सम्पादकीय

योगसे खुशी

श्रीश्री रविशंकर योगके अनगिनत लाभ हैं। यह स्वस्थ, तनाव और कुंठामुक्त जीवनकी ओर बढ़ाता है। योग मानवताको दी गयी सबसे बड़ी देन है। धनसे जिस प्रकार खुशी मिलती है। योग एक ऐसा धन है, जिससे हमें संपूर्ण आराम मिलता है। योगसे न सिर्फ हमारा शरीर रोगमुक्त होता है, बल्कि समाज भी हिंसा रहित होता है। […]

सम्पादकीय

टीकाकरण अभियान

कोरोना वायरसके खिलाफ वैश्विक लड़ाई अब टीकाकरण अभियानके मोड़पर पहुंच गयी है। ब्रिटेन और अमेरिकाके बाद यूरोपीय संघके २७ देशोंमें टीकाकरण अभियानकी शुरुआत रविवारसे हो गयी है। पहले चरणमें कोरोना योद्धाओंको टीके लगाये जा रहे हैं, जिनमें चिकित्साकर्मी, नर्सिंग होमके कर्मचारी और नेताओंको शामिल गया है। यूरोपीय संघके कुछ देशों जर्मनी, हंगरी और स्लोवाकियामें शनिवारको […]

सम्पादकीय

किसानोंकी आड़में राजनीति

डा. शंकर सुवन सिंह हालमें किसानों द्वारा भारत सरकारपर एमएसपी(मिनिमम सपोर्ट प्राइस) पर कानून बनानेपर जोर दिया जा रहा है, जिसके चलते किसान आंदोलित हैं। सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून बनानेको राजी नहीं है। सरकार किसानोंको यह आश्वासन जरूर दे रही कि एमएसपी खत्म नहीं होगा और किसानोंकी फसल सरकार एमएसपीपर खरीदती रहेगी। […]

सम्पादकीय

सिरदर्द बनता अंतरिक्षका कचरा

भारत डोगरा अंतरिक्षके सैन्यीकरणकी ओर कदम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं जिससे अलग तरहकी समस्याएं पैदा हो रही हैं। वर्ष १९५७ से अबतक लगभग ८५०० सैटेलाइट अंतरिक्षमें भेजे गये हैं। इन तमाम सैटेलाइटोंने निश्चित रूपसे अनेक उपयोगी भूमिकाएं निभायी हैं। उदाहरणके लिए इन्होंने संचार व्यवस्थाको बढ़ावा दिया और मौसम विज्ञानके लिए भी खासे मददगार साबित […]

सम्पादकीय

मानवके बदलते स्वरूपसे उपजी समस्या

हंसराज ठाकुर ज हांसे मानवने अपनी विकास यात्रा शुरू की थी, तमाम बुलंदियां छू लेनेके बाद उसकी जीवन यात्रा वहींपर थमेगी। मत भूलो कि पृथ्वी गोल है। मानव जीवनका कोई भी पक्ष, वर्ग या क्षेत्र नहीं है जहां वह किसी न किसी रूपमें पशुओंकी सेवाओंसे सेवित न हो, उनके प्रदेयोंसे लाभान्वित एवं उनका उपभोक्ता न […]

सम्पादकीय

मनको बांधना

जग्गी वासुदेव आपको कर्मोंको सुलझानेमें असलमें कोई प्रयास नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि जब आप अपने कर्मोंके साथ खेल रहे हैं तो आप ऐसी चीजके साथ खेल रहे हैं, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। यह मनका एक जाल है। बीते हुए समयका कोई अस्तित्व नहीं है परन्तु आप इस अस्तित्वहीन आयामके साथ ऐसे जुड़े रहते हैं, […]

सम्पादकीय

अलगाववादपर लोकतंत्रकी जीत

प्रणय कुमार गत वर्ष ५ अगस्तको धारा ३७० और अनुच्छेद ३५ए के हटनेके पश्चात हुए जम्मू-कश्मीर विकास परिषदके चुनाव और उसके नतीजोंपर केवल शेष भारत ही नहीं, अपितु पूरी दुनियाकी निगाहें टिकी थीं। स्वतंत्रताके लगभग सात दशकों बाद वहा पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम-ब्लॉक-जिला) लागू की गयी है। उसके बादसे ही वहांके आवाममें इस […]