कि पीएचडी देनेवाले […]

सम्पादकीय

ध्यान और विचार

श्रीश्री रविशंकर ध्यानमें आप पायंगे कि मन स्वयंकी अंतर्तम गहराईमें पहुंच जाता है, परन्तु उसी समय कुछ ऐसा भी है जो आपके भीतरसे बाहरकी ओर आ जाता है। चिर कालसे मनमें पड़ी हुई कोई गहरी छाप और अनेकों विचार बाहर आ जाते हैं और मनकी गहराई खो जाती है। समयके साथ आप इस प्रक्रियाको यदि […]

सम्पादकीय

नये खतरेका संकेत

कोरोना महामारीके खिलाफ मजबूत जंगके बीच संक्रमणमें निरन्तर वृद्धि गम्भीर चिन्ता और नये खतरेका संकेत है। प्रतिदिन मरीजोंकी संख्या बढ़ रही है जिससे भारत अब कोरोनाके नये मामलोंके सन्दर्भमें पूरे विश्वमें १७वें स्थानसे पांचवें स्थानपर आ गया है। अब चार देश अमेरिका, ब्राजील, इटली और फ्रांस भारतसे आगे हैं। भारतकी स्थितिको खराब बनानेमें छह राज्यों […]

सम्पादकीय

अभिव्यक्तिकी मर्यादा आवश्यक

दोटूक यह कि संविधान एक रास्ता है और नागरिकोंके अधिकार इसी मार्गसे गुजरते हैं और इसीमें एक है वाक् एवं अभिव्यक्तिका अधिकार जिसका उल्लेख भारतीय संविधानके अनुच्छेद १९(१)(क) के अन्तर्गत देखा जा सकता है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने भी जून २०१४ में कहा था कि यदि हम बोलने और अभिव्यक्तिकी स्वतंत्रताकी गारंटी नहीं देंगे तो […]

सम्पादकीय

भारतीय चिन्तनकी समझ जरूरी

प्रणय कुमार कांग्रेसका दुर्भाग्य है कि इस समय वह स्वआंकलन नहीं कर रही है बल्कि अनर्गल वक्तव्य देकर देशवासियोंको भटकाने एवं भ्रमित करनेकी कुचेष्टामें है। अच्छा तो यह होता कि संघको लेकर पूर्वाग्रह रखनेवाले सभी दलों एवं नेताओंको उदार मनसे आकलित करना चाहिए था कि क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों और विरोधियोंके तमाम अनर्गल […]

सम्पादकीय

महंगीसे त्रस्त आमजनता

रविशंकर कोरोना महामारीसे दो-चार होते हुए देशकी जनताको इस वक्त महंगीकी दोहरी मार भी झेलनी पड़ रही है। एक तरफ जहां पेट्रोल और डीजलके दामोंमें लगातार होती वृद्धिने जनताका बुरा हाल कर दिया है तो वहीं अब रसोईगैसके दामोंमें हुए इजाफेने भी लोगोंकी परेशानीको बढ़ा गिया है। दो महीनोंमें पेट्रोल-डीजलके दामोंमें करीब आठ रुपये बढ़े […]

सम्पादकीय

कर्मकी महत्ता

बीके शिवानी हम जो कर्म करते हैं, वह हमें नहीं दिखता, भाग्य दिखता है। हम सोचते हैं कि जो भी होता है, भगवानकी मर्जीसे होता है। ठीक भी है। इसलिए हम रोज उनसे कहते हैं- हे, भगवान मेरी समस्या ठीक कर दो। क्या भगवान हमारी समस्या ठीक कर सकते हैं। मान लो हमारे जीवनकी समस्या […]

सम्पादकीय

विश्वसनीयता जरूरी

सरकारी सेवाओंके लिए भर्ती प्रक्रियामें विश्वासका पक्ष अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है और इसके लिए यह भी आवश्यक है कि भर्ती प्रक्रियाके सभी स्तरोंपर पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी बरती जाय। विडम्बना यह है कि भर्ती प्रक्रियाके विभिन्न स्तरोंपर इसका अभाव है। लिखित परीक्षाओंमें प्रश्नपत्रोंका लीक होना आम बात हो गयी है कभी-कभी ऐसी गड़बडिय़ोंके कारण परीक्षाएं […]

सम्पादकीय

संघर्षविरामपर सहमति

डा. श्रीनाथ सहाय भारत-पाकिस्तानके बीच नयी सहमति बनी है कि पिछले समझौतोंको गम्भीरतासे लेकर पालन किया जायेगा। दरअसल दोनों सेनाओंके सैन्य अभियानोंके महानिदेशक यानी डीजीएमओके मध्य एलओसीपर लगातार जारी गोलाबारीकी बड़ी घटनाओंके बाद संघर्षविराम जमीनी हकीकत भी बन गया। यह सहमति सिर्फ एलओसीपर ही नहीं, बल्कि अन्य सेक्टरोंपर भी लागू होगी। इसके अंतर्गत चौबीस एवं […]